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राजग के भोज में उपेंद्र के नहीं जाने से गठबंधन की एकता पर संशय

बिहार राजग में चुनावी चेहरे और सीट बंटवारे को लेकर कुछ दिनों से चल रही खींचतान के बीच आज हुई भोज में घटक दल रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा की गैर मौजूदगी ने एकजुटता पर संशय पैदा कर दिया है

राजग के भोज में उपेंद्र के नहीं जाने से गठबंधन की एकता पर संशय
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पटना। बिहार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में चुनावी चेहरे और सीट बंटवारे को लेकर कुछ दिनों से चल रही खींचतान के बीच आज हुई भोज में घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा की गैर मौजूदगी ने एकजुटता पर संशय पैदा कर दिया है।

बिहार में हाल में हुए लोकसभा की एक और विधानसभा की दो सीटों के लिए हुये उपचुनाव में राजग की करारी हार के बाद से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में चेहरे और सीट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गयी। राजग के प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाईटेड (जदयू), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और रालोसपा के बीच सीट बंटवारे के साथ ही मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खींचतान शुरू हो गयी थी। इस बीच भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के लिए भोज के बहाने राजनीतिक माहौल को बेहतर करने का प्रयास किया।

भोज शुरू होने से पूर्व रालोसपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणि ने कहा कि उनकी पार्टी राजग में बड़े जनाधार वाली है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को तीन सीटों पर विजय मिली थी। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के चेहरे को लेकर चुनावी मैदान में उतरने से राजग को लाभ होगा। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी भी यूटर्न ले सकते हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू मात्र दो ही सीट पर जीत दर्ज की थी। श्री कुमार का चेहरा अब सर्वमान्य नहीं रहा।


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