भाजपा का डॉ.आम्बेडकर के बाद महिलाओं पर हमला
दिल्ली का विधानसभा चुनाव किस घटिया स्तर पर जाएगा यह भाजपा के कालका जी विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार रमेश बिधुड़ी ने बता दिया

- शकील अख्तर
अगर लगा कि बिधूड़ी की प्रियंका गांधी के खिलाफ इस निम्नतम स्तर की टिप्पणी से भाजपा कालकाजी में मुकाबले से बाहर हो जाएगी तो उनकी उम्मीदवारी छीनी भी जा सकती है। अभी तक माना जा रहा था कि कालकाजी में मुकाबला ओपन है। आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार मुख्यमंत्री हैं। इसलिए टक्कर उन्हीं से होगी। लेकिन किस की होगी भाजपा की या कांग्रेस की यह संशय था।
दिल्ली का विधानसभा चुनाव किस घटिया स्तर पर जाएगा यह भाजपा के कालका जी विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार रमेश बिधुड़ी ने बता दिया। शनिवार को टिकट मिलते ही उन्होंने कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी पर जो शर्मनाक टिप्पणी की वह बता रही है कि इस चुनाव में फिर भाजपा रामजादे हरामजादे और गोली मारो सालों को, के स्तर पर ले जा रही है। भाजपा उपयोग करती है मगर फिर फेंक देती है। संसद में अपशब्द कहने वाले रमेश बिधूड़ी की टिकट लोकसभा में काट दी थी, अब दिल्ली विधानसभा में दी है। ऐसे ही सोनिया गांधी माफी मांगों कहने वाली स्मृति ईरानी आज कहीं नहीं दिखतीं। चुनाव हारना कोई वजह नहीं होती। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी विधानसभा चुनाव हारे थे मगर भाजपा ने फिर भी मुख्यमंत्री बनाया। मगर स्मृति ईरानी जो दस साल तक लगातार नंबर टू नंबर थ्री कभी-कभी तो नंबर एक जैसा व्यवहार करने वाली मंत्री रहीं आज कहीं नहीं हैं। बहुत सारे नाम हैं। उमा भारती, विनय कटियार और इनकी क्या बात करें भाजपा संगठन के सबसे बड़े नेता आडवानी को एक मिनट में किनारे कर दिया गया था। मुरली मनोहर जोशी, तोगड़िया बहुत सारे नाम हैं।
तो अगर लगा कि बिधूड़ी की प्रियंका गांधी के खिलाफ इस निम्नतम स्तर की टिप्पणी से भाजपा कालकाजी में मुकाबले से बाहर हो जाएगी तो उनकी उम्मीदवारी छीनी भी जा सकती है। अभी तक माना जा रहा था कि कालकाजी में मुकाबला ओपन है। आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार मुख्यमंत्री हैं। इसलिए टक्कर उन्हीं से होगी। लेकिन किस की होगी भाजपा की या कांग्रेस की यह संशय था। मगर अब वहां भाजपा ने जिस को टिकट दिया और अगर चुनाव तक वहीं रहा तो निश्चित रूप से ही कांग्रेस की उम्मीदवार अलका लांबा जो वहां से चुनाव लड़ने से बचना चाह रही थीं उनका फायदा हो जाएगा। भाजपा अपने आप तीसरे नंबर पर और अगर कोई और निर्दलीय या किसी और पार्टी से कोई बड़ा चेहरा आ या तो फिर और नीचे चली जाएगी। जहां से दो महिलाएं चुनाव लड़ रही हों वहां एक राष्ट्रीय महिला नेता पर इस तरह की शर्मनाक टिप्पणी करने के बाद भाजपा कुल वोटों के आधे वोटों, महिला वोटों से तो वैसे ही वंचित रह जाएगी। महिलाएं ऐसे आदमी को कैसे वोट दे सकती हैं जो महिलाओं पर ऐसी घटिया टिप्पणी करे।
और यह असर केवल कालकाजी विधानसभा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों पर इसका असर होगा। संभव है भाजपा रमेश बिधूड़ी की वहां से उम्मीदवारी वापस ले ले और किसी महिला को वहां से टिकट दे दे। जो भी हो रमेश बिधूड़ी की राजनीति यहां से खत्म हो जाएगी। लोकसभा में गालियां देने के बाद दुनिया भर में उन्होंने भारत की संसदीय लोकतंत्र की प्रतिष्ठा धूमिल कर दी थी। नतीजा भाजपा को उनका लोकसभा का टिकट काटना पड़ा। लोकसभा हारने वाले को तो विधानसभा का टिकट दिया जाता है मगर लोकसभा का टिकट गलत व्यवहार के कारण काटने वाले को विधानसभा का नहीं। भाजपा लोकनिंदा से तो डरती है। मगर अंदर खाने ऐसे लोगों को बढ़ावा देती है। इसलिए विधानसभा दे दिया। लेकिन टिकट मिलने वाले दिन ही बिधूड़ी ने फिर गुल खिला दिया।
