Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से - चुनावों में बदजुबानी

'नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में बार-बार जिस शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं वह असंसदीय भले न हो, लेकिन यह तो स्पष्ट है कि उससे अनावश्यक कटुता उत्पन्न हो रही है

ललित सुरजन की कलम से - चुनावों में बदजुबानी
X

'नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में बार-बार जिस शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं वह असंसदीय भले न हो, लेकिन यह तो स्पष्ट है कि उससे अनावश्यक कटुता उत्पन्न हो रही है। आज जब भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी को भुला दिया है तब उसे यह याद दिलाना उचित होगा कि दूसरी लोकसभा में नवनिर्वाचित सदस्य वाजपेयीजी ने जब अपना प्रथम वक्तव्य दिया तो प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उन्हें स्वयं होकर बधाई व उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी थीं।

एक क्षण के लिए कल्पना करें कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए हैं तो क्या वे इसी तरह राहुल गांधी को उनके भाषण पर बधाई देने में विशाल हृदयता का परिचय दे सकेंगे? जिस तरह से श्री मोदी बार-बार राहुल गांधी और उनके परिवार पर कटाक्ष कर रहे हैं उसे देखकर ऐसी कोई उम्मीद रखना व्यर्थ है।'

(देशबन्धु में 24 अप्रैल 2014 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/04/blog-post_23.html


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it