सातवें वेतन आयोग के विरोध में डीयू के शिक्षकों का मार्च
दिल्ली विश्विद्यालय शिक्षक संघ(डूटा) से जुड़े सैकड़ों शिक्षकों ने सरकार पर सातवें वेतन आयोग में नाइंसाफी और धोखे का आरोप लगाते हुए इसके विरोध में संसद तक मार्च किया और इसमें तत्काल सुधार करने की मांग की

नई दिल्ली। दिल्ली विश्विद्यालय शिक्षक संघ(डूटा) से जुड़े सैकड़ों शिक्षकों ने सरकार पर सातवें वेतन आयोग में नाइंसाफी और धोखे का आरोप लगाते हुए इसके विरोध में संसद तक मार्च किया और इसमें तत्काल सुधार करने की मांग की।
डूटा के अध्यक्ष राजीव रे के नेतृत्व में इन शिक्षकों ने आज मंडी हाउस से संसद मार्ग तक रैली निकली। ये शिक्षक सुब्रह ग्यारह बजे मंडी हाउस पर एकत्र हुए और वहां से नारे लगते हुए जुलूस बनाकर निकले। ये शिक्षक हाथों में बैनर और तख्तियां लिए सरकार पर शिक्षकों के साथ धोखा और नाइंसाफी करने का आरोप लगते हुए नारेबाजी भी करते रहे।
उन्होंने शिक्षा के निजीकरण का भी विरोध किया। श्री रे ने कहा कि सातवें वितान आयोग के नाम पर सरकार ने शिक्षकों के साथ छल किया है। शिक्षकों के वेतन में इस बार सबसे काम वृद्धि हुई है, जो आज़ादी के बाद अब तक का न्यूनतम है। इतना ही नहीं सरकार ने एमफिल, पी एच डी कर चुके शिक्षकों को मिलनेवाला विशेष इन्क्रीमेंट ख़त्म कर दिया है और पदोन्नति के अवसर कम कर दिए हैं, जिससे नौकरी में ठहराव बढ़ेगा।
इसके अलावा भत्तों का फैसला वित्त मंत्रालय पर छोड़ दिया गया है, जबकि केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में भत्ते भी शामिल हैं।उनका कहना था कि प्राचार्य के मामले में भी भेदभाव किया गया है। इस तरह सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें पूरी तरह धोखा हैं।
डूटा के पूर्व अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्र एवं नंदिता नारायण ने भी सरकार के इस रवैये की तीखी आलोचना की और कहा कि चौहान समिति की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए, ताकि यह पता चले कि सरकार ने समिति की कौन सी सिफारिशें नहीं मानी और उसकी वास्तविक अनुशंसाएं क्या थीं। बाद में इन शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ज्ञापन भी दिया।


