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2025 में होगा अति-दक्षिणपंथी विश्व राजनीति के नये युग का आरंभ

वर्ष 2025 में संयुक्त राज्य अमेरिका की सत्ता में आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहयोगी सलाहकार, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क के नेतृत्व में अति-दक्षिणपंथी वैश्विक राजनीति के उभार का एक नया युग देखने को मिलेगा

2025 में होगा अति-दक्षिणपंथी विश्व राजनीति के नये युग का आरंभ
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- नित्य चक्रवर्ती

डोनाल्ड ट्रम्प के पास पहले से ही यूरोप और लैटिन अमेरिका के कई देशों में उनके रोल मॉडल हैं। अब ट्रम्प मॉडल को यूरोप के देशों पर एलन मस्क के फंड और ट्रम्प समर्थक दक्षिणपंथी ताकतों को बड़ी वित्तीय सहायता के माध्यम से लागू किया जा रहा है। 2025 में लक्ष्य जर्मनी में 23 फरवरी को और फ्रांस में जुलाई 2025 में होने वाले आम चुनाव हैं।

वर्ष 2025 में संयुक्त राज्य अमेरिका की सत्ता में आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहयोगी सलाहकार, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क के नेतृत्व में अति-दक्षिणपंथी वैश्विक राजनीति के उभार का एक नया युग देखने को मिलेगा। यह ट्रम्प के ब्रांड को टेस्ला के सीईओ के बड़े पैसे और तकनीकी कौशल के साथ मिलाने वाला एक अनूठा संयोजन होगा। अमेरिका के इतिहास में पहले कभी ऐसा शक्तिशाली संयोजन नहीं आया, जो मध्यमार्गी, उदारवादी और वामपंथी शासन और विचारों को चुनौती दे रहा हो।

डोनाल्ड ट्रम्प के पास पहले से ही यूरोप और लैटिन अमेरिका के कई देशों में उनके रोल मॉडल हैं। अब ट्रम्प मॉडल को यूरोप के देशों पर एलन मस्क के फंड और ट्रम्प समर्थक दक्षिणपंथी ताकतों को बड़ी वित्तीय सहायता के माध्यम से लागू किया जा रहा है। 2025 में लक्ष्य जर्मनी में 23 फरवरी को और फ्रांस में जुलाई 2025 में होने वाले आम चुनाव हैं। केनेडा में इस साल 20 अक्टूबर को चुनाव होने हैं। ट्रूडो सरकार को हटाने और ट्रम्प शासन के अनुकूल सरकार लाने में ट्रम्प और मस्क दोनों का बड़ा दांव है।

डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे। इसके ठीक एक महीने बाद, जर्मनी में 23 फरवरी को महत्वपूर्ण चुनाव होने जा रहे हैं। जर्मन चांसलर ओलॉफशुल्ट्ज को अपनी सरकार के पतन के बाद चुनाव कराने के लिए सहमत होना पड़ा। दक्षिणपंथी पार्टी एएफडीसीडीयू/सीएसयू के बाद दूसरी पार्टी बनने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार कर रही है जो अभी भी जनमत सर्वेक्षण में शीर्ष पर है। सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी), ग्रीन्स और नयी वामपंथी बीएसडब्ल्यू तीसरे स्थान के लिए लड़ रहे हैं।

जर्मन सरकार ने एलन मस्क पर देश के चुनाव अभियान में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का बार-बार समर्थन किया है। एलन मस्क ने बहुत सारा धन जुटाया है और एएफडी के कुछ उम्मीदवारों के अभियान को प्रायोजित किया है, जो खुले तौर पर ट्रंप के समर्थक हैं। मस्क के एक्स पोस्ट और सप्ताहांत में मुस्लिम विरोधी, प्रवास विरोधी अल्टरनेटिव फॉर ड्यूशलैंड (एएफडी) का समर्थन करने वाले एक राय लेख के बाद सरकारी प्रवक्ता क्रिस्टयन हॉफमैन ने कहा, 'यह वास्तव में एलन मस्क द्वारा संघीय चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश का मामला है।'

मस्क ने अक्सर जर्मन राजनीति पर टिप्पणी की है। यहां तक कि पिछले महीने उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चांसलर ओलॉफशुल्ट्ज को 'मूर्ख' कहा था। हालांकि, हाल ही में उन्होंने जर्मन मतदाताओं से एएफडी का समर्थन करने का आह्वान किया, जिसे संघीय अधिकारी एक संदिग्ध चरमपंथी पार्टी के रूप में वर्गीकृत करते हैं, जिससे नाराजगी और यूरोप की शीर्ष अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप करने के आरोप भड़क उठे हैं। मस्क ने खुलेआम घोषणा की है कि 23 फरवरी को चुनाव जीतने पर केवल एएफडीही जर्मनी को बचा सकता है।

