Top
Begin typing your search above and press return to search.

भाजपा-जदयू ने दिखाई चुनावी रंगदारी

बिहार चुनावों में इस बात का अनुमान पहले से था कि जीत हासिल करने के लिए बदजुबानी के नए स्तर कायम होंगे

भाजपा-जदयू ने दिखाई चुनावी रंगदारी
X

बिहार चुनावों में इस बात का अनुमान पहले से था कि जीत हासिल करने के लिए बदजुबानी के नए स्तर कायम होंगे। भाजपा और खासकर नरेन्द्र मोदी इसमें अपना ही बनाया पहले का रिकार्ड तोड़ेंगे। आम चुनाव 2024 में नरेन्द्र मोदी ने जब कहा था कि कांग्रेस वाले आपका मंगलसूत्र चोरी करके ले जाएंगे, तो सब कुछ पता होते हुए भी आश्चर्यमिश्रित दुख हुआ था कि कोई प्रधानमंत्री इस तरह की भाषा कैसे बोल सकता है, ऐसे ऊटपटांग बयान कैसे दे सकता है। लेकिन उस चुनाव में कई बार ऐसे बयान सुनने पड़े। फिर महाराष्ट्र, हरियाणा में यह सिलसिला बढ़ा और अब बिहार चुनाव में जहां इस बार महागठबंधन एनडीए को कड़ी टक्कर दे रहा है, प्रधानमंत्री मोदी कट्टे वाली भाषा पर उतर आए हैं। हम नहीं जानते कि प्रधानमंत्री के सलाहकार कौन हैं, कौन उनके भाषण लिखता है या उसे अंतिम रूप देता है या प्रधानमंत्री जनता का मूड देखकर तात्कालिक भाषण देते हैं, लेकिन एक बात तय है कि वे जनता के स्तर को निचला मानकर ही ऐसे भाषण देते हैं।

भाषा की सभ्यता, तहज़ीब का समाज में बड़ी तेजी से क्षरण हुआ है। इसके लिए अब तक बी ग्रेड की फिल्मों, उपन्यासों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा। ओटीटी प्लेटफार्म के प्रचलन के बाद भाषायी संस्कार पूरी तरह से गुम होने लगे। जिन अपशब्दों को सबके सामने बोलने-कहने में लोग झिझकते थे, उन्हें टीवी पर देखकर आम बोलचाल का हिस्सा बना लिया गया। ऐसे में राजनेताओं की और जो लोग सत्ता में बैठे हैं, उनकी जिम्मेदारी कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है कि वे भाषायी शिष्टाचार की न केवल हिफाज़त करें, बल्कि उसे बढ़ाएं भी। खुद ऐसी भाषा बोलें कि जनता तक अच्छा संदेश जाए। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने वाले अक्सर अपने बचाव में तर्क देते हैं कि जनता जो देखना-सुनना चाहती है, हम वही दिखाते हैं। लेकिन यह तर्क सत्तारुढ़ नेताओं पर लागू नहीं हो सकता। बल्कि अगर वे ऐसा करें तो उन्हें कटघरे में खड़ा करने की जरूरत है, क्योंकि वे लोकशिक्षण की अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। बिहार चुनाव में जब नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि राजद ने कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर मुख्यमंत्री पद लिया है, तो वे अपनी जिम्मेदारी से मुकर ही रहे हैं।

पाठक जानते हैं कि कुछ दिनों पहले ही महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया, जबकि इसके कयास काफी दिनों से लग रहे थे। कौन सा गठबंधन किस तरह आगे बढ़ता है, यह उसका अपना मसला है। विरोधी गठबंधन उस पर सवाल उठा सकता है। लेकिन कट्टे वाली भाषा बोलकर प्रधानमंत्री राजनैतिक शिष्टाचार में एक पायदान और नीचे उतर गए। भाजपा में उनका अनुसरण करने वाले नेता भरे पड़े हैं। इसलिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वासरमा ने कहा कि राहुल गांधी दुर्भाग्य लेकर आते हैं। वो जहां जाते हैं हार मिलती है। सौभाग्य-दुर्भाग्य की बात करना अंधविश्वास है, जो संवैधानिक भावना के खिलाफ है। वहीं अपने विरोधी के लिए ऐसा कहना भी सर्वथा अनुचित ही है। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी के पोखर में कूदकर और मछली पकड़ने पर कहा कि मलेशिया के बीच (समुद्री किनारे) से उनका मन भर गया जो लंगूर की तरह पानी में कूद गए। देश में नेता प्रतिपक्ष को लंगूर बताकर मंत्री महोदय कुछ देर की सुर्खी बटोर सकते हैं, लेकिन आखिर में यह देश की छवि पर दाग लगाती है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव के लिए ऐसे अपशब्दों की भरमार भाजपा नेताओं के पास है, जिनका इस्तेमाल वे अक्सर करते हैं। लेकिन वहीं सवाल उठता है कि क्या ये नेता बिहार की जनता के विवेक को इतना कम करके आंकते हैं कि वह निम्नस्तरीय भाषा सुनकर प्रभावित होगी। क्या अपने विरोधियों को मात देने के लिए कोई नैतिक तरीका या बात भाजपा के पास नहीं बची है। और अब शायद जदयू का भी वही हाल हो गया है।

एक वक्त में शरद यादव और नीतीश कुमार के नेतृत्व में जद यू सिद्धांतों की राजनीति करती थी। लेकिन अब केंद्रीय मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने मोकामा में कहा कि, 'कुछ लोग हैं, उन्हें चुनाव के दिन घर से बाहर नहीं निकलने देना है। अगर वे ज्यादा गिड़गिड़ाएं तो उन्हें अपने साथ ले जाइए और वोट देने के बाद घर वापस लाकर छोड़ दीजिए। अभी कमान संभालिए। चुनाव के लिए अब समय नहीं बचा है।' बता दें कि जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा चुनावी उथल-पुथल का मैदान बन गया है। इस हत्याकांड में जदयू के प्रत्याशी अनंत सिंह को आरोपी बनाया गया और विपक्ष की मांग पर अनंत सिंह को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद से ललन सिंह ने मोकामा की कमान संभाल ली है। अनंत सिंह की उम्मीदवारी तो रद्द नहीं हुई, बल्कि ललन सिंह अनंत सिंह का बचाव कर रहे हैं कि उन्हें फंसाया गया है। उन्होंने सारे लोगों ने अनंत सिंह बनने की अपील की और अब सीधे-सीधे अपने विरोधी मतदाताओं को घर पर बंद रखने की धमकी दे रहे हैं। विपक्ष जिस वोट चोरी का डर पहले दिन से बिहार में दिखा रहा है, वह सच होता दिख रहा है। ललन सिंह के बयान वाले वीडियो को कांग्रेस, आरजेडी सभी ने पोस्ट किया और चुनाव आयोग से सवाल किए कि क्या वह इसमें कोई कार्रवाई करेगा। तब जाकर चुनाव आयोग ने ललन सिंह को नोटिस भेजा है और 24 घंटे में जवाब देने कहा है। लेकिन यहां चुनाव आयोग का ढीला-ढाला रवैया बता रहा है कि इसमें कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया जाएगा। जो बात विपक्षी दलों ने पहले देख ली, वह चुनाव आयोग को नजर क्यों नहीं आई।

भाजपा-जदयू की चुनावी रंगदारी को क्या चुनाव आयोग रोक पाएगा, यह गंभीर सवाल अब उठ रहा है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it