दिल्ली में कांग्रेस से बड़ी रेखा खींचनी होगी भाजपा को
दिल्ली विधानसभा चुनाव के 8 फरवरी को घोषित नतीजों में जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने लगभग दो सप्ताह लगाये कि मुख्यमंत्री पद पर कौन विराजेगा

दिल्ली विधानसभा चुनाव के 8 फरवरी को घोषित नतीजों में जीत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने लगभग दो सप्ताह लगाये कि मुख्यमंत्री पद पर कौन विराजेगा। आखिरकार 19 फरवरी को मुख्यमंत्री पद के लिए रेखा गुप्ता का नाम तय हुआ और 20 फरवरी को रामलीला मैदान में एक भव्य समारोह में रेखा गुप्ता ने 6 मंत्रियों के साथ शपथ ली। मुख्यमंत्री चुनने के लिये इतना अधिक समय सम्भवत: पहली बार उस भाजपा ने लिया जो अपने फैसले लागू करने के लिये इस मायने में मशहूर है कि उसका कोई विरोध नहीं कर सकता। फिर भी, इतना वक्त लेना बतलाता है कि रेखा गुप्ता का चयन आसानी से नहीं हुआ है।
कहा जाता था कि इस पद के लिये प्रवेश वर्मा का नाम सबसे ऊपर था जो कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और अपने वक्त के कद्दावर नेता साहिब सिंह वर्मा के पुत्र हैं। जिस दिन नतीजे निकले थे, वे नयी दिल्ली सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (आम आदमी पार्टी) को हराते ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने चले गये थे। उनकी शाह से नज़दीकी सर्वज्ञात है लेकिन जब मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो उन्हें इस दौड़ से बाहर किया गया और उनके साथ ही दिल्ली के दूसरे कद्दावर भाजपा विधायक भी किनारे ही रहे।
दूसरी ओर रेखा गुप्ता पहली बार ही शालीमार बाग विधानसभा सीट से जीत कर आई हैं। समझा जाता है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के पीछे संघ की सलाह रही। हालांकि रेखा गुप्ता के नाम पर भाजपा ने कुछ निशाने साधे हैं। केजरीवाल की तरह रेखा हरियाणा (जीन्द) से हैं और वैश्य समुदाय की हैं जो भाजपा का पक्का समर्थक वर्ग है। फिलहाल भाजपा में ब्राह्मण (राजस्थान में भजनलाल शर्मा व असम में हिमंता बिस्वा सरमा) से लेकर आदिवासी (छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय) और अन्य पिछड़ा वर्ग (मध्यप्रदेश में मोहन यादव व हरियाणा में नायब सिंह सैनी) हैं, लेकिन वैश्य समुदाय का कोई नहीं था। यह कमी भी दूर हो गयी।
भाजपा शासित जितने भी प्रदेश हैं उनमें महिला मुख्यमंत्री किसी में नहीं हैं। अब वसुंधरा राजे के बाद रेखा गुप्ता तीसरी महिला मुख्यमंत्री भाजपा से बनी हैं। राजस्थान चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वहां इस पद की सबसे मजबूत दावेदार वसुंधरा राजे सिंधिया की बजाये जब भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। संदेश गया था कि भाजपा एक ओर तो महिला आरक्षण व उनके सम्मान की बात करती है तो दूसरी ओर महिला को महत्वपूर्ण पद से हटाकर उनका अपमान करती है। रेखा गुप्ता को लाना उस दाग को मिटाने का प्रयास कहा जा सकता है। वहीं केजरीवाल के जेल जाने के बाद दिल्ली में तीसरी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी ने काम संभाला था। रेखा गुप्ता दिल्ली में सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी के बाद चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं।
तीन बार पार्षद व दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की मेयर रह चुकीं रेखा गुप्ता छात्र राजनीति से आई हैं। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रहीं और दिल्ली विश्वविद्यालय की पहले महासचिव और बाद में अध्यक्ष बनी थीं। इस नाते वे युवा व छात्र वर्गों के बीच भी रास्ता बनाती हैं जो पार्टी को लाभ पहुंचाएगा। वे इस समय पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और दिल्ली के नगरीय निकाय में भी विभिन्न पदों पर रह चुकी हैं।
एक और कारण यह भी माना जाता है कि क्यों वे इस पद के सर्वथा योग्य हैं, तो वह है उनके आक्रामक तेवर और भाषावली। सोशल मीडिया पर उनके वे पुराने ट्वीट तैर रहे हैं जो उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ पोस्ट किये थे। अमर्यादित व कई नफ़रती पुरुषों को भी लजा देने वाले शब्दों से उन्होंने केजरीवाल को नवाज़ा था। ऐसी महिला को यह पद प्रदान करना बतलाता है कि भाजपा में ऊंचा पद पाने के लिये यह भी एक योग्यता है। हालांकि मंत्री बने कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा भी अपने कटु बयानों के लिये जाने जाते हैं लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने रेखा की भाषा को अधिक प्रभावशाली समझा होगा।
दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सरकार आने पर अब आप के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल, पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन आदि पराजित हो चुके हैं और आप की पूर्ववर्ती सरकार के कामों का बचाव करने वाले प्रभावी लोग सदन में रहेंगे नहीं। शराब घोटाले की तलवार पहले से चल रही है। सत्येन्द्र जैन के खिलाफ मनी लॉंड्रिंग का मामला चलाने की राष्ट्रपति से मंजूरी दो दिन पहले ही मिल गयी है और वे चुनाव भी हार चुके हैं। नयी मुख्यमंत्री और दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना मिलकर दिल्ली का कितना विकास करते हैं, यह तो वक्त ही बतायेगा परन्तु दोनों मिलकर आप को नेस्तनाबूद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे- यह तय माना जा रहा है, क्योंकि उसने भाजपा को तीन बार परास्त किया है। कांग्रेस की स्थिति सदन में तो शून्य है, यहां और सदन के बाहर उसे आप का ही सफाया करने की ज़रूरत है जिसके बाद वह खुद को लम्बे समय तक एकछत्र राज करने के काबिल मान रही होगी।
फिर भी, रेखा गुप्ता के सामने कई चुनौतियां हैं। पहली तो है जनहित के मुद्दों को आप ने प्रमुख विमर्श बना दिया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क आदि को लेकर उन्हें ठोस कार्य करने होंगे जिसकी भाजपा आदी नहीं है। कुछ अन्य राज्यों में तो यह चल सकता है लेकिन दिल्ली में उन्हें ठोस नतीजे देने होंगे। आप ने कई सेवाएं या तो मुफ्त कर दी थीं अथवा रियायती दर पर। इन्हें जारी रखना भाजपा की नयी सरकार के लिये चुनौती होगी। यमुना नदी की सफाई भी बड़ा मुद्दा है जहां नयी सरकार को कुछ कर दिखाना होगा। कांग्रेस नहीं है पर उसकी सरकार के दौरान शीला दीक्षित के किये काम आज भी बेंचमार्क हैं। उनसे बड़ी रेखा खींचनी होगी रेखा गुप्ता को।


