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चुनाव आयोग ने मीडिया के लिए जारी किये दिशा निर्देश

 चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया को धर्म, संप्रदाय और जाति के नाम पर भाषणों को कवर न करने तथा पेड न्यूज पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये हैं।

चुनाव आयोग ने मीडिया के लिए जारी किये दिशा निर्देश
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नयी दिल्ली। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया को धर्म, संप्रदाय और जाति के नाम पर भाषणों को कवर न करने तथा पेड न्यूज पर रोक लगाने के निर्देश जारी किये हैं। इसके साथ ही चुनावी सर्वेक्षणों को भी सावधानीपूर्वक जारी करने की सलाह दी है।

आयोग ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों को देखते हुए आज मीडिया के लिए विशेष तौर पर जारी किये गए दिशा-निर्देशों में कहा है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में उल्लिखित नियमों के तहत साम्प्रदायिक या जाति के आधार पर चुनाव अभियान पर प्रतिबंध है। इसलिए प्रेस को ऐसी रिपोर्ट नहीं पेश करनी चाहिए, जो धर्म, वंश, जाति, सम्प्रदाय या भाषा के आधार पर जनता के बीच नफरत या दुश्मनी की भावना को बढ़ावा देती हो।

प्रेस को चुनाव में किसी उम्मीदवार की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए उम्मीदवार या उसके संबंधी के चरित्र और व्यक्तिगत आचरण या किसी उम्मीदवार की नाम वापसी या उसकी उम्मीदवारी के संबंध में कोई झूठा या आलोचनात्मक बयान प्रकाशित करने से बचना चाहिए । जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के लिए तय समय से 48 घंटे पूर्व अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी प्रकार के उपकरण के साथ-साथ किसी अन्य माध्यम द्वारा चुनाव सामग्री को प्रदर्शित करने की मनाही है।

कोई भी व्यक्ति अगर इन प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसे दो वर्ष का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों होगा। इस धारा में ‘चुनाव सामग्री’ की अभिव्यक्ति का अर्थ है, किसी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के आशय वाली सामगी नहीं होनी चाहिये। आयोग एक बार फिर यह दोहराता है कि टीवी /रेडियो चैनल और केबल नेटवर्क यह सुनिश्चित करें कि धारा 126 में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि के दौरान टेलीकास्ट/प्रसारित/प्रदर्शित कार्यक्रमों की विषयवस्तु में पैनल व्यक्तियों/प्रतिभागियों के विचार / अपील सहित ऐसी कोई सामग्री नहीं होनी चाहिए, जो किसी पार्टी विशेष या उम्मीदवार की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने वाली / पक्षपातपूर्ण या चुनाव के परिणाम को प्रभावित करती हो।

इस संबंध में जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126-अ की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें उल्लिखित अवधि के दौरान पहले चरण में मतदान शुरू होने के लिए निर्धारित समय में और सभी राज्यों में आखिरी चरण में मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के आधे घंटे बाद एक्जिट पोल आयोजित करने और उनके परिणाम प्रसारित करने पर प्रतिबंध है। धारा 126 या धारा 126-अ के अंतर्गत आने वाली अवधि के दौरान संबंधित टीवी/ रेडियो/केबल/एफएम चैनल प्रसारण संबंधित घटनाओं को आयोजित करने के लिए राज्य/जिला/स्थानीय पदाधिकारियों से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे घटनाएं शालीनता, साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा केबल नेटवर्क (विनियम) अधिनियम के अधीन उल्लिखित आचरण एवं व्यवहार के मॉडल कोड के प्रावधानों की भी पुष्टि करें।

उन्हें पेड़-न्यूज एवं संबंधित मामलों के संबंध में आयोग के दिनांक 27 अगस्त 2012 के दिशा निर्देशों के प्रावधानों के अंतर्गत बने रहना भी अपेक्षित है। संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी / जिला निर्वाचन अधिकारी ऐसी अनुमति देते समय कानून एवं व्यवस्था सहित सभी संबंधित पहलुओं को ध्यान में रखेंगे। समस्त प्रिंट मीडिया का ध्यान चुनाव के दौरान भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी निम्नलिखित दिशा निर्देशों के अनुपालन की ओर आकर्षित किया जाता है-चुनाव और उम्मीदवारों के बारे में उद्देश्यपूर्ण रिपोर्ट देना प्रेस का कर्तव्य है।

चुनाव के दौरान समाचार पत्रों से गलत चुनाव अभियान, किसी व्यक्ति/पार्टी या घटना के बारे में अतिश्‍योक्तिपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित करने की उम्मीद नहीं है । प्रचलन के अनुसार नजदीकी मुकाबले के दो या तीन उम्मीदवार मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं। वास्तविक अभियान की रिपोर्ट करते समय समाचार पत्र को उम्मीदवार द्वारा उठाए गए मुख्य मुद्दे को नहीं छोड़ना चाहिए और उसके विरोधी पर हमला नहीं बोलना चाहिए।


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