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प्राधिकरण की आय नहीं होने से गांवों में नहीं बेोनाए गए शौचालय

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त किए जाने के उद्देश्य से प्राधिकरण द्वारा सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हो रहा है

प्राधिकरण की आय नहीं होने से गांवों में नहीं बेोनाए गए शौचालय
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नोएडा। जिन गांवों की जमीन पर शहर को बसाया गया वह अब भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है। यहा के गांवों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण नहीं किया गया, और न ही किया जाएगा।

एक जन सुनवाई पोर्टल में पूछे गए प्रश्न के जवाब में प्राधिकरण ने बताया कि यह शौचालय बीओटी (बिल्ट आपरेट ट्रांसफर) तकनीक पर बनाए गए है। शौचालयों का निर्माण व संचालन एजेंसी द्वारा किया जा रहा है। विज्ञापन द्वारा आए प्राप्त की जाएगी।

प्रतिमाह निर्धारित लाइसेंस फीस प्रााधिकरण में जमा की जाएगी। यह संभावनाएं ग्रामीण परिवेश में न के बराबर है। लिहाजा वहां शौचालय बनाए जाना संभव नहीं है।

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त किए जाने के उद्देश्य से प्राधिकरण द्वारा सार्वजनिक/सामुदायिक एवं व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण लगातार कराया जा रहा है। इस क्रम में कुल 62 सार्वजनिक शौचालयों एवं 17 शुलभ शौचालय के साथ विभिन्न सेक्टरों संचालित है।

27 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। जिसके लिए उनके खाते में 15 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए गए है। एवं 45 सामुदायिक शौचालय स्थापित किए गए है।

शहर को खुले में शौच मुक्त किए जाने हेतु 500 मीटर परिधी के भीतर शौचालय की सुविधा दी जा रही है। लेकिन यह सुविधा गांवों में नहीं दी जा रही है। आरटीआई एक्टिविस्ट ने प्राधिकरण की जनसुनवाई पोर्टल पर पूछे गए प्रश्न में प्राधिकरण ने यह चौकाने वाला जवाब दिया।

प्राधिकरण से सवाल किया कि जिस प्रकार शहर में भिन्न जगहों पर सार्वजानिक शौचालय बनाए जा चुके हैं वैसे ही गांवों में क्यों नहीं बनाए गए।

इसके साथ यह मांग भी रखी गई थी कि नोएडा के 81 गांवों में सार्वजानिक शौचालय बनाए जाए। इसके जवाब में प्राधिकरण ने जवाब दिया कि नोएडा के विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजानिक शौचालयों का निर्माण बीओटी के आधार पर किआ जा रहा है।

शौचालय का निर्माण एवं संचालन एजेंसी द्वारा किया जा रहा है। विज्ञापन द्वारा आय प्राप्त की जाएगी साथ ही प्रतिमाह निर्धारित लाइसेंस फीस प्राधिकरण में जमा की जाएगी।

चूंकि ग्रामीण क्षेत्रों से विज्ञापन से आय की सम्भावना न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजानिक शौचालय बनाना संभव नहीं है। ऐसे में शहर को ही सिर्फ ओडीएफ किया जाएगा गांवों को नहीं।

जबकि गांवों में बाहर शौचालय जाने वालों की संख्या शहर की तुलना में कहीं ज्यादा है।


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