डीडब्ल्यू का 'फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' जॉर्जिया की पत्रकार को
जॉर्जिया की प्रतिष्ठित पत्रकार टमार किंत्सुराश्विली को इस साल के 'फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया है. बढ़ते दबाव के बीच वह बरसों से फेक न्यूज और डिसइंफॉर्मेशन से लड़ रही हैं

जॉर्जिया की प्रतिष्ठित पत्रकार टमार किंत्सुराश्विली को इस साल के 'फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया है. बढ़ते दबाव के बीच वह बरसों से फेक न्यूज और डिसइंफॉर्मेशन से लड़ रही हैं.
1991 में जब जॉर्जिया ने आजादी की घोषणा की, तो टमार किंत्सुराश्विली को अपना मकसद मिल गया. वह लोकतंत्र को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहती थीं. डीडब्ल्यू से उन्होंने कहा, "सोवियत सिस्टम में आपके पास कोई आवाज नहीं थी, अधिकार नहीं थे. आप एक अधिनायकवादी तंत्र का हिस्सा थे."
किंत्सुराश्विली के मुताबिक, "लोकतंत्र में आप, अपनी सरकार को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, और एक सक्रिय नागरिक होना आपकी जिम्मेदारी है." आगे वह कहती हैं, "और यहां मीडिया सक्रिय भूमिका निभाता है, वो भी ताकत की अलग-अलग शाखाओं को संतुलित कर."
किंत्सुराश्विली एक पत्रकार के तौर पर काम कर चुकी हैं. अब वह जॉर्जिया की राजधानी में मीडिया विकास का काम कर रहे स्वतंत्र फाउंडेशन की एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं. यह फाउंडेशन नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की वकालत करता है. किंत्सुराश्विली वहां फैक्ट चेकिंग (तथ्यों की पड़ताल) और नफरती भाषण को लेकर वर्कशॉप ऑफर करती हैं. लेकिन जॉर्जिया में बढ़ते दबाव के बीच उनका काम मुश्किल होता जा रहा है.
इन प्रयासों और समर्पण के लिए, 55 साल की किंत्सुराश्विली को डीडब्ल्यू ने इस साल 'फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित किया है. 2015 से, डीडब्ल्यू 'फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' दुनियाभर में प्रेस की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की चिंताजनक स्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित करने वाले पत्रकारों और मानवाधिकार के रक्षकों को सम्मानित कर रहा है.
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डीडब्ल्यू के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग के मुताबिक, इस वर्ष का सम्मान जॉर्जिया में डिसइंफॉर्मेशन से लड़ने की किंत्सुराश्विली की इच्छाशक्ति को रेखांकित करता है.
लिम्बुर्ग ने कहा, "देश और विदेश से दुष्प्रचार का मुकाबला करने के उनके प्रयास 'प्रेस फ्रीडम' और 'फ्री स्पीच' के साथ-साथ मीडिया में लोगों के विश्वास के लिए अपरिहार्य हैं." डीडब्लूय के डायरेक्टर जनरल ने आगे कहा, "वर्तमान में देश एक चौराहे पर है, संसद बिना सक्रिय विपक्ष के है, ईयू में शामिल होने की प्रक्रिया जम चुकी है और नए सत्तावादी प्रेस कानून वैसे हैं, जैसे हमें रूस में दिखाई पड़ते हैं."
किंत्सुराश्विली पर सीधे पड़ता दबाव
किंत्सुराश्विली कहती हैं कि वह बढ़ता दबाव महसूस कर रही हैं, "हर दिन, आपको पता चलता है कि सरकार आपको रोकने के लिए कुछ नया खोज रही है."
बीते साल सत्ताधारी दल 'जॉर्जियन ड्रीम पार्टी' ने एक कथित "विदेशी एजेंट्स" बिल पास किया. 2012 से जॉर्जिया में सरकार चला रही इस पार्टी को अक्सर मॉस्को के प्रति दोस्ताना भी करार दिया जाता है.
विदेशी एजेंट बिल के तहत, कम-से-कम 20 फीसदी विदेशी फंडिंग पाने वाले मीडिया हाउस और गैर-सरकारी संगठनों को खुद को आधिकारिक तौर पर "विदेशी प्रभाव वाले एजेंटों" के रूप में रजिस्टर कराना होगा.
ऐसा न करने वालों को जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. अब इस विधेयक को अपडेट किया गया और जेल की सजा तक का प्रावधान जोड़ा गया है. विधेयक को इस तरह से बदला गया है कि इसके दायरे में एक इंसान को भी लाया जा सकता है.
किंत्सुराश्विली का फाउंडेशन पूरी तरह विदेशी वित्तीय मदद से चलता है. उन्होंने नए एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने से इनकार किया है, "विधेयक का मकसद हमारे कदमों के प्रति भरोसा कम करने का है." किंत्सुराश्विली कहती हैं, "सही विकल्प चुनने के लिए आपके पास विश्वसनीय सूचना होना जरूरी है. लोकतंत्र इसी तरह काम करता है."
जिस वक्त यह बिल पास हुआ, उस वक्त हजारों लोगों ने इसका विरोध किया. नवंबर 2024 में सरकार के ईयू में शामिल होने की प्रक्रिया को रोकने के फैसले ने आग में घी का काम किया. सालभर पहले ही ईयू ने संघ में जॉर्जिया की दावेदारी को अनुमति दी थी.
प्रदर्शनकारी अब भी एकजुट हैं. उनका कहना है कि जॉर्जिया का नेतृत्व एक अधिनायकवादी रास्ता ले रहा है. हाल के महीनों में सरकार ने 'फ्री स्पीच' और सभा की करने की आजादी पर अहम बंदिशें लगाई हैं.