भाजपा के नेताओं को इस बात का भी डर लगता है कि दूसरी पार्टियों की महिला नेता के बारे में टिप्पणी करने की कभी प्रतिक्रिया भी हो सकती है। कोई वहां से उनके यहां के मामलों पर भी टिप्पणी कर सकता है। अभी 2024 लोकसभा चुनाव के पहले तक मोदीजी और पार्टी की स्थिति मजबूत थी। अगर कोई कुछ कहता तो उसका असर नहीं होता। व्यक्ति और पार्टी जब शिखर पर होते हैं। चढ़ता सूरज होते हैं तो आलोचनाएं चिपकती नहीं हैं। उलटे बूमरेंग कर जाती हैं। मणिशंकर अय्यर को सस्पेंड होना पड़ा था। मगर अब 240 पर रुकने के बाद मोदी जी और बीजेपी की वह आलोचनाओं से परे स्थिति नहीं है। अब अगर सवाल होंगे तो वह जवाब मांगेंगे। इसलिए बहुत संभव है कि विधानसभा लड़ने हारने से पहले ही बिधूड़ी की राजनीति खत्म हो जाए।
प्रियंका गांधी के खिलाफ शर्मनाक टिप्पणी कांग्रेस बर्दाश्त करेगी नहीं। उसका हर कार्यकर्ता प्रियंका में उम्मीदें देखता है। अपनी वापसी के लिए उनके करिश्माई व्यक्तित्व पर कांग्रेस बहुत भरोसा कर रही है। इन पर की गई टिप्पणी को वह इस तरह नहीं लेगी कि कोई बात नहीं कहने दो। ये लोग तो इसी तरह कहते रहते हैं। खुद प्रियंका भी ऐसे घटिया बयान देने वालों को छोड़ती नहीं हैं। बिधूड़ी को वह सीधे जवाब शायद न दें मगर जिस पार्टी से वह आता है उनके नेताओं से वे जरूर जवाब मांग सकती हैं। महिला अपमान का मुद्दा बना सकती हैं।
डा. आम्बेडकर के अपमान के बाद महिला अपमान का मुद्दा भाजपा को बहुत भारी पड़ेगा। आम जनता प्रियंका में इन्दिरा गांधी देखती है। और इन्दिरा के लिए आज भी गांव-गांव तक दूर दराज के इलाकों तक बहुत सम्मान है। उनकी छवि वाली प्रियंका गांधी पर ऐसी टिप्पणी किसी को भी बर्दाश्त नहीं होगी।
कांग्रेस तो उबली पड़ी है। कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेताओं तक सब इस अपमानजनक टिप्पणी पर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ लोग भाजपा के बचाव के लिए हेमा मालिनी पर लालू प्रसाद यादव की टिप्पणी को कोट कर रहे हैं। यह एक और आश्चर्य और पतनशील संस्कृति की बात है। क्या लालू यादव ने गलत किया तो भाजपा को भी यह करने का अधिकार मिल जाता है? यह सबसे वाहियत तर्क माना जाता है कि पहले भी ऐसा हुआ था। कोर्ट में यह तर्क देने वाले को जज बहुत सुनाते हैं। कि पहले भी अगर ऐसा हुआ है तो अब भी होगा इसका क्या मतलब है? पहले भी घटियापन हुआ है तो अब भी होगा? यह सिलसिला कभी रुकेगा नहीं!
लालू यादव ने जब हेमा मालिनी के लिए कहा तब भी इसका विरोध हुआ था। महिलाओं के प्रति जब भी कोई असम्मानजनक बात करता है तो उसका विरोध होता है। मगर यह बात कभी नहीं होती कि पहले ऐसा हो गया है तो अब होने में कहने में क्या है?
गलत तो गलत है। देश के मूल्यों को नष्ट करता है। अगर कहीं गालियां दी जाती हैं तो यह मतलब नहीं कि उसे सार्वजनिक रूप से दी जाने दी जाए। महिलाओं पर टिप्पणी किसी भी समाज के लिए गर्व की बात नहीं होती है। शर्म की ही बात होती है लेकिन हमारे यहां तो उच्चतम स्तर से ,प्रधानमंत्री के स्तर से 50 करोड़ की गर्ल फ्रेंड, जर्सी गाय, कांग्रेस की विधवा, सूर्पनखा, दीदी ओ दीदी जैसी जाने कितनी बातें कही गईं।
तो हम फिर दोहरा रहे हैं कि वह टाइम अलग था। मोदी का चढ़ता सूरज था। कुछ भी कह कर निकल लेते थे। आज नहीं हो पाएगा। लोकसभा में बहुमत नहीं है। बहुमत के लिए 272 चाहिए। सीधे 32 कम हैं। नीतीश कुमार ने अभी इधर-उधर करके बताया। चन्द्रबाबू नायडू या कोई भी और समर्थन देने वाला देख रहा है कि कब तक उसकी पार्टी और उसके हित सुरक्षित हैं। समर्थक भाग तो नहीं रहे। अपनी कीमत पर कोई मोदी का समर्थन नहीं करेगा।
चाहे आम्बेडकर के अपमान का मुद्दा हो या महिलाओं के, सब अपना हिसाब-किताब लगाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


