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देश में बार-बार चुनाव होने से विकास के कार्य होते हैं बाधित : पवन कल्याण

आंध्र प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने सोमवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ की अहमियत पर प्रकाश डाला

देश में बार-बार चुनाव होने से विकास के कार्य होते हैं बाधित : पवन कल्याण
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चेन्नई। आंध्र प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने सोमवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बार-बार चुनाव होने से विकास के कार्य बाधित होते हैं। अगर हम एक साथ चुनाव संपन्न कराने की व्यवस्था करें, तो निश्चित तौर पर इससे विकास की गति तेज होगी और हम जनता के लिए बेहतर कदम उठा पाएंगे।

पवन कल्याण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में विकास के कार्य तीव्र गति से कर रहे हैं। अब तक वह देश की जनता के लिए कई अच्छे कदम उठा चुके हैं, लेकिन बार-बार चुनाव होने की वजह से इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। अगर एक ही बार में सभी चुनाव हो जाएंगे, तो निश्चित तौर पर हम विकास के कार्य तीव्र गति से कर पाएंगे।

उन्होंने कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम चुनाव जीतें या हारें। चुनाव होते रहेंगे और चुनाव हारने-जीतने का भी सिलसिला जारी रहेगा, लेकिन मैं आप सभी लोगों से अपील करना चाहूंगा कि आप लोग व्यक्तिगत तौर पर 'एक देश, एक चुनाव' की दिशा में कदम बढ़ाएं, क्योंकि इससे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं दुरुस्त होंगी।

उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रियाओं को संपन्न करने में आम जनता की अहम भूमिका होती है। बिना उनकी भूमिका के किसी भी प्रकार की चुनावी प्रक्रिया को संपन्न नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उन्हें अपना बहुमूल्य समय इन प्रक्रियाओं को पूरा करने में लगाना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्हें किसी विकास परियोजना के सिलसिले में आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में जाना था, लेकिन वहां पर स्थानीय चुनाव होने की वजह से वह वहां नहीं जा पाए। इस वजह से इन परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही हैं। ऐसी स्थिति में यह कहने में किसी को कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि बार-बार चुनाव होने से प्रदेश में विकास से संबंधित गतिविधियां ठप होती हैं और जनता के हितों पर कुठाराघात होता है। अगर हम एक ही बार में सभी चुनाव करा लेंगे, तो निश्चित तौर पर इस तरह की तमाम स्थितियों से बचा जा सकेगा।

उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि इन्हीं स्थानीय चुनावों की वजह से उन्हें काकीनाडा जाने में दो महीने लग गए। प्रशासन ने यह कहकर मना कर दिया था कि आप चुनाव संबंधित नियमों की वजह से वहां नहीं जा सकते।

उन्होंने अलग-अलग समय पर चुनाव होने से होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मान लीजिए, अगर बिहार में चुनाव हो रहे हैं, तो निश्चित तौर पर इसका असर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश पर भी पड़ता है। इससे दोनों प्रदेशों में विकास से संबंधित गतिविधियां प्रभावित होती हैं। ऐसी स्थिति में अगर हम चाहते हैं कि सभी प्रदेशों में विकास से संबंधित गतिविधियों में तेजी आए, तो इसके लिए हमें 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा को जमीन पर उतारना होगा।

इसके अलावा, उन्होंने सनातन धर्म के बारे में कहा कि इसे गलत तरीके से परिभाषित किया जा रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। सनातन धर्म हमारे देश की संस्कृति का प्रतिरूप है।

उन्होंने लगातार सनातन धर्म पर होने वाले प्रहार पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि ये लोग ईसाई या मुस्लिम धर्म पर किसी भी प्रकार का प्रहार नहीं करेंगे। इन लोगों को सबसे सॉफ्ट टारगेट हिंदू धर्म ही नजर आता है। अगर ये लोग इसी तरह से हिंदू धर्म पर प्रहार करेंगे, तो हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह हमारा कर्तव्य है कि हम सनातन धर्म की रक्षा करें।


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