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सूखा पीड़ित किसानों के अब आंसू भी सूख गए!

मस्तूरी क्षेत्र के कई गांव के सैकड़ों किसान सूखा, अनावृष्अि क्षतिपूर्ति राशि तथा बीमा राशि की मांग को लेकर कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचे

सूखा पीड़ित किसानों के अब आंसू भी सूख गए!
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बिलासपुर। मस्तूरी क्षेत्र के कई गांव के सैकड़ों किसान सूखा, अनावृष्अि क्षतिपूर्ति राशि तथा बीमा राशि की मांग को लेकर कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचे। किसानों ने जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि सूखाग्रस्त इलाकों में किसानों की आर्थिक स्थित खराब है।

सूखा प्रभावित किसानों को न तो बीमा की राशि मिली और न ही मुआवजा राशि। किसानों ने कहा कि फसल नुकसानी की क्षतिपूर्ति राशि यदि प्रदान नहीं की जाएगी तो कर्ज में डूबे जोंधरा के किसान सामूहिक रूप से आत्मदाह करेंगे। यदि 30 मई तक किसानों को राहत राशि नहीं मिलती है तो मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के विकास यात्रा का विरोध किया जाएगा।

जोंधरा गांव के 200 से अधिक किसान आज कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचे। प्रदेश सरकार द्वारा मस्तूरी तहसील के सभी गांव को आकालग्रस्त घोषित किया गया है लेकिन आज तक जोंधरा गांव व आसपास के चिस्दा, गोपालपुर, भिलौनी, टिकारी, परसौड़ी के हजारों किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला है।

कई गांव में पलायन की स्थिति है। किसान परेशान हैं, घर में ताला लगाकर कमाने खाने चले गए हैं। मस्तूरी तहसील के बसंतपुर, मुकुंदपुर, लोहर्सी, जोंधरा के नीचे गांव में कई घरों में तालाबंदी है। जोंधरा गांव के दिलहरण तथा दिनेश शर्मा ने बताया कि उनके गांव में करीबन 1 हजार किसानों की हालत खराब है। किसानों ने फसल बीमा कराया।

कंपनी द्वारा 400 रूपए प्रति एकड़ बीमा की राशि खाते से निकाल ही जाती है। अकाल होने के बावजूद बीमा का क्लेम नहीं मिला। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फसल खराब होने पर किसानों को 13 हजार रूपए प्रति एकड़ फसल बीमा की राशि मिलनी चाहिए लेकिन यहां तो 13 रूपए नहीं मिला।

खाने के लाले
मनरेगा का काम बंद कर देने से परेशान किसान अब कर्ज लेकर जीवन-यापन कर रहे हैं। जोंधरा तथा मस्तूरी क्षेत्र के आसपास के 50 गांवों के किसान पलायन करने का मजबूर हैं, अब तो घर में खाने के लिए लाले पड़ रहे हैं।

जोंधरा के किसान लोमश थवाईत तथा सुखऊ राम व दिलहरण का कहना है कि यदि यही स्थिति रही तो अकालग्रस्त मस्तूरी क्षेत्र के किसान सामूहिक रूप से आत्मदाह कर लेंगे जिसकी पूरी जवाबदारी प्रशासन व सरकार की होगी।

किसानों ने फसल मुआवजा नहीं मिलने पर तहसील कार्यालय के कर्मचारी व पटवारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। फसल बीमा कंपनी द्वारा किसानों के साथ अन्याय किए जाने की शिकायत किसानों ने की है।

केंद्र से मिली राशि खातों में नहीं आई
मस्तूरी तहसील में करीबन 180 गांवों में सूखा की स्थिति है। जिला प्रशासन ने यहां से सूखा की अनावरी रिपोर्ट भेजी उसके आधार पर राज्य सरकार ने केंद्र से यहां के किसानों के लिए क्षतिपूर्ति राशि मांगी। केंद्र से मिली किसानों की राशि अब तक किसानों के खाते में नहीं पहुंची।

