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उत्पादन के गिरने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बना

खुदरा मंहगाई के जून-17 आंकड़े आने वाले दिनों में राहत भरे हो सकते हैं, खुदरा मंहगाई के घटने और औद्योगिक उत्पादन के गिरने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बना गया है

उत्पादन के गिरने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बना
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नयी दिल्ली। खुदरा मंहगाई के जून-17 आंकड़े आने वाले दिनों में राहत भरे हो सकते हैं, खुदरा मंहगाई के घटने और औद्योगिक उत्पादन के गिरने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बना गया है।

जून माह के कल आये खुदरा मंहगाई के आंकड़ों में यह 1999 के बाद के सबसे निचले स्तर 1.54 प्रतिशत रह गई। वहीं, मई में औद्योगिक उत्पादन 1.7 प्रतिशत रह गया। रिजर्व बैंक अगले महीने अपनी द्वैमासिक रिण नीति की समीक्षा करेगा।

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा कि खुदरा मंहगाई में रिकाॅर्ड गिरावट अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रकिया में टिकाव और मजबूती का परिचायक है। सुब्रमणियम ने कहा कि खुदरा मंहगाई की यह स्थिति इससे पूर्व 1999 और 1978 में सामने आई थी।

रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में पिछली कटौती गत साल चार अक्टूबर को 0.25 प्रतिशत की थी, उस समय मंहगाई 4.40 प्रतिशत थी। खुदरा मंहगाई के घटने से उम्मीद की जा रही है कि बैंक दो अगस्त को ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।


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