ईडी ने 2,654 करोड़ रुपये के घोटाले में वडोदरा की कंपनी पर छापे मारे
ईडी ने 11 बैंकों के कंसोर्टियम से वित्त वर्ष 2016-17 में लिए गए कर्ज को नहीं चुकाने के मामले में वडोदरा की डायमंड पॉवर इंफ्रास्ट्रकचर लि. (डीपीआईएल) और उसके निदेशकों के यहां छापे मारे

नई दिल्ली। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 11 बैंकों के कंसोर्टियम से वित्त वर्ष 2016-17 में लिए गए कर्ज को नहीं चुकाने के मामले में वडोदरा की डायमंड पॉवर इंफ्रास्ट्रकचर लि. (डीपीआईएल) और उसके निदेशकों के यहां छापे मारे। इस कर्ज को अब गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया गया है।
ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर के आधार पर एक मनी लॉन्डरिंग केस दर्ज किया और कंपनी के फैक्ट्रियों के परिसर और फर्म के निदेशकों के घरों पर छापे मारे।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 मार्च को डीपीआईएल, इसके संस्थापक सुरेश नारायण भटनागर और उनके बेटे और इस कंपनी के निदेशक अमित और सुमित के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। केंद्रीय एजेंसी ने आरोपी लोगों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है जिनकी अग्रिम जमानत याचिका पर अहमदाबाद की अदालत में मंगलवार को सुनवाई होगी।
एफआईआर के मुताबिक, केबल और अन्य विद्युत उपकरणों के निर्माण करनेवाली कंपनी डीपीआईएल ने 2008 में 11 बैंकों के कंसोर्टियम से धोखाधड़ी से ऋण की सुविधा हासिल की थी। इस कंपनी पर 29 जून, 2016 तक कुल 2,654.40 करोड़ रुपये बकाया था।
बयान में कहा गया कि इस तथ्य के बावजूद कि कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक की डिफाल्टर सूची में दिख रही थी और उसके खिलाफ बैंकों को सावधानी बरतने की सलाह जारी की गई थी। डीपीआईएल कंसोर्टियम से और अधिक कर्ज प्राप्त करने में सफल रही।
डीपीआईएल ने बैंक ऑफ बड़ौदा (348.9 9 करोड़ रुपये), आईसीआईसीआई (279.46 करोड़ रुपये), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (266.37 करोड़ रुपये), एक्सिस बैंक (255.32 करोड़ रुपये), इलाहाबाद बैंक (227.96 रुपये), देना बैंक (177.1 9 करोड़ रुपये), कॉपोर्रेशन बैंक (109.12 करोड़), एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया (81.92 करोड़ रुपये), आईओबी (71.5 9 रुपये) और आईएफसीआई (58.53 करोड़) से कर्ज लेकर घोटाला किया।


