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भैंसबोड़ स्कूल में छात्राओं के अचानक बेहोश होने से स्कूल प्रबंधन व ग्रामीण सहमे

स्कूल में मेडिकल स्टॉफ नियुक्त

भैंसबोड़ स्कूल में छात्राओं के अचानक बेहोश होने से स्कूल प्रबंधन व ग्रामीण सहमे
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बालोद। बालोद जिले के ग्राम भैंसबोड़ का शासकीय स्कूल पिछले काफी समय से एक रहस्य बना हुआ है। प्रकृति की गोद में बसे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं पिछले कई सालों से अचानक ही स्कूल में बेहोश हो जाती हैं।

बार.बार होती इन घटनाओं के पीछे की वजह तलाशने की कोशिश कई बार की गई लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला। स्कूल में सबकुछ ठीक हो जाए इसके लिए पूजा.पाठ से लेकर डॉक्टरों से इलाज तक का सहारा लिया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कई बार तो तांत्रिक को भी बुलाया गया। स्कूल में पूजा करवाकर नारियल भी बांधा गया। लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला।

3-4 दिनों पहले भी छात्राएं अचानक बेहोश हो गई थीं। स्कूल परिसर में छात्राएं अजीब हरकत करते हुए बेहोश होकर गिर जाती हैं। स्कूल प्रबंधन भी नहीं समझ पा रहा है कि आखिर छात्राओं को अचानक से क्या हो जाता है। कुछ ग्रामीण इसके पीछे भूत बाधा की बात भी कह रहे हैं। इसे देखते हुए स्कूल में हनुमान चालीसा का पाठ भी कराया गया है।

स्कूल की एक छात्रा ने बताया कि छठवीं से 12वीं क्लास की छात्राएं कई बार चिल्लाकर बेहोश हो जाती हैं। वो अपने मुंह से अजीब.अजीब आवाजें भी निकालने लगती हैं। इसकी वजह से यहां डर का माहौल है। बच्ची ने कहा कि क्लास के बीच में ही लड़कियों के जोर.जोर से चिल्लाने से बाकी लड़कियां भी घबरा जाती हैं। वहीं स्कूल से निकलते ही लड़कियां ठीक हो जाती हैं। हालांकि छात्रा ने बताया कि उसने कभी किसी भूत.प्रेस या बाहरी शक्ति को महसूस नहीं किया है। स्कूल के प्राचार्य आर एस रायपुरिया ने बताया कि जब छात्राएं बेहोश होती हैं तो उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। इलाज के बाद वे ठीक हो जाती हैं लेकिन बार.बार हो रही इन घटनाओं ने परेशान कर दिया है और इसकी वजह भी पता नहीं चल पा रही है। इधर स्वास्थ्य विभाग भी इन घटनाओं से चिंतित है। कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य विभाग ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कैंप भी लगाया गया था। अब तो स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि यहां विभाग ने एक परमानेंट मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति कर दी है। स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी छात्राओं के बेहोश होने के कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है।

ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय पर किसी अदृश्य शक्ति का प्रकोप है। जो छात्राओं को परेशान करती है। लोगों और स्कूल प्रबंधन ने स्कूल की खिड़कियों पर लाल रंग के कपड़े में झाड़.फूंक वाली चीजें बांधकर लटका दी हैं। यहां आपको नारियल बांधा हुआ भी मिल जाएगा।

काली शक्तियों को रोकने के लिए ये सारे जतन किए गए हैं। लेकिन ये उपाय ये भी बताता है कि स्कूल अंधविश्वास की चपेट में आ गया है और अब वे इलाज के बजाय तांत्रिकों का भी सहारा लेने लगे हैं।

गांव के रहने वाले तांत्रिक हेमलाल का कहना है कि उनके घर में मंदिर भी है। यहां अक्सर उन छात्राओं को लाया जाता है जो स्कूल में बेहोश हो जाती हैं। उसने कहा कि उन्हें तो लगता है स्कूल में किसी भूत बाधा का प्रकोप है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा स्कूल की रक्षा के लिए कवच भी तैयार किया गया है।

नारियल बांधे गए हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी कराया जा चुका है। इधर मनो चिकित्सकों का मानना है कि भूत.प्रेत ऊपरी साया जैसी कोई चीज नहीं होती है। ये एक मेंटल डिसॉर्डर है। जिसे मास हिस्टीरिया कहा जाता है। बहुत अधिक भावुक या संवेदनशील लोग किसी की बात पर भी बहुत अधिक विश्वास कर लेते हैं और उसी तरह की चीजें खुद के साथ भी इमैजिन करने लगते हैं।

मानसिक तनाव और आसपास की गतिविधियां भी मन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। ऐसे लोगों को बेचैनी, शरीर में दर्द, बेहोशी, अजीब हरकतें करना, शरीर का असंतुलित होना, चीखना.चिल्लाना, रोना जैसे लक्षण सामने आते हैं। जब एक तरह की चीजें कई लोगों को होती है तो इसे मास हिस्टीरिया कहा जाता है।

ऐसे लोगों का आत्मविश्वास भी बहुत कमजोर होता है। इन पर दूसरों की बातें बहुत जल्दी असर करती हैं। लेकिन समय पर इलाज और काउंसिलिंग हो तो पीडि़त ठीक हो जाता है।


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