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अभी पेयजल संकट, पखवाड़े भर बाद जूझना होगा जलभराव से

जिला मुख्यालय वासियों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है....

अभी पेयजल संकट, पखवाड़े भर बाद जूझना होगा जलभराव से
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अभी पेयजल संकट, पखवाड़े भर बाद जूझना होगा जलभराव से

जांजगीर। जिला मुख्यालय वासियों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अभी जब गरमी में भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे इन्हें पखवाड़े भर बाद पानी निकासी की समस्या से जुझना पड़ेगा। पालिका प्रशासन तब से अब तक इन दोनों मूलभूत समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाल पाया है। वैसे तो सर्वे व प्राक्कलन की कागजी औचारिकता हर बार बनाई जाती है, मगर जमीनी तौर पर अमलीजामा पहना पाने विफल रही है। इस बार मानसून समय से पूर्व आने के संकेत के बीच मानसून पूर्व बारिश व तेज हवाओं के बीच नगर की सुखी पड़ी नालियों में कचरों का अंबार भरा पड़ा है। जिसे बारिश पूर्व सफाई न करने की स्थिति में बारिश का पानी एक बार फिर लोगों के घरों तक घुसने लगे, तो आश्चर्य की बात नहीं।

मुख्यालय वासियों को इस बार भी बारिश के चार माह तक शहरवासियों को जल जमाव की समस्या से दो चार होना पड़ेगा, क्योंकि शहर में ड्रेनेज सिस्टम के लिए पालिका अब तक प्राक्कलन तैयार नहीं सकी । उधर ढाई साल पहले तत्कालीन सीएमओ द्वारा ड्रेनेज सिस्टम के लिए शहर के सभी वार्डों में नाली बनाने के लिए सर्वे करा प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, बताते है कि इस प्राक्कलन पर विभागीय मंत्री ने रूचि नहीं दिखाई और दुबारा स्टीमेंट तैयार करने का फरमान जारी कर दिया था, जिसे पर नगर पालिका जांजगीर-नैला में समय पूर्व संज्ञान नहीं लिया, फलस्वरूप एक बार फिर लोगों को बारिश का पानी भरने से परेशानी उठानी पड़ेगी।

पालिका प्रशासन का इस मामले में कहना है कि चार माह से आर्किटेक्ट से समय मांगा जा रहा है पर आर्किटेक्ट से समय नहीं मिल पाने की वजह से काम अटका पड़ा है। खास बात यह भी है कि पालिका में मुख्यमार्गो के अलावा कुछ वार्डों में नालिया तो तैयार कराई है, मगर इन नालियों को आपस में जोड़ने का काम नहीं की जा सकी है। ऐसे में बारिश का पानी कैसे निकलेगा इसका जवाब पालिका के इंजीनियर के पास भी नहीं है। शहर में ठेकेदारी प्रथा के तहत नाला महज कुछ सौ मीटर बनता है, जिसकी कहीं निकासी नहीं रहती है। जल निकासी के इंतजाम न होने के कारण बड़ी मात्रा में गंदा पानी जमा हो जाता है। रिहायसी क्षेत्रों में भरा गंदा पानी बोर को भी रिचार्ज करता है। इससे कई प्रकार की बीमारियां लोगों को घेर लेती है। यदि समय रहते नपा ने नगर के ड्रेनेज सिस्टम के लिए सार्थक प्रयास नहीं किए गए तो लोगों के स्वास्थ्य पर घातक असर पड़ सकता है। हर साल बारिश से पहले शहर के नालों और बड़ी नालियों की सफाई कराई जाती है ताकि बारिश के दिनों में इनमें पानी जाम न हो और गंदगी व कचरे के साथ-साथ बरसाती पानी का भी सही ढंग से निकास हो सके।

इन वार्डों में होती है सर्वाधिक समस्या
बारिश के दौरान पानी निकासी नहीं होने से शहर के कई मोहल्लों में घुटनों तक पानी भर जाता है। निचली बस्तियों के घरों के अंदर पानी घुस जाता है। खासकर के शहर के वार्ड क्र. 17, बुधवारी बाजार मार्ग, वार्ड क्र. 6, खड़फड़ीपारा, शांति नगर, वार्ड क्र. 7, भाठापारा, वार्ड क्र. 15 के कुछ मोहल्ले बारिश के दिनों में जलमग्न हो जाते हैं। खड़फड़ी पारा में नाली का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है।
गंदगी से नाली बजबजा रही है। नाली का पानी सड़क पर बह रहा है।
क्या कहते है जिम्मेदार
नगर पालिका जांजगीर-नैला के सीएमओ दिनेश कोसरिया का कहना है कि नगर में जल निकासी के लिए राजहंस कन्टेल्सी भिलाई से चार माह से पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन आर्किटेक्ट द्वारा समय नहीं दिया गया। जिसके चलते काम रूका पड़ा है, वहीं वार्डों में जलजमाव की समस्या के लिए पालिका 15 जून से नालियों के सफाई व संभावित जलजमाव वाले स्थानों को चिहिंत किया जा रहा है। जहां से तत्काल बारिश का पानी खाली किया जा सके।
नाला का काम भी अधूरा
पानी की निकासी के लिए बनाया गया नाला अब लोगों के लिए मुसीबत बन जाती है। दरअसल बेतरतीब ढंग से बनाए गए नालों की वजह से शहरवासियों की परेशानी बढ़ गई हैं। यह योजना लोगों के लिए बिल्कुल अनुपयोग बना हुआ है। नाला न होकर यह जी का जंजाल बन जाता है। नाला निर्माण भी अधूरा पड़ा है। विवेकानंद मार्ग से कचहरी चौक तक नाला अधूरा है। इसी तरह लिंक रोड, नहरिया बाबा मंदिर मार्ग में बना भी अधूरा पड़ा हुआ है। एसबीआई मेन ब्रांच के सामने नाला बोल्डरों से ब्लॉक हो चुका है।


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