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जिला मुख्यालय में गहराने लगा पेयजल संकट

कम बारिश का असर गर्मी शुरू होने के साथ ही जिले के विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देने लगा है

जिला मुख्यालय में गहराने लगा पेयजल संकट
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दर्जनभर टैंकरों से शुरु की गई जल आपूर्ति
जांजगीर। कम बारिश का असर गर्मी शुरू होने के साथ ही जिले के विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देने लगा है। गांव में जहां तालाबों के सुखने से आम निस्तारी की समस्या गहराती जा रही, वहीं शहरों में भी पेयजल आपूर्ति को लेकर मारा-मारी मचा हुआ है। जिला मुख्यालय के विभिन्न वार्डों में टेंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है। ऐसे में अप्रैल, मई की भीषण गर्मी में स्थिति कैसे संभलेगी। यह अभी से चिंता का विषय बन गया है।

लगातार गहराते पेयजल संकट के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी तथा स्थानीय प्रशासन की अदूरदर्शिता के चलते स्थिति साल दर साल बिगड़ती जा रही है। जिला मुख्यालय में हसदेव नदी से जलापूर्ति कराये जाने का प्रस्ताव अभी तक नगरीय प्रशासन विभाग के पास विचाराधीन पड़ा हुआ है, जिसमें करीब 1 करोड़ 12 लाख का प्रस्ताव भेजा गया था।

वहीं पीएचई के माध्यम से सर्वें कराकर हसदेव नदी से शहर का प्यास बुझाने बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया गया, मगर इस प्रोजेक्ट की स्वीकृति भी नहीं मिल पाई है। ऐसे में बढ़