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कोरोना से मुड़िया पूनो मेले पर लगा ग्रहण

देश दुनिया में उथल पुथल मचाने वाला सूक्ष्म विषाणु कोविड-19 के कारण गोवर्धन में हर साल लगने वाले मुड़िया पूनो मेले के स्थगन से सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को ग्रहण लग गया है।

कोरोना से मुड़िया पूनो मेले पर लगा ग्रहण
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मथुरा। देश दुनिया में उथल पुथल मचाने वाला सूक्ष्म विषाणु कोविड-19 के कारण गोवर्धन में हर साल लगने वाले मुड़िया पूनो मेले के स्थगन से सैकड़ों साल पुरानी परंपरा को ग्रहण लग गया है। यह मेला एक से पांच जुलाई तक प्रस्तावित था।

मुड़िया पूनो मेला जहां श्रद्धालुओं के लिए अति महत्वपूर्ण होता है वहीं गोवर्धन जैसे छोटे कस्बे में मेला लगने से व्यापारिक गतिविधियों को गति मिल जाती है। मेले को स्थगित करने के लिए गोवर्धन की सप्तकोसी परिक्रमा में पड़ने वाले ग्रामों के प्रधानो, व्यापारियाें एवं समाज सेवियों ने जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र से अनुरोध किया था। उन्होंने एडीएम एस के त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर उससे रिपोर्ट लेकर परिक्रमा को इस बार के लिए स्थगित कर दिया।

मेले के संबंध में धार्मिक पक्ष का जिक्र करते हुए भागवताचार्य विभू महराज ने बताया कि मान्यता है कि सनातन गोस्वामी वृन्दावन से रोज गोवर्धन तक पैदल जाकर पैदल चलना पड़ता था। जब वे वृद्ध हो गए तो एक बार परिक्रमा करते करते थककर वे बैठ गये। चूंकि भगवान अपने सच्चे भक्त का कष्ट नही देख सकते इसलिए वे एक बालक के रूप में प्रकट होकर सनातन गोस्वामी के पास आए और ब्रजभाषा में उनसे कहा कि वे वृद्ध हो गए हैं इसलिए अब वे गोवर्धन की परिक्रमा न किया करें। इतना सुनते ही सनातन के अश्रुधारा बह निकली।

बुजुर्ग ने बालक से कहा कि वे परिक्रमा करना बन्द नही करेंगे तो चतुर्भुज स्वरूप में ठाकुर जी प्रकट हो गए। उन्होंने कहा कि सनातन अब तुम वृद्ध हो गए हो इसलिए अब गोवर्धन की परिक्रमा न किया करो। सनातन के आंसू बन्द नही हो रहे थे तथा रूंधे गले से उन्होंने जब कहा कि यह उनके लिए मुश्किल काम है तो ठाकुर ने पास से ही एक शिला उठा ली और उस पर अपने चरण कमल रख दिए तो शिला मोम की तरह पिघल गई और उनके चरण कमल के चिन्ह उसमें अंकित हो गए।

इसके बाद उन्होंने वंशी बजाकर सुरभि गाय को बुलाया और उसका एक खुर उसमें रखवाकर उसका चिन्ह अंकित करा दिया । इसके बाद ठाकुर जी ने इसी शिला पर अपनी वंशी एव लकुटी रख दी तो उसके भी चिन्ह उस शिला पर अंकित हो गए। ठाकुर ने इसके बाद उस शिला को सनातन को दे दिया और कहा कि वे वृन्दावन में जहां रहते हों वहां इस शिला को रख लें। रोज इसकी यदि वे चार परिक्रमा करेंगे तो उनकी गोवर्धन की एक परिक्रमा हो जाएगी। सनातन ने अपने शेष जीवन में इस शिला की परिक्रमा भक्ति भाव से करके गिर्राज परिक्रमा का आनन्द लिया। आज भी यह शिला वृन्दावन के राधा दामोदर मंदिर में रखी है तथा वृन्दावनवासी नित्य इसकी चार परिक्रमा कर स्वयं को धन्य करते हैं।

सनातन गोस्वामी के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके शिष्यों ने सिर मुड़ाकर गाते बजाते मानसी गंगा की परिक्रमा की । सनातन गोस्वामी की तरह ही स्वयं प्रभु के आशीर्वाद की कामना से देश विदेश के कोने कोने से श्रद्धालु आकर विपरीत मौसम में भी हर साल मुड़िया पूनो मेले में आकर गिरि गोवर्धन की परिक्रमा भक्ति भाव से करते हैं।

पिछले वर्ष से जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने यह प्रयास किया था कि इस मेले में विदेशी कृष्ण भक्त भी आने लगे। इसीलिए उन्होंने हेलीकाप्टर परिक्रमा शुरू कराई थी। इसी श्रंखला में कुछ और कार्यक्रम इस वर्ष हो सकते थे लेकिन कोरोना ने इस पर पानी फेर दिया। इस मेले में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु परिक्रमा करते है इसलिए रेल और सड़क मार्ग से सरकार को बहुत अधिक आमदनी हो जाती थी। मेले के लगभग एक सप्ताह तक अनवरत चलने से व्यापारियों को अच्छी आमदनी हो जाती थी। इसका लाभ पंडो, पुजारियों, निजी वाहन चालकों आदि को भी मिलता था तथा धार्मिक लोग इस अवसर पर भंडारों का आयोजन कर अपनी मनोकामना पूरी करते थे।

इस बार कोरोना वायरस के कारण गोवर्धन के मंदिर लम्बे समय से अभी तक बन्द हैं। मेला न होने से जहां भक्त परिक्रमा नही कर सकेंगे तथा मंदिरों में दर्शन नही कर सकेंगे वहीं उक्त के अतिरिक्त कई अन्य वर्ग के लोगों को आर्थिक नुकसान होगा। इस सबके बावजूद ब्रजवासियों का मानना है कि उनका ठाकुर बड़ा दयालु है और वह मेले में होनेवाली हानि की भरपाई यमुना के तट पर मुरली बजाकर ब्रजवासियों को ब्याज समेत अवश्य कराएगा।


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