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चैंपियंस ट्राफी, मैदान के बाहर की कुछ बातें

12 साल के लंबे इंतजार के बाद 9 मार्च को भारतीय क्रिकेट टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत लिया है

चैंपियंस ट्राफी, मैदान के बाहर की कुछ बातें
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12 साल के लंबे इंतजार के बाद 9 मार्च को भारतीय क्रिकेट टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत लिया है। इसके साथ ही टीम इंडिया तीन चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट जीतने वाली दुनिया की पहली टीम भी बन गई है। न्यूजीलैंड के खिलाफ एक रोमांचक मुकाबले में भारतीय टीम ने यह जीत दर्ज की, जिसमें कप्तान रोहित शर्मा ने यादगार पारी खेली। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 10 महीने के अंदर दूसरे आईसीसी खिताब पर कब्जा जमाया है। इससे पहले जून 2024 में भारत ने बारबाडोस में टी-20 विश्वकप भी जीता था। इस टूर्नामेंट में खास बात यह रही कि भारतीय टीम को कोई शिकस्त नहीं दे पाया, उसने अपना हर मैच जीता। इस तरह 2002 में सौरव गांगुली और 2013 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में चैंपियन बनने के बाद भारत ने अब रोहित शर्मा की कप्तानी में कमाल किया है। भारतीय टीम की इस शानदार जीत पर पूरे देश में जश्न का माहौल रहा, लेकिन इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान ऐसे कई वाकये हुए, जो कड़वी यादें छोड़ गए।

देश में एक बड़े तबके के लिए क्रिकेट धर्म की तरह बन चुका है और अब इस धर्म पर भी राजनीति होने लगी है। रविवार को ही जब दुबई के मैदान से लेकर देश में तमाम जगहों पर लोग खुशियां मना रहे थे, तब मध्यप्रदेश के महू में यह खुशी हिंसा में बदल गई। बताया जा रहा है कि कुछ युवाओं ने भारत की जीत का जश्न मनाने के लिए महू में एक रैली रात को निकाली थी। यह रैली जब जामा मस्जिद क्षेत्र के पास पहुंची तो उत्तेजक नारों और तेज संगीत के बीच वहां पथराव शुरू हो गया। उस समय जामा मस्जिद के अंदर लोग तरावीह की नमाज अदा कर रहे थे। पथराव से स्थिति बेकाबू हो गई। इस बीच जामा मस्जिद के सामने खड़ी बाइकों, कारों और अन्य वाहनों में आग लगाई गई, जिससे तनाव और बढ़ गया। बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात पर काबू कर लिए, और अब जांच की जा रही है कि आखिर हिंसा भड़कने की नौबत क्यों आई। हालांकि अनुमान लगाया जा सकता है कि जब मस्जिद में नमाज हो रही हो, तब बाहर किस किस्म के नारे लगे होंगे या गाने बजे होंगे, जिससे स्थिति बिगड़ गई।

यह पहली बार नहीं है जब मस्जिद के सामने इस तरह का अप्रिय शोर किया गया है। दुबई में जो जीत मिली, उसमें सारे खिलाड़ियों ने धर्म, जाति या ओहदे से परे एक टीम की तरह प्रदर्शन किया है। और यह केवल क्रिकेट में नहीं होता है, सारे खेलों में इसी तरह टीम और खेल भावना के साथ ही जीत सुनिश्चित होती है। मगर देश में अब क्रिकेट में धर्म और राष्ट्रवाद का अनावश्यक घालमेल कर माहौल बिगाड़ा जा रहा है।