ट्रंप-मस्क की जोड़ी की इस स्थिति ने सेंटर राइट सीडीयू/सीएसयू पार्टी को बेचैन कर दिया है क्योंकि उनके नेताओं को लगता है कि एएफडी उनके दक्षिणपंथी आधार को आक्रामक रूप से नष्ट कर देगा और चुनाव से पहले इसे कमजोर कर देगा। जर्मनी में चुनावों में बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है और मस्क और उनके सहयोगियों से प्राप्त धन से लबालब एएफडीअन्य दावेदारों के अभियान को पीछे छोड़ते हुए एक बड़े अभियान पर है।

वास्तव में एलन मस्क ने ब्रॉडशीट अखबारवेल्टएमसोनटैग में एक अतिथि संपादकीय लिखा था जिसमें तर्क दिया गया था कि जर्मनी आर्थिक और सांस्कृतिक पतन के कगार पर है। उन्होंने अपने लेख में कट्टरपंथ के आरोपों के खिलाफ एएफडी का बचाव किया और विनियमन और कर नीति सहित अर्थव्यवस्था के प्रति पार्टी के दृष्टिकोण की प्रशंसा की। चांसलर मज़र् के लिए सीडीयू/सीएसयू के चेहरे ने कहा, 'मैं पश्चिमी लोकतंत्रों के इतिहास में किसी मित्र देश के चुनाव अभियान में हस्तक्षेप का तुलनीय मामला याद नहीं कर सकता।'

अब तक, जर्मनी की सभी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां एएफडी को सत्ता में नहीं आने देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल ही में हुए क्षेत्रीय चुनावों में, सीटों की संख्या में बढ़त के बावजूद एएफडी को सरकार में शामिल नहीं होने दिया गया। लेकिन अगर एएफडी को सीडीयू/सीएसयू के नंबर एक स्थान के करीब सीटें मिलती हैं, तो स्थिति बदल सकती है। अभी एएफडी को 19 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रखा गया है, जबकि सीडीयू /सीएसयू को 31 प्रतिशत वोट मिले हैं। एसपीडी, वामपंथी बीएसडब्ल्यू और डाईलिंके सभी एएफडीसे बहुत पीछे हैं। अभी तक, इस बात की संभावना बनी हुई है कि नयी संसद में एएफडी बहुमत के आंकड़े से बहुत पीछे रह जायेगी और गैर-दक्षिणपंथी ताकतों का एक संयोजन एएफडी को नयी जर्मन सरकार का हिस्सा बनने से रोक सकता है। अब सब कुछ अंतिम चुनाव परिणामों पर निर्भर करता है।

फ्रांस में, जुलाई 2024 में हुए पिछले चुनावों के एक साल बाद जुलाई 2025 में राष्ट्रीय चुनाव होने की संभावना है। प्रधानमंत्री फ्रेंकोइस बायरू का कमजोर गठबंधन अस्तित्व के लिए दक्षिणपंथी मैरी ले पेन की नेशनल रैली पार्टी के समर्थन पर निर्भर है। ले पेन जल्दी चुनाव चाहते हैं और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने संकेत दिया है कि एक साल पूरा होते ही वे चुनाव की घोषणा कर देंगे। फ्रांस में ले पेन को ट्रंप का क्लोन माना जाता है और उनकी पार्टी को ट्रंप और मस्क का पूरा समर्थन मिल रहा है। पेरिस में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही मस्क ले पेन की मदद के लिए अपना अभियान शुरू कर देंगे। ब्रिटेन में पिछले संसदीय चुनावों में 14 प्रतिशत वोट पाने वाली निगेलफरेज की रिफॉर्म पार्टी उभर कर सामने आ रही है।

ब्रिटेन में लेबर पार्टी के लिए दक्षिणपंथी विकल्प और मुख्य विपक्ष के रूप में उभर रहे हैं। फरेज ने हाल ही में यूएसए में डोनाल्ड ट्रम्प और एलन मस्क से मुलाकात की और यह निर्णय लिया गया कि ट्रम्प रिफॉर्म पार्टी और फरेज को लेबर पार्टी के मुख्य विपक्ष के रूप में उभरने के लिए सभी सहायता देंगे। 1000 लाख अमेरिकी डॉलर की शुरुआती फंडिंग पर सहमति बनी। वास्तव में फरेज ब्रिटिश राजनीति में ट्रम्प मॉडल होंगे।

अभी ट्रम्प-मस्क कॉम्बो का ध्यान जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन पर है। अब तक, यूरोपीय देशों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए दक्षिणपंथियों द्वारा ऐसा व्यापक प्रयास कभी नहीं हुआ। 2025 में यूरोप के मध्यमार्गियों, उदारवादियों और वामपंथियों को हाथ मिलाने और एकजुट होकर दक्षिणपंथियों से लड़ने के लिए जागना चाहिए। समय बदल रहा है।


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