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मप्र में ईसी ने किए फर्जी मतदाताओं के आरोप खारिज

निर्वाचन आयोग ने एक जांच के बाद मध्यप्रदेश की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं के पंजीकरण होने के कांग्रेस के आरोप खारिज कर दिए हैं

मप्र में ईसी ने किए फर्जी मतदाताओं के आरोप खारिज
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नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने एक जांच के बाद मध्यप्रदेश की मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं के पंजीकरण होने के कांग्रेस के आरोप खारिज कर दिए हैं। मतदाता सूची में 60 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम शामिल होने के कांग्रेस के आरोप पर आयोग ने दो अंतर अनुशासनात्मक टीमें गठित की थी।

कांग्रेस को आठ जून को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है, "जमीनी स्तर से संकलित किए गए सबूत और मध्यप्रदेश की मतदाता सूची की प्रविष्टियों/मतदान में बड़े पैमाने पर नकली, दोहरे, एकाधिक, अवैध, फर्जीवाड़ा होने की शिकायत मापदंडों पर आधारित नहीं है और सही नहीं है।"

आयोग ने कहा कि तीन जून को मिली शिकायत के बाद तत्काल सूचीबद्धता के आधार पर नरेला, होशंगाबाद, भोजपुर और सिवनी-मालवा विधानसभा क्षेत्रों में टीमें भेजी थी।

आयोग ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को समयबद्ध तरीके से सभी अन्य विधानसभा सीटों से मिल रही शिकायतों पर 'सघन सत्यापन' करने का निर्देश दिया है।

अंतर अनुशासनात्मक टीम द्वारा दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस द्वारा आरोपित सिवनी-मालवा क्षेत्र की 2,442 प्रविष्टियों में से 2,397 प्रविष्टियां सही पाई गईं, जबकि 45 प्रविष्टियों को हटाने की प्रक्रिया चल रही है।

होशंगाबाद क्षेत्र में, कथित रूप से 552 गलत प्रविष्टियों में से सत्यापन में एक भी एकाधिक प्रविष्टयां नहीं पाई गईं। आयोग की टीम को 36 में से 29 मामले सही लगे और बाकी सात को हटाने की प्रक्रिया चल रही है।

आयोग ने कहा कि 'इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर एकाधिक (मल्टीपल) प्रविष्टयां नहीं पाई गईं।'

पत्र के अनुसार, "मतदाता सूची की दूसरी प्रति की शिकायत के मामले में यह देखा गया कि मध्यप्रदेश में मतदाताओं की संख्या में 'अस्पष्ट' बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2008 में मतदाता आबादी अनुपात 52.76 प्रतिशत था, जो 2018 में बढ़कर 61.45 प्रतिशत हो गया।"

आयोग ने कहा, "इसे जनगणना आंकड़े के परिप्रेक्ष्य और संख्या में वार्षिक बढ़ोतरी के आधार पर देखा गया और इसमें कुछ भी असामान्य नहीं था।"

आयोग के अनुसार, इस तरह से यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि मौजूदा मतदाता सूची पर विवाद का कोई आधार नहीं है।


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