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एक और भगदड़, कई और मौतें

देश में एक बार फिर भगदड़ की घटना ने कई परिवारों को उजाड़ दिया है। शनिवार को तमिलनाडु के करूर में टीवीके की रैली थी,

एक और भगदड़, कई और मौतें
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देश में एक बार फिर भगदड़ की घटना ने कई परिवारों को उजाड़ दिया है। शनिवार को तमिलनाडु के करूर में टीवीके की रैली थी, जिसमें अपने चहेते अभिनेता थलपति विजय को देखने हजारों लोग उमड़ पड़े। बताया जा रहा है कि इस रैली के लिए तमिलनाडु पुलिस ने 10 हजार लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन 50 हजार लोग पहुंच गए। विजय करीब 6 घंटे की देरी से रैली में पहुंचे, इस बीच भीड़ बेकाबू होती गई। रैली के दौरान ही खबर फैली कि 9 साल की एक बच्ची गुम हो गई है, जब विजय ने इस बच्ची को खोजने की अपील अपने भाषण में की, तो अफरा-तफरी मच गई, जो अंतत: जानलेवा भगदड़ में तब्दील हो गई। कम से कम 39 लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल अस्पतालों में भर्ती हैं।

इस भयावह घटना के बाद विजय न करूर में रुके, न घायलों के हालचाल लिए, बल्कि सीधे चार्टर्ड फ्लाइट से चेन्नई चले गए। जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन देर रात को करूर पहुंचे और मृतकों को श्रद्धांजलि दी साथ ही घायलों से मुलाकात की है। स्टालिन ने एक जांच कमेटी भी गठित की है, ताकि इस भगदड़ का असली कारण सामने आए और दोषियों की पड़ताल हो सके। तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार ने मुआवजे की घोषणा तो की ही है, रविवार को विजय ने भी ऐलान किया कि वे मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख देंगे।

लेकिन हमेशा की तरह सवाल वही है कि क्या चंद लाख रुपयों से अकाल मौतों का इंसाफ किया जा सकेगा। याद कीजिए कि बंगलुरु में आईपीएल जीतने वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की विजय परेड के दौरान भगदड़ मची थी, इससे पहले हैदराबाद में अल्लू अर्जुन की फिल्म प्रदर्शन में ऐसी ही भगदड़ हुई थी। हाथरस में भोले बाबा नाम के प्रवचनकर्ता के सत्संग में भगदड़ मची थी। जिन लोगों को आम जनता अपने से ऊपर का दर्जा देती है, उन्हें महान मानती है, उनकी दीवानी होती है, उन लोगों की नजर में आम जनता असल में कीड़े-मकौड़ों से ज्यादा की हैसियत नहीं रखती है, यह कड़वी सच्चाई अब लोगों को समझ लेनी चाहिए। हिंदुस्तान का समाज व्यक्तिपूजक है और अपने उद्धार के लिए किसी चमत्कार, किसी देवदूत या भगवान की तलाश में रहता है। और इसी में उसका नुकसान होता जा रहा है।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि तमिलनाडु में ऐसी त्रासदी कभी नहीं हुई और न ही अब भविष्य में होनी चाहिए। लेकिन उनके ऐसा कहने के बाद भी यह कहना कठिन है कि आगे ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। क्योंकि भीड़ प्रबंधन के लिए न कोई कड़े कानून बने हैं, न दोषियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है।

बता दें कि शनिवार को विजय की दो रैलियां थीं। करूर से पहले नमक्कल में सुबह 9 बजे सभा थी, जिसमें भी विजय देर से करीब पौने तीन बजे पहुंचे। तब तक धूप में भूखे-प्यासे लोग थककर गिरने लगे थे। भीड़ बेकाबू हुई, कई घायल हुए। आयोजकों ने भीड़ प्रबंधन नहीं किया। इसके बाद विजय दोपहर पौने चार बजे नमक्कल से निकले गए। इसके बाद भी कोई सबक न लेते हुए विजय करूर की रैली में भी छह घंटे देरी से पहुंचे, जिसके कारण बढ़ती भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया। अगर नमक्कल और करूर दोनों जगह विजय वक्त से पहुंचते तो शायद कई जिंदगियां बच जातीं। गौरतलब है कि इस साल फरवरी में दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपर स्टार थलपति विजय ने तमिलगा वेट्री कझगम यानी टीवीके नाम से नया राजनैतिक दल बनाया था, जिसे इसी महीने की 8 तारीख को चुनाव आयोग से मान्यता मिली है। विजय तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में उतरने का इरादा रखते हैं। वे सत्तारुढ़ डीएमके के विकल्प के तौर पर अपनी पार्टी को लोगों के बीच प्रस्तुत करना चाहते हैं। उनका कहना है कि अब वे फिल्मों से विदा लेंगे और पूरा जीवन लोगों के लिए राजनीति में लगा देंगे। इसी उद्देश्य से वे पूरे तमिलनाडु में जगह-जगह रैलियां कर रहे थे। बीते कुछ दिनों से थलपति विजय जिस तरह न केवल डीएमके बल्कि भाजपा के विरोध में भी बातें कर रहे थे और दावा कर रहे थे कि वे किसी भी तरह से भाजपा का समर्थन नहीं करने वाले हैं, उस वजह से उन पर काफी सुर्खियां बन रही थीं।

दुष्प्रचार भी प्रचार का एक तरीका ही है, इस लिहाज से देखा जाए तो लगता है कि विजय को एकदम से खबरों के केंद्र में लाने के पीछे भाजपा का प्रचार तंत्र भी काम कर रहा था। क्योंकि मीडिया में विपक्ष को आमतौर पर उतनी जगह अब नहीं मिलती है, जितनी विजय को मिली। अपनी अभिनेता वाली लोकप्रियता को विजय सफलतापूर्वक राजनीति में भुना पाएं, तो यह इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे विजय को सियासी फायदा मिले या न मिले, लेकिन भाजपा को लाभ हो जाता, क्योंकि तमिलनाडु में भाजपा का आधार कमजोर है और एआईएडीएमके के भरोसे वह चुनाव नहीं लड़ सकती। लिहाजा दिल्ली, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश की तरह तमिलनाडु में बी टीम खड़ा करना भाजपा के लिए जरूरी था। विजय इसी बी टीम का सबसे नया हिस्सा दिखाई दे रहे हैं। हालांकि जिस तरह से चुनावी पारी की शुरुआत में ही विजय का खेल बिगड़ा है, उसके बाद भाजपा की तमिलनाडु में आगे बढ़ने की उम्मीदें और कम हो गई हैं। लिहाजा अब आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरु हो गया है। टीवीके का कहना है कि वह मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै में बेंच में करूर रैली में हुई भगदड़ की स्वतंत्र जांच की मांग करेगी। पार्टी का आरोप है कि यह हादसा नहीं, बल्कि एक 'साज़िश' का नतीजा था।



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