सामाजिक बदनामी के डर से कई मामलों की शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं होती: कैलाश
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का कहना है देश में हर एक सेंकेड में बच्चों के खिलाफ कोई न कोई अपराध हाेते हैं
नयी दिल्ली। बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का कहना है देश में हर एक सेंकेड में बच्चों के खिलाफ कोई न कोई अपराध हाेते हैं लेकिन सामाजिक बदनामी के डर से इनमें से ज्यादातर मामलों की शिकायत पुलिस में नहीं की जाती।
सत्यार्थी ने यूनीवार्ता से एक विशेष भेंट में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक शुरु की जाने वाली अपनी भारत यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि इस यात्रा का मूल उद्देश्य समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र से जुड़े लोगों को बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों और तस्करी की घटनाओं के प्रति जागरुक बनाने के साथ ही उन्हें इसके खिलाफ मिलकर आवाज उठाने के लिए तैयार करना है।
उन्होंने कहा कि दुष्कर्म और अन्य तरह के यैान अत्याचार कोई मामूली अपराध नहीं हैं। यह मानसिक विकृति की महामारी का रूप ले चुका है जिससे निबटने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी की जरुरत है। ऐसे अपराधाें के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने और भय मुक्त वातावरण बनानेे की दरकार है क्योंकि न्यू इंडिया का निर्माण भय मुक्त वातारवण में ही संभव है।
उन्हाेंने कहा कि ज्यादातर मामलों में यौन अत्याचारों का शिकार हुए बच्चे और उनके अभिभावक समाज में बदनामी के डर से मुहं नहीं खोलते जिसके कारण ज्यादातर ऐसे मामलों की पुलिस में शिकायत ही दर्ज नहीं हो पाती। इसका फायदा अपराध करने वाले उठाते हैं और उनके हौसले बढ़ते हैं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों में से 70 फीसदी ऐसे लोग होते हैं जो उनके जान पहचान वाले होते हैं। इसलिए भी जल्दी ऐसे मामलों की शिकायत पुलिस में नहीं होती। अगर होती भी है तो उसपर कार्रवाई में कई साल लग जाते हैं। इसलिए ऐसे मामलों पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने की मांग की गई है।
सत्यार्थी ने कहा कि उनकी 11 सितंबर से प्रस्तावित कश्मीर से कन्याकुमारी यात्रा का यही मूल उद्देश्य लोगों को बाल अपराधाें के खिलाफ जागरुक बनाते हुए ऐसे मामलों में खुलकर आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है । यात्रा यही संदेश लेकर पूरे भारत से गुजरेगी और बताएगी कि भयमुक्त वातारण में भी न्यू इंडिया का निर्माण संभव है।


