Top
Begin typing your search above and press return to search.

परीक्षा घोटाले में फिर फंसी भाजपा

भाजपा शासन में एक बार फिर परीक्षाओं में धांधली से परेशान छात्र सड़कों पर उतरे हैं

परीक्षा घोटाले में फिर फंसी भाजपा
X

भाजपा शासन में एक बार फिर परीक्षाओं में धांधली से परेशान छात्र सड़कों पर उतरे हैं। हमेशा की तरह इस बार भी सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने की जगह बहानेबाजी कर रही है। बल्कि इस बार तो पेपर लीक की आड़ में सांप्रदायिक नफरत फैलाने का काम सरकार कर रही है। मामला उत्तराखंड का है, जहां अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोप को लेकर छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। वोट चोर गद्दी छोड़ के नारों की तर्ज पर यहां पेपर चोर गद्दी छोड़ के नारे लग रहे हैं, जिनसे जाहिर है कि छात्र सरकार से खासे नाराज हैं।

दरअसल पिछले रविवार सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक यूकेएसएसएससी की परीक्षा आयोजित हुई थी। विभिन्न सरकारी विभागों के अधीन समूह 'ग' और 'घ' के पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। लेकिन परीक्षा के एक दिन बाद ही तीन पन्नों का प्रश्न पत्र ऑनलाइन वायरल हो गया, जिसके बाद बेरोजगार संगठनों और युवाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के विरोध में नारेबाजी करने के साथ बैनर-पोस्टर लहराए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि नया कानून भी नकल को रोकने में नाकाम साबित हुआ है। सरकार ने जांच तेज करने का भरोसा दिया है, लेकिन प्रदर्शन थमने के संकेत नहीं दिख रहे।

वैसे पुलिस पेपर लीक की जिम्मेदारी छात्रों पर डाल रही है। पुलिस का आरोप है कि परीक्षा केंद्र हरिद्वार के आदर्श बाल सादन इंटर कॉलेज में कैंडिडेट खालिद मलिक ने कथित तौर पर परीक्षा हॉल से तीन फोटो अपनी बहन साबिया को भेजीं। पुलिस के अनुसार, साबिया ने इन्हें खालिद के दोस्त सुमन को फॉरवर्ड किया, जो टिहरी के एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं। सुमन ने सवालों को हल करने की कोशिश की, लेकिन जवाब नहीं भेजे और युवा नेता बॉबी पंवार को इसकी जानकारी दी। पंवार ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर फोटो शेयर कर दी है। अब पुलिस ने खालिद और साबिया को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे 'नकल जिहाद' कहा है। श्री धामी ने कहा, 'युवाओं का भविष्य बर्बाद करने के लिए वे गैंग बनाकर साजिश रचते हैं। कोचिंग माफिया और नकल माफिया मिलकर राज्य में नकल जिहाद चला रहे हैं... क्षेत्र में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन माफियाओं और जिहादियों को चेतावनी है कि जब तक माफिया का खात्मा न हो, हम चैन से नहीं बैठेंगे।'

भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, उस पर अब आश्चर्य भी नहीं होता, क्योंकि केंद्र से लेकर राज्यों तक भाजपा में उच्चपदों पर बैठे लोग इसी तरह अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने के लिए खोखले शब्दों का सहारा लेते हैं। पहलगाम के आतंकियों को प्रधानमंत्री मोदी धरती के आखिरी कोने से पकड़ कर लाने की बातें कर रहे थे, लेकिन अब तक वे शायद कोनों की तलाश ही कर रहे हैं। भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सांप्रदायिक नफरत हर बुराई पर जीरो टॉलरेंस की बात कही जाती है, लेकिन अभी यही समझ नहीं आ रहा कि भाजपा की सहनशक्ति की परिभाषा क्या है। क्योंकि पेपर लीक की घटना पहली बार नहीं हुई है। नीट, यूजीसी नेट, बिहार में पीएससी, व्यापमं ऐसे न जाने कितने परीक्षा घोटाले भाजपा के शासन काल में हुए हैं। पिछले चुनावों में जब कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया था, तो सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार पेपर लीक पर कड़ा कानून लेकर आ गई। इसे 'लोक परीक्षा कानून 2024' (पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024) नाम दिया गया। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल पर तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। संगठित रूप से इस तरह का अपराध करने पर 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। सरकार ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक को रोकना इस कानून का मकसद है।

हालांकि अब लग रहा है कि इस कानून का मकसद केवल ध्यान भटकाना या बहानेबाजी करना था। क्योंकि जिस तरह पुष्कर धामी ने पेपर लीक के गंभीर मामले को नकल जिहाद जैसा शातिराना नाम दिया है, उससे जाहिर है कि सरकार की मंशा किसी भी तरह सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की है। मान लें पुलिस खालिद मलिक की जगह किसी अन्य को गिरफ्तार करती, जिसका धर्म हिंदू होता, क्या तब पुष्कर धामी इसे नकल जिहाद कहने की हिमाकत करते।

वैसे ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस परीक्षा केंद्र से खालिद को गिरफ्तार किया गया, उसके प्रिंसिपल धर्मेंद्र चौहान हैं, जो भाजपा के हरिद्वार मीडिया प्रभारी भी हैं। श्री चौहान ने बताया कि, '18 कक्षाओं में अभ्यर्थी थे, लेकिन केवल 15 में जैमर लगे थे। खालिद का हॉल जैमर से खाली था।' उन्होंने बताया कि हमने कमीशन को इसकी जानकारी दी थी। अब पुलिस का कहना है कि केंद्र की प्रशासनिक लापरवाही की जांच यूकेएसएससी करेगा। परीक्षा से एक दिन पहले भी स्पेशल टास्क फोर्स और देहरादून पुलिस ने पंकज गौर और हाकम सिंह नाम के दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जो अभ्यर्थियों से 12-15 लाख रुपये लेकर परीक्षा में सफलता का वादा कर रहे थे। हाकम सिंह पर 2021 के लीक मामले में भी केस दर्ज है। एक मुस्लिम आरोपी और दो हिंदू आरोपियों के होने को भी क्या पुष्कर धामी नकल जिहाद से जोड़ेंगे या अपनी प्रशासनिक अक्षमता स्वीकार कर छात्रों के साथ न्याय करेंगे, यह देखना होगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it