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ईडी ने बालासोर अलॉयज लिमिटेड की 245 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बालासोर अलॉयज लिमिटेड की 244.89 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां जब्त कर ली हैं

ईडी ने बालासोर अलॉयज लिमिटेड की 245 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की
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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बालासोर अलॉयज लिमिटेड की 244.89 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां जब्त कर ली हैं। शनिवार को जारी एक बयान में यह जानकी दी गई। बयान के अनुसार, इन संपत्तियों के शेयरधारकों मेंग्लोबल स्टील होल्डिंग लिमिटेड (जीएसएचएल) और उसके अध्यक्ष प्रमोद कुमार मित्तल हैं। राज्य व्यापार निगम से 2,112 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में मित्तल के खिलाफ जांच चल रही है।

एजेंसी ने बालासोर अलॉयज की संपत्ति जब्त की, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत विभिन्न भारतीय और विदेशी प्रमोटरों एवं निवेशक कंपनियों के माध्यम से 30.35 प्रतिशत शेयर मित्तल और जीएसएचएल के पास है।

ईडी के एक बयान में कहा गया है, "बालासोर अलॉयज में मित्तल और जीएसएचएल के शेयरों में इमारत, संयंत्र और मशीनरी शामिल हैं। इनकी कुल कीमत 244.89 करोड़ रुपये है, जिसे अपराध के लिए जब्त कर लिया गया।"

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 16 मार्च को प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके बाद ईडी ने 29 मार्च को मित्तल, जीएसएचएल और राज्य व्यापार निगम (एसटीसी) के अधिकारियों के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था।

अपनी जांच में सीबीआई ने पाया कि जीएसएचएल ने एसटीसी से एक वित्तपोषण सुविधा की मांग की थी, जो वित्तीय स्थिति की जांच किए बिना कंपनी को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सहमत हो गई।

बयान में कहा गया है, "जीएसएचएल ने फिलीपींस स्थित इस्पात संयंत्रों के लिए नकदी और उधारी पर कच्चे माल की खरीद के लिए वित्तपोषण सुविधा का लाभ उठाया। समझौते के मुताबिक, कच्चे माल और सामान को एसटीसी के भुगतान पर ही उठाया जाना था, जबकि भुगतान के बिना ही कच्चे माल की आपूर्ति की जा रही थी।"

बयान में आगे कहा गया है, "इस प्रकार से भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करके जीएसएचएल का समर्थन किया गया और सहयोगियों द्वारा भुगतान में कमी के बावजूद एसटीसी ने स्वयं को वित्तीय जोखिमों को अधीन रखा और लेनदेन को भी आगे बढ़ाया। भुगतान की कुल राशि बढ़कर करीब 2,112 करोड़ रुपये हो गई।"

मित्तल पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि वह एसटीसी के साथ समझौते के नियमों और शर्तों के मुताबिक भुगतान नहीं कर पाए हैं।


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