मानस में डूबने से जीवन होता है सुखमय: राजीवनयन
जाने को तो मानसरोवर जाते हैं धार्मिक आस्था और विश्वास लेकर लेकिन यात्रा काफी कठिन है यदि जरा असावधानी हो गई तो जान भी सकती
रायपुर। जाने को तो मानसरोवर जाते हैं धार्मिक आस्था और विश्वास लेकर लेकिन यात्रा काफी कठिन है यदि जरा असावधानी हो गई तो जान भी सकती है। लेकिन मानसरूपी सरोवर सहज ही आपके पास उपलब्ध है, फिर भी लोग इसमे गोता नहीं लगाते। निश्चित माने यदि मानस में डूब गए तो जीवन सुखमय हो जाएगा। मन के सारे मैल धुल जाएंगे। संत तो केवल दृष्टि ही दे सकते हैं, सृष्टि के साथ चलना तो आपको है।
वृद्धसेवाश्रम महादेवघाट में चल रही श्रीराम कथा में संत राजीवनयन ने श्रद्धालुओं को बताया कि श्रीगणेशजी बुद्धिप्रदाता है तो मां सरस्वती वाणी प्रदान करने वाली हैं। सफलता के लिए ज्ञान व वाणी का मेल होना निहायत ही जरूरी है। रामचरित मानस रूपी सरोवर के चार घाट है अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष। चार वक्ता व चार श्रोता है।
इन चार घाटों में जहां कहीं पर भी ज्ञान का प्रसंग आया है वहां मां पार्वती व शंकरजी, विधि निषेध का प्रसंग आने पर महर्षि याज्ञलव्य एवं भारद्वरज, जहां भक्ति का विवेचन है वहां कागभुसुंडि व गरूडज़ी का संवाद है।
जिस प्रसंग में ज्ञान, भक्ति, वैराग्य का समन्वय हो तो समझो वह तुलसीदास का घर है। मानस इतने प्रसंगों में व्याखित है कि जितनी गहराई में जाकर उसमें डूबेंगे आनंद ही आनंद है। इससे खुद को शीतलता तो मिलेगी है दूसरों को भी शांति प्रदान कर सकते हैं।
कथावाचक ने कहा कि मानस को परिभाषित करते हुए आज के जीवनचर्या में उन प्रसंगों के निहितार्थ संत अपनी बाते रखते हैं। संत आपको सही राह दिखा सकते हैं, दृष्टि दे सकते हैं लेकिन सृष्टि की संरचना में चलना तो आपको ही है। अपनी गलती पर किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते,लेकिन विडंबना समय निकल जाने के बाद ही मनुष्य सचेत होता है।
इसलिए आज घर-घर में मानस का होना व पढ़ा जाना बहुत ही जरूरी है। वृद्धसेवाश्रम महादेवघाट में चल रही श्रीराम कथा में संगीतमय भजनों की प्रस्तुति संजीवनयन महाराज की ओर से दी गई। कथा गुरूपूर्णिमा 9 जुलाई तक नियमित दोपहर 2 बजे से शाम के 6 बजे तक हो रहे हैं।


