कर्नाटक में सूखे के कारण नारियल का उत्पादन प्रभावित
कर्नाटक के मांड्या और बगल के रामनगरम जिलों में इस बार गंभीर सूखे के कारण कच्चे नारियल के उत्पादन में 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
मांड्या। कर्नाटक के मांड्या और बगल के रामनगरम जिलों में इस बार गंभीर सूखे के कारण कच्चे नारियल के उत्पादन में 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
बागवान विभाग की ओर से हाल में कराये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक गत वर्ष के खराब मानसून और मौजूदा शुष्क मौसम के कारण वर्ष 2016-17 के दौरान मांड्या में 3.6 लाख पेड़ों और रामनगरम जिले में 1.4 लाख कच्चे नारियल के पेडों को प्रभावित किया है।
थोक विक्रेताओं के मुताबिक एक स्वस्थ्य पेड़ 20 से 25 नारियलों का उत्पादन करता है। लेकिन पानी की कमी के चलते ये पेड़ मुश्किल से 15 से 16 नारियल का उत्पादन कर पा रहे हैं। मांड्या जिला माड्डुर स्थित एपीएमसी परिसर में एशिया के सबसे बड़े नारियल बाजार का सबसे प्रमुख भागीदार है। व्यापारी यहां रोजाना 4.79 लाख कच्चे नारियल का कारोबार करते हैं।
रामनगरम के उत्पादक भी रोजाना दो लाख से कम कच्चे नारियल नहीं बेचते हैं। उपलब्ध आंकडों के मुताबिक अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच मुड्डुर मार्केट यार्ड से 16 करोड़ से अधिक कच्चे नारियल बेचे गये। 2015-16 के दौरान 17 करोड़ से अधिक कच्चे नारियल बेचने के लिए लाये गये।
मुड्डुर के व्यापारी रोजाना गोवा, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और अन्य राज्यों को करीब 13 करोड़ नारियल की आपूर्ति करते हैं। काले कैटरपिलर इनफेक्शन ने इन जिलों में पेड़ों को प्रभावित किया है, जो पिछले वर्षाें में सलाना 22 करोड़ कच्चे नारियल का उत्पादन करते रहे हैं।
मांड्या जिले में उत्पादन में 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है जबकि रामनगरम में 35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। इन जिलों में कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के अधिकारियों ने कहा कि 2017-18 के दौरान नारियल के उत्पादन में भारी गिरावट के साथ-साथ इसके मूल्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
पानी की कमी और बीमारी के कारण सैकडों पेड़ भी कुम्हला चुके हैं। रामनगरम के उपायुक्त बी आर ममाथा ने कहा कि बागवानी विभाग ने नारियल के पेड़ों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया है।


