नर्सो के हड़ताल पर जाने से चरमराई स्वास्थ्य सेवा
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ द्वारा अपनी मांगों को लेकर राजधानी रायपुर में आयोजित अनिश्चितकालीन आंदोलन तीसरे दिन भी जारी रहा

जिला चिकित्सालय में प्लेसमेंट से आये नर्सों के भरोसे जैसे-तैसे हो रहा काम
जांजगीर। सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ द्वारा अपनी मांगों को लेकर राजधानी रायपुर में आयोजित अनिश्चितकालीन आंदोलन तीसरे दिन भी जारी रहा। ऐसे में जिला अस्पताल जहां मरीजों की खचाखच भीड़ के बीच स्वास्थ्य सुिवधा पूरी तरह से बेहाल रही।
मरीज एवं उनके परिजन हलाकान होते रहे। गौरतलब है कि स्टाफ नर्स द्वारा ग्रेड -2 व ग्रेड पे 46 सौ रुपए करने की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है। इसको लेकर पिछले दिनों उन्होंने एक दिवसीय हड़ताल किया था, तो इसके बाद काली पट्टी लगाकर काम किया।
बावजूद इसके मांगे पूरी नहीं होने पर उन्होंने शुक्रवार 18 मई से राजधानी रायपुर के ईदगाह भाठा में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल में शामिल होने जिले के 120 नर्स रवाना हो गई। इनमें जिला अस्पताल से करीब 30 नर्स हड़ताल में है।
जबकि बीडीएम अस्पताल चांपा के साथ नवागढ़, पामगढ़, बलौदा, अकलतरा, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सक्ती, मालखरौदा, जैजैपुर और डभरा सामुदाियक स्वास्थ्य केन्द्र से 90 नर्स हड़ताल पर हैं। इधर जिले के सरकारी अस्पतालों में पदस्थ 120 नर्सो के हड़ताल में जाने से स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है।
इस दौरान जिला अस्पताल मेंं प्लेसमेंट से आये 11 नर्सो की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा चार नर्स परीविक्षा अवधि में होने से आंदोलन में शामिल नहीं हुई है। इसी तरह जीएनएम के दो-तीन नर्सों के भरोसे जैसे-तैसे काम काज संभाला जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर इनदिनों मौसमी बीमारी के लगातार बढ़ते मरीजों के चलते जिला अस्पताल में बिस्तर खाली नहीं है। इधर बिसाहूदास महंत अस्पताल चांपा सहित विभिन्न सामुदाियक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी दूसरे दिन नर्सिंग सेवा पूरी तरह से ठप रही। जिले की नर्से कामकाज छोड़कर तीसरे दिन आंदोलन में डटी रही।
इस दौरान जिला अस्पताल में जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती मरीज और उनके परिजन बेवजह परेशान होते रहे।
वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है-सीएस
जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि अस्पताल में इनदिनों मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है। ऐसे में नर्सों के हड़ताल पर जाने से चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हुआ है, हालांकि इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है। जिससे मरीजों को परेशान होना नहीं पड़ रहा है।