किसानों ने कहा है कि अनावरी रिपोर्ट में फेरबदल किया गया। संतोष दुबे ने कहा कि रमन सरकार ने केंद्र को गलत जानकारी भेजी है। एक बार सूखे का दो बार सर्वे क्यों किया गया। प्रदेश के 18 जिलों में सूखा घोषित होने के बाद सरकार ने केन्द्र से करोड़ रूपए मांगे लेकिन किसानों तक यह राशि नहीं पहुंची।

संतोष का कहना है कि जो किसान अकाल की चपेट में है, जिन्होंने धान बेचा नहीं उनके खाते में फसल बीमा की तत्काल 15 हजार रूपए प्रति एकड़ राशि आना चाहिए। सूखा राहत की राशि किसानों के खाते में आज तक नहीं पहुंची। जो किसान धान नहीं बेचे उनका तत्काल ऋण माफ किया जाए।

यहां के किसानों का मानना है कि मस्तूरी तहसील के 180 गांव मेंं से टेल एरिया के खेतों में पानी नहीं पहुंचा। सवाल यह उठता है कि 100 से अधिक गांव में खेतों में पानी नहीं पहुंचा तो कृषि विभाग तथा जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने प्रशासन को जानकारी क्यों नहीं दी। इस मामले में फिर से जांच होनी चाहिए।

अनावरी रिपोर्ट के बाद अब तक किसानों को मुआवजा राशि नहीं मिली। किसान परेशान हैं। अब तो कर्ज में डूबे किसान या तो पलायन कर रहे हैं और जो यहां हैं वे प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। कुछ किसानों ने तो आत्मदाह की चेतावनी भी दे डाली है।

रमन सरकार जिम्मेदार
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शैलेष पाण्डेय ने किसानों पर रमन सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकार शुरू से ही किसानों को छलने का काम किया है। जब कांग्रेस ने कई दिनों तक किसानों की लड़ाई लड़ी तब जाकर रमन सरकार ने प्रदेश के किसानों को सिर्फ एक साल का बोनस दिया इस बार 18 जिलों में सूखे की स्थिति है।

रमन सरकार ने खुद सर्वे कराया लेकिन किसानों के प्रति सहानुभूति नहीं जताई। आज तक किसानों के खाते में मुआवजा राशि नहीं पहुंची। मस्तूरी क्षेत्र के अलावा कई गांव में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लेकिन रमन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। अभी भी मुआवजा राशि बिचौलिया खा रहे हैं। किसान अकाल से परेशान हैं।

660 करोड़ वसूले पर मुआवजा नहीं
आज जिला प्रशासन से मिलने आए किसानों ने बताया कि बीमा कंपनी द्वारा किसानों की सहमति के बगैर दबावपूर्वक फसल बीमा की प्रीमियम राशि जमा करा ली जाती है। सहकारी समिति जोंधरा के अंतर्गत कई गांव के किसानों द्वारा कई वर्ष से फसल बीमा की प्रीमियम राशि जमा की जा रही है।

फसल की नुकसानी के बावजूद किसानों को पात्रता रखने के बाद भी बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस बार अनावृष्टि के कारण मस्तूरी तहसील अकाल की चपेट में है। सूखा का प्रभाव कई गांवों में पड़ा है जिससे धान की पैदावार नहीं हुई।

शासन द्वारा मस्तूरी तहसील में फसल का सर्वे कर अनावरी रिपोर्ट जारी कर सूखाग्रस्त तहसील घोषित किया गया है। आज तक यहां के किसानों को सूखा राहत राशि प्रदान नहीं की गई। प्रदेश के 62 हजार किसानों द्वारा 90 हजार हेक्टेयर भूमि में धान का बीमा कराया गया है।

करीबन 660 करोड़ रूपए किसानों से प्रीमियम राशि कंपनी द्वारा एकत्र कराया गया है। लेकिन आज तक बीमा कंपनी द्वारा बीमा की राशि किसानों के खाते में जमा नहीं की गई। बीमा कंपनी ईफको, टोक्यो एवं रिलायंस कंपनी के द्वारा कुछ किसानों के खाते में न्यूनतम राशि जमा कराई गई है।

बीमा के एवज में 4 हजार रूपए से लेकर 500 रूपए तक राशि दी गई है। किसानों के साथ कंपनी ने धोखा किया है।


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