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अंतर्राज्यीय माल ढुलाई के लिए एक अप्रैल से ई-वे बिल अनिवार्य

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शनिवार को अंतिम निर्णय लिया कि एक अप्रैल 2018 से देशभर में अंतर्राज्यीय ई-वे बिल लागू होगा

अंतर्राज्यीय माल ढुलाई के लिए एक अप्रैल से ई-वे बिल अनिवार्य
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नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने शनिवार को अंतिम निर्णय लिया कि एक अप्रैल 2018 से देशभर में अंतर्राज्यीय ई-वे बिल लागू होगा। हालांकि रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया पर परिषद में सहमति नहीं बन पाई और जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-1 की मौजूदा व्यवस्था को अगले तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया।

परिषद ने निर्यातकों के लिए आयातित वस्तुओं पर कर छूट के लाभ को भी अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया। साथ ही, रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म को अमल में लाने को भी तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया।

जीएसटी परिषद की 26वीं बैठक के बाद जेटली ने कहा, "अंतर्राज्यीय ई-वे बिल राज्यों के चार समूहों के साथ चरणों में लागू होगा। एक अप्रैल के बाद हर सप्ताह एक के बाद एक समूह इसके अधीन आ जाएगा और अप्रैल के अंत तक पूरे देश में इसे लागू करने का प्रयास किया जाएगा।"

ज्यादा से ज्यादा एक जून तक हर राज्य को अंतर्राज्यीय ई-वे विल लागू करना ही होगा।

इससे पहले 24 फरवरी को बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह की बैठक में अंतर्राज्यीय माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल एक अप्रैल से अनिवार्य रूप से लागू करने की सिफारिश की गई थी।

जीएसटी व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं की ढुलाई के लिए ई-वे बिल तैयार करने और उसे मालवाहक वाहन के साथ ले जाने की जरूरत है।

जीएसटी परिषद ने स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के प्रावधानों को भी रद्द कर दिया है।

जेटली ने यह भी कहा कि परिषद ने रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया के लिए दो वैकल्पिक विधियों पर विचार किया है। लेकिन इस संबंध में अब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है।

जेटली ने बताया, "रिटर्न दाखिल करने की मौजूदा प्रक्रिया को अगले तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।"

उन्होंने कहा कि मंत्रियों के समूह और सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ आज विमर्श किए गए मॉडल की जांच करेंगे, जिसके बाद अमल में लाने पर निर्णय लिया जाएगा।

रिवर्स चार्ज मेकै निज्म लागू करने का फैसला भी अगले तीन महीने के लिए टाल दिया गया है।

रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म के तहत खरीदार को वस्तुओं की खरीद पर जीएसटी अदा करना पड़ता है। यह उस मामले में लागू होता है जहां जीएसटी के तहत पंजीकृत कारोबारी ऐसे आपूर्तिकर्ता से वस्तु खरीदता है जो जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं है।


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