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भोजन-इलाज न मिलने से हड्डियों के ढांचे में बदला शख्स, सीएम ने लिया संज्ञान तो लाया गया हॉस्पिटल

पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड अंतर्गत दंपाबेड़ा गांव में सबर नामक आदिम जनजाति समुदाय का एक शख्स भोजन और इलाज की कमी से अस्थि पंजर का हिलता-डुलता ढांचा बन गया

भोजन-इलाज न मिलने से हड्डियों के ढांचे में बदला शख्स, सीएम ने लिया संज्ञान तो लाया गया हॉस्पिटल
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रांची। पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड अंतर्गत दंपाबेड़ा गांव में सबर नामक आदिम जनजाति समुदाय का एक शख्स भोजन और इलाज की कमी से अस्थि पंजर का हिलता-डुलता ढांचा बन गया। यह खबर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री चंपई सोरेन तक पहुंची। उन्होंने संज्ञान लिया तो जिला प्रशासन ने बेहद गंभीर हालत में उसे जमशेदपुर सदर हॉस्पिटल में लाकर दाखिल कराया है।

शख्स का नाम है टुना सबर। वह सबर नामक विलुप्तप्राय आदिम जनजाति समुदाय का है। पहाड़ी पर स्थित गांव में रहने वाले टुना और उसकी पत्नी सुमा पिछले कई महीनों से जंगली कंदमूल खाकर जीवन बसर कर रहे थे। भूख और बीमारी ने टुना को इस हाल में पहुंचा दिया कि उसकी देह की चमड़ी जगह-जगह से उखड़ गई है। पेट और पीठ सटकर एक हो गए हैं। वह चलने-फिरने में लाचार है। एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने उसकी तस्वीर ट्वीट की, तब मंत्री चंपई सोरेन के निर्देश पर जिला प्रशासन की टीम ने गांव पहुंचकर उसे एंबुलेंस से सदर हॉस्पिटल में लाकर दाखिल कराया। पूर्वी सिंहभूम की उपायुक्त विजया जाधव ने सोमवार देर रात हॉस्पिटल पहुंचकर उसके इलाज के बारे में डॉक्टरों से विमर्श किया। डॉक्टरों के मुताबिक वह गंभीर रूप से चर्म रोग से ग्रस्त है, लेकिन इलाज से उसकी हालत में सुधार आने की उम्मीद है।

इधर, मंगलवार को दंपाबेड़ा में उपायुक्त के निर्देश पर विशेष हेल्थ कैंप लगाकर आदिम सबर जनजाति के परिवारों के स्वास्थ्य जांच की गई। इस गांव में सबर जनजाति के बारह परिवार रहते हैं। इन सभी डाकिया योजना के तहत माह जनवरी तक खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है। मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत बकरी पालन के लिए सबर परिवार से आवेदन लिए गए हैं। सरकार की ओर से बताया गया है कि जल्द ही सबर परिवारों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ दिया जायेगा।


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