दुबे मुठभेड़ : न्यायिक आयोग के गठन पर याचिकाकर्ता ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश के विकास दुबे मुठभेड़ कांड की विशेष जांच की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की ओर से न्यायिक आयोग के गठन पर सवाल खड़े किए हैं

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विकास दुबे मुठभेड़ कांड की विशेष जांच की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की ओर से न्यायिक आयोग के गठन पर सवाल खड़े किए हैं।
याचिकाकर्ता अनूप प्रकाश अवस्थी ने उच्चतम न्यायालय में राज्य पुलिस की ओर से शुक्रवार को दाखिल हलफनामे पर आज अपना जवाबी हलफनामा (रेजॉइंडर) दाखिल किया और राज्य सरकार के न्यायिक आयोग के गठन को गैरकानूनी करार दिया। श्री अवस्थी ने कहा कि इस आयोग के लिए न तो सरकार ने विधानसभा की मंजूरी ली, न ही कोई अध्यादेश पारित किया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जिस न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, उसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल को उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश बताया गया है, जबकि उन्होंने विवादास्पद हालात में पद से इस्तीफा दिया था, सेवानिवृत्त नहीं हुए थे।
याचिकाकर्ता ने विशेष जांच दल के गठन पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एसआईटी में शामिल पुलिस उपमहानिरीक्षक रविन्द्र गौड़ खुद 2007 में फ़र्ज़ी मुठभेड़ में शामिल रह चुके हैं। पुलिस ने 16 साल के प्रभात मिश्रा का भी मुठभेड़ कर दिया।
श्री अवस्थी ने कहा कि दुबे के मुठभेड़ की कहानी ' सी' ग्रेड फ़िल्म की पटकथा जैसी है। बदला लेने पर उतारू पुलिस ने गैंगवार में शामिल प्रतिद्वंद्वी गिरोह जैसा बर्ताव किया।
गौरतलब है कि दुबे हत्याकांड को उत्तर प्रदेश पुलिस ने आत्म रक्षा में की गई कार्रवाई बताया है।
मामले की सुनवाई 20 जुलाई को होनी है। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान हैदराबाद की तर्ज पर एक जांच समिति गठित करने के संकेत दिए।


