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एक और तेजाब कांड, समाज पर सवाल

दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज के पास एक छात्रा पर तेजाब से हमले की घटना सामने आई है।

एक और तेजाब कांड, समाज पर सवाल
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दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज के पास एक छात्रा पर तेजाब से हमले की घटना सामने आई है। पीड़िता नॉन कॉलेजिएट वीमेन्स एजुकेशन बोर्ड के तहत शिक्षा हासिल कर रही है, वह कॉलेज की नियमित छात्रा नहीं है। रविवार को जब वह अपनी कक्षा के लिए जा रही थी, तभी कॉलेज परिसर के बाहर बाइक सवार युवकों ने उस पर तेजाब फेंका, अपने चेहरे को बचाने के लिए छात्रा ने हाथ ढंके तो उसके हाथ बुरी तरह जल गए। पीड़िता को इलाज के लिए राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत स्थिर और खतरे से बाहर है।

पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर ली है, जिसमें मुख्य आरोपी जितेंद्र के बारे में खबर है कि वह करीब एक महीने से छात्रा का पीछा कर रहा था। हालांकि इसमें गंभीर घटना में एक नया मोड़ तब आया, जब आरोपी जितेंद्र की पत्नी ने पीड़िता के पिता पर बलात्कार का इल्जाम लगाकर ब्लैकमेल करने की बात कही। आरोपी की पत्नी ने पुलिस में शिकायत की है, जिसके मुताबिक, वह एसिड अटैक पीड़िता के पिता के पास काम करती थी, जहां पीड़िता के पिता ने उसके साथ जबरन संबंध बनाए और फिर ब्लैकमेल करने लगा। पुलिस ने बलात्कार और ब्लैकमेल की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। अब पुलिस तेजाब के हमले के साथ-साथ आरोपी की पत्नी के लगाए बलात्कार के आरोप के मामले की भी जांच करेगी। इधर पीड़िता ने भी बयान दिया है कि आरोपी जितेंद्र की पत्नी उसे ऐसे कामों को करने के लिए उकसाती है। पीड़िता का कहना है कि उसकी आरोपियों से कुछ दिन पहले बहस हुई थी, क्योंकि उसने आरोपी की पत्नी से छेड़खानी की शिकायत की थी।

यह मामला एक तरफ देश में कानून व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर रहा है, वहीं समाज के बिखरते ताने-बाने को भी दिखा रहा है। बलात्कार के बदले के लिए तेजाब फेंकना आंख के बदले आंख वाली निकृष्ट सोच का परिचायक है। अगर एक महिला के साथ बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य हुआ है, तो इसकी सजा दोषी को जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन उसके परिवार की महिलाओं पर भयावह अत्याचार किसी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं कहा सकता। आरोपी की पत्नी ने पीड़िता पर तेजाब फेंके जाने के बाद खुद के साथ बलात्कार और ब्लैकमेलिंग की घटनाओं की बात क्यों कही, इस बारे में पहले ही अगर शिकायत दर्ज होती तो एक और निर्दोष युवती को तेजाब का शिकार होने से बचाया जा सकता था।

गौरतलब है कि देश में कड़े कानून के बावजूद महिलाओं पर तेजाबी हमलों के मामले रुक नहीं रहे हैं। राज्य बदलते हैं, कारण बदलते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए हिंसक सोच और हैवानियत भरे अपराध नहीं थमते।

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 124 के तहत अगर किसी भी इंसान पर तेजाब फेंककर, पिलाकर, या किसी भी अन्य तरीके से उसके शरीर को स्थायी या आंशिक नुकसान पहुंचाया जाता है, गंभीर चोट पहुंचाने की कोशिश होती है, इसे तेजाब का हमला माना जाएगा। ऐसे मामलों में आरोपी को 10 साल तक की सजा हो सकती है, और अलग से जुर्माना लग सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि पूरी दुनिया में तेजाब से हमलों के मामले एशियाई देशों में सबसे ज्यादा देखे गए हैं। उसमें भी बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, कोलंबिया और कंबोडिया वो प्रमुख देश हैं जहां सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत में पिछले पांच सालों में एसिड अटैक के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। एसिड सर्वाइवर फाउंडेशन के मुताबिक 70 प्रतिशत मामलों में पीड़ित कोई महिला ही होती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलॉजी इन्फर्मेशन ने तेजाब से हमले को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। 2024 में प्रकाशित हुई उस रिपोर्ट में बताया गया कि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश दो ऐसे राज्य रहे जहां पर सबसे ज्यादा एसिड अटैक के केस सामने आए। वहीं बात जब महानगरों की आती है तो राजधानी दिल्ली इस मामले में शीर्ष पर है। अच्छी बात ये है कि पहले की तुलना में तेजाब फेंकने की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन अगर एक भी ऐसा मामला दर्ज होता है, तो यह पूरे समाज के लिए चिंता करने की बात है।

महिलाओं पर तेजाब फेंककर बदला लेना असल में पुरुष सत्तात्मक समाज की उस घटिया मानसिकता का परिचायक है जो स्त्री को केवल उपभोग की सामग्री की तरह देखता है। एक इंसान के तौर पर स्त्री की गरिमा और सम्मान का महत्व इस समाज में नहीं होता है। हम बाहरी तौर पर कितने भी आधुनिक दिखाई दें, लेकिन महिलाओं को जकड़ी हुई पुरातन जंज़ीरों को तोड़ने का काम अब तक नहीं कर पाए हैं। स्त्री अगर किसी भी तरह पुरुष के आगे समर्पण करने से इंकार करे, उसकी बराबरी करे, खुद को दोयम दर्जे का न माने, तो उस पर तरह-तरह के लांछन लगाए जाते हैं, उसके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं और इसके बावजूद स्त्री को झुकाया न जा सके, तो फिर उसे तेजाब का शिकार बनाया जाता है। तेजाब फेंकने वाले स्त्री को केवल उसकी काया, उसके चेहरे का मोहताज बनाकर रखना चाहते हैं, इसलिए तेजाब से इन्हें विकृत कर वे स्त्री को समाज में उसकी कमजोर स्थिति का एहसास कराते हैं।

दिल्ली का यह मामला समाज को आईना दिखा रहा है कि अब भी समाज किस घृणित सोच के साथ चल रहा है।




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