इसी टूर्नामेंट में मोहम्मद शमी ने सेमीफाइनल मैच के दौरान पानी या जूस पीया तो उस पर भी बेवजह विवाद खड़ा हो गया। रमजान के पवित्र माह में एक मुसलमान के पानी पीने पर धर्म की दुहाइयां दी जाने लगीं। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि रमज़ान के दौरान ऐसी हरकत अपराध है। हालांकि बहुत से लोग शमी के समर्थन में आए, इनमें से एक जाने-माने गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर ने कहा, 'शमी साहब आप उन कट्टर मूर्खों की परवाह मत कीजिए, जिन्हें क्रिकेट मैच के दौरान मैदान पर आपके पानी पीने से परेशानी है।' वहीं अब इस मामले पर पाकिस्तान से भी प्रतिक्रिया आई है। पूर्व पाक कप्तान इंजमाम उल हक ने कहा कि खेलते हुए रोज़ा रखना मुश्किल है। हम लोगों का भी अपना अनुभव है। रोज़े के दौरान मैच होता था तो वाटर ब्रेक के दौरान पाकिस्तान की टीम स्क्रीन के पीछे चली जाती थी। वहीं पानी पी लेते थे। इसी तरह पूर्व पाक क्रिकेटर सक़लैन मुश्ताक़ ने कहा, 'मुझे समझ में नहीं आता है कि इन चीज़ों पर क्यों ध्यान देते हैं। हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि अच्छे इंसान बनें और सकारात्मक चीज़ों को लेकर आगे बढ़ें। हम आजकल सोशल मीडिया पर ऐसी बातों पर बहस कर रहे हैं, जिनसे रत्ती भर भी फ़ायदा नहीं है। न केवल पाकिस्तान में बल्कि इंडिया के साइड में भी ऐसी चीज़ें बढ़ रही हैं।'

वैसे मोहम्मद शमी को लेकर अनावश्यक विवाद पहले भी खड़े करने की कोशिश की गई है, उसका कारण यही है कि वे एक मुसलमान हैं। पहले भी भारतीय टीम में मुस्लिम खिलाड़ी होते थे, लेकिन तब बातों का बतंगड़ बनाने के लिए सोशल मीडिया नहीं था, न ही दिमाग में इस कदर नफरत भरी थी। हालांकि अब भी खिलाड़ी नफरत पर मोहब्बत की इबारत लिख रहे हैं। दुबई से एक बड़ा प्यारा वीडियो सामने आया है, जिसमें विराट कोहली को बधाई देने जब मो.शमी की मां आईं तो विराट कोहली ने उनके पैर छुए, फिर साथ में तस्वीरें खिंचाई। यह बड़ी सामान्य सी बात है, लेकिन आज के दौर में ऐसे वाकए काफी खास हो चुके हैं।

फाइनल मैच में शानदार प्रदर्शन के लिए कप्तान रोहित शर्मा को मैन ऑफ द मैच का खिताब भी मिला। उन्होंने अपने खेल और कप्तानी दोनों से काम बोलेगा, हम नहीं, वाली बात को साबित कर दिखाया है। रोहित शर्मा को लेकर भी काफी विवाद हुआ था, क्योंकि कांग्रेस नेता और प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने उनके मोटापे पर टिप्पणी की थी। इसे निजी विचार बताकर कांग्रेस ने किनारा किया था और खुद शमा मोहम्मद ने भी अपने ट्वीट डिलीट कर लिए थे, उनका यह कहना था कि वे केवल सेहत की बात कर रही हैं और किसी का अपमान करने का इरादा उनका नहीं था। इस मुद्दे को भाजपा ने स्वाभाविक तौर पर लपका और कांग्रेस से जवाब मांगे, राजनीति में ऐसा ही होता है। लेकिन शमा मोहम्मद को जिस तरह पत्रकारों ने ट्रोल करने की कोशिश की और उनके बयान को हिंदू-मुस्लिम नजरिए से पेश करने की सोच दिखाई, वह शर्मनाक था।

बहरहाल, एक शानदार जीत टीम इंडिया ने दर्ज की, इस पर खुले दिल से जश्न मनाया जाए, यही बेहतर होगा। अगर इसमें राजनीति करने की कोशिश होगी तो आगे ऐसी जीत का रास्ता बंद भी हो सकता है।


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