किंत्सुराश्विली को खुद पर बढ़ता दबाव महसूस हो रहा है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि कैसे कुछ मास्कधारी लोगों ने बार-बार उनके दफ्तर के मुख्य द्वार पर तोड़-फोड़ की. किंत्सुराश्विली और उनके सहकर्मियों को "स्यूडो लिबरल फासिस्ट" तक कहा गया. किंत्सुराश्विली के मुताबिक, "हमें आक्रामक फोन कॉल आ रही हैं, आधी रात को भी. वे मुझे अपशब्द कहते हैं. वे मेरे परिवारजनों तक भी पहुंचे, मेरे पति और मेरी बेटी तक."
उनकी संस्था ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर यूरोपीय मानवाधिकार अदालत में "विदेशी एजेंट्स" बिल के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
पत्रकारिता से तथ्यों की पड़ताल तक
पश्चिमी जॉर्जिया के त्सकालटुबो कस्बे के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मीं किंत्सुराश्विली ने बड़े नाटकीय दौर में पत्रकारिता की. 1991 में उन्होंने सोवियत संघ का विघटन देखा और फिर जॉर्जिया का गृह युद्ध.
साल 2008 में अलवादी इलाकों अबखाजिया और साउथ ओसेटिया ने खुद को आजाद घोषित कर दिया. रूस उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जिन्होंने इन दोनों इलाकों को नए देश के रूप में मान्यता दी. आज रूस के हजारों सैनिक इन इलाकों में तैनात हैं. जॉर्जिया इन इलाकों को रूसी कब्जे के अधीन बताता है.
राजनीतिक उठापटक के बीच किंत्सुराश्विली ने राजधानी तिबलिसी की सरकारी यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की. 1994 में उन्हें जॉर्जिया के पहले स्वतंत्र अखबार, द्रोनी में नौकरी मिली. उस दौरान किंत्सुराश्विली ने ईदुआर्द शेवार्दनाद्जे जैसे ताकतवर लोगों का इंटरव्यू भी लिया. शेवार्दनाद्जे, सोवियत काल के आखिरी विदेश मंत्री थे. 1995 में वह जॉर्जिया के राष्ट्रपति भी बने. बाद में किंत्सुराश्विली, द्रोनी की राजनीतिक संपादक और फिर उप संपादक भी बनीं.
एक फेलोशिप प्रोग्राम के तहत किंत्सुराश्विली को रॉयटर्स जैसी अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी को जानने का भी मौका मिला. वह कहती हैं, "अमेरिका और यूरोप के एक्सचेंज प्रोग्रामों ने स्वतंत्र पत्रकारिता कैसे करें, ये सीखने में मेरी मदद की. उस वक्त हमारा अनुभव बहुत कम था और हम काम करने के साथ साथ सीख रहे थे."
बाद में किंत्सुराश्विली जॉर्जिया के सरकारी प्रसारक की महानिदेशिका भी बनीं.
अवॉर्ड से मिलता प्रोत्साहन
किंत्सुराश्विली ने 2014 से खुद को प्रेस की आजादी की लड़ाई में झोंक दिया है. इस लड़ाई में वह तथ्यों की और भ्रामक सूचनाओं की पड़ताल करती हैं. वह कहती हैं, "फैक्ट चेकिंग शुरुआत में लोकप्रिय नहीं थी और इसकी जरूरत भी नहीं पड़ रही थी क्योंकि पारंपरिक मीडिया अपना काम कर रहा था."
बदलाव की ओर इशारा करते हुए किंत्सुराश्विली कहती हैं, "मीडिया इकोसिस्टम्स में तकनीकी विकास और कई बदलावों की वजह से, यह साफ हो चुका है कि सिर्फ पत्रकार ही इस मीडिया इकोसिस्टम का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि मीडिया के कंज्यूमर भी इसमें शामिल हैं. और, हम सबको फेक न्यूज से तथ्यों को अलग करने के काबिल होना चाहिए. जानकारी शक्ति है और ताकतवर संस्थान, सरकारी अधिकारी और कुछ कारोबारी हित, जनता की राय को चालाकी से प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं."
प्रेस फ्रीडम, जानबूझकर फैलाई गई गलत जानकारी और नफरती भाषणों पर काम करने वाली उनकी वर्कशॉप्स में अब तक 300 से ज्यादा लोग शामिल हो चुके हैं. उनकी कुछ ट्रेनिंग्स 'मिथ डिटेक्टर लैब्स' जैसी फैक्ट चेकिंग बेवसाइट भी देती हैं. 'मिथ डिटेक्टर लैब्स' को 2017 में डीडब्ल्यू अकेडमी की मदद से स्थापित किया गया.
तिबलिसी की इलिया यूनिवर्सिटी में वह पत्रकारिता के मूल्य और प्रोपेगंडा थ्योरी भी पढ़ाती हैं. किंत्सुराश्विली कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग पहले के मुकाबले अब कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका है. किंत्सुराश्विली फिलहाल फ्रांस में छह महीने की स्कॉलरशिप पर हैं. स्कॉलरशिप दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को आपस में जोड़ती है.
किंत्सुराश्विली कहती हैं, डीडब्ल्यू का फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड "आपको यह अहसास देता है कि दमनकारी सरकारों के विरुद्ध आपको अकेला नहीं छोड़ा गया है. यह एक ऐसा संदेश है कि आप अपने देश के लिए और एक बेहतर व लोकतांत्रिक जॉर्जिया के लिए महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं."