दल्लीराजहरा : हमें पाप बंध से छुटकारा पाना है ,तो 22 अमक्ष का त्याग करना होगा
चार्तुमास के दौरान जैन दादाबाड़ी में चल रहे प्रवचन में परम पूज्य गुरूवया ने कहा कि ज्ञानी भगवान कहते

दल्लीराजहरा। चार्तुमास के दौरान जैन दादाबाड़ी में चल रहे प्रवचन में परम पूज्य गुरूवया ने कहा कि ज्ञानी भगवान कहते है।
वर्तमान जीओ. हम अपने आप को धोखा दे रहे है. सेल्फ जुड जाये तो सब तृप्त हो जाता है. हमारा मस्तिष्क कई भावों में घूम जाता है।
नये विचारों से जागृत हो जाता है. बासी रोटी में बेइंदिृय जीव उत्पन्न हो जाते है. रात का भिगोया अनाज साधु नही लेते है।
यदि हमे पाप बंध से छुटकारा पाना है तो 22 अमक्ष का त्याग करना होगा. सत्संग से हम क्यों वंचित है हमें मोह दशा को त्यागना है. धर्म में दलाली जरूरी है उसका भी बहुत प्रभाव रहता है।
आनंद एवं कामदेव श्रावक गुरू भगवत से हमें आगे क्या ग्रहण करना है. उनके मन में हर समय जिज्ञासा रहती है. प्रजा के प्रति समर्पण जाव आ जाता है.धर्म सरल ह्दय में ही टिकता है।
हमारा धार्मिक कार्यो में मन नही लगता तो समझिये हमने प्रजा वचनों को ह्दय में सही रूप से बैठाया नही. हमारे को देव गुरू धर्म के प्रति सही वफादारी आ गई तो समझिये हमारे जीवन में धर्म के प्रति नई ऊर्जा जागृत हो गई है।
पंच परमेंष्टी तप में 30 श्रावक श्राविकाएं भााग ले रही है. आज उनका दूसरा पारणा था. पारणा रामलाल,मनोहर लाल, राकेश कुमार एवं बुरड़ परिवार द्वारा रखा गया था. तपस्या में अढ़ाई तप एवं आगे मास क्षमण तप, गुप्त रूप से चल रहा है. ठेले एवं आयंबिल का तप अनवरत चलता है।
संघ अध्यक्ष निहाल चंद वैद एवं सचिव प्रमोद कोचर ने सजा संघों से अधिक से अधिक संख्या में आकर जिनवाणी श्रवण करने की अपील की।


