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मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम आर्थिक विकास दर रसातल की ओर : रमेश वर्ल्यानी

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता पूर्व विधायक एवं आर्थिक मामलों के जानकार रमेश वर्ल्यानी ने भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत लुढक़ जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है

मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम आर्थिक विकास दर रसातल की ओर : रमेश वर्ल्यानी
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रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता पूर्व विधायक एवं आर्थिक मामलों के जानकार रमेश वर्ल्यानी ने भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत लुढक़ जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह देश की इतिहास की पहली घटना है जब देश की अर्थव्यवस्था इतने निचले पायदान पर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था पर आंच नहीं आने दी थी और वर्ष 2013 में भी विकास दर 8 प्रतिशत की ऊंचाई पर रही। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरासत में मिली 8 प्रतिशत ग्रोथ वाली अर्थव्यवस्था को गति देने के बजाय अपनी तुगलकी आर्थिक नीतियों और आर्थिक कुप्रबंधन के चलते इसे रसातल में पहुंचा दिया।

कोरोनाकाल के पहले ही देश आर्थिक मंदी के संकट से गुजर रहा था। इसकी शुरूआत मोदी सरकार की नोटबंदी से हुई जिसके परिणाम स्वरूप 2017-18 में ही विकास दर गिरकर 7 प्रतिशत हो गई और फिर जीएसटी ने व्यापार उद्योंगो को चौपट कर दिया जिसके चलते विकास दर 2018-19 में लुढक़ कर 6.12 प्रतिशत पर आ गयी। कोरोनाकाल के पहले दौर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिना विचार विमर्श के जिस ढंग से मात्र 6 घंटे के नोटिस पर देश व्यापी लॉकडाउन देश पर थोप दिया। उसने देश की अर्थव्यवस्था का भट्टा ही बैठा दिया। उद्योग-व्यापार चौपट हो गये, रेल-बस सेवायें बंद हो गई। करोड़ों मजदूर बेरोजगारी के गर्त में ढकेल दिये गये। देश ने प्रवासी मजदूरो की लाचारी बेबसी और बदहाली को देखा है।

कोरोना की पहली लहर से सबक लेने के बजाय मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाही से देश कोरोना की दूसरी लहर की गिरफ्त में आ गया। ऑक्सीजन, दवाईयों एवं अस्पताल में बेड न मिलने तथा इलाज के अभाव में लाखो भारतीय मौत के आगोश में समा गये। देश के उद्योग-व्यापार पर पुन: संकट आ गया, बेरोजगारी देश में पहली बार 23 प्रतिशत के उच्चतम शिखर पर पहुंच गई। लेकिन मोदी सरकार ने राहत के नाम पर 20 लाख करोड़ का कथित आर्थिक पैकेज घोषित किया जो वास्तव में लोन पैकेज था। इससे देश की अर्थव्यवस्था को कोई गति नहीं मिली। यदि समय रहते मोदी सरकार ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सुझाव को स्वीकार कर गरीबों के खातें में नगद राशि डाल दी होती तो देश की अर्थव्यवस्था में ऐसी गिरावट नहीं आती। अमेरिका ने कोरोना काल में प्रत्येक अमरीकी को 11 लाख रू. की डायरेक्ट ट्रांसफर बेनी फीट दिया है जिसने वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की।

छत्तीसगढ़ मॉडल से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई मिली

प्रवक्ता रमेश वर्ल्यानी ने बताया कि कोरोनाकाल में आर्थिक मंदी का छत्तीसगढ़ पर असर इसलिये नहीं हुआ क्योंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव न्याय योजना के माध्यम से 5400 करोड़ रू. सीधे किसानो के खाते में डलवाए और उनके हाथों में क्रय-शक्ति दी। किसानों की क्रय-शक्ति ने ही प्रदेश के व्यापार उद्योग को चमक दी। रियल स्टेट, आटोमोबाईल, कपड़ा, रेडीमेड, सराफा बाजार में ग्रोथ देखने को मिली। गांव के गरीब लोगो के जीविकोपार्जन के मुफ्त राशन दिया। एपीएल परिवारों को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया। प्रत्येक व्यक्ति को निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई, छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में बेड दवाइयां एवं ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होने दी। छत्तीसगढ़ ने सरप्लस ऑक्सीजन देश के अन्य राज्यों को प्रदान की ।

श्री वर्ल्यानी ने मोदी सरकार को आगाह किया कि वे अहम और अहंकार से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ मॉडल को अपनाकर देश को आर्थिक बदहाली के गर्त में जाने से बचाएं।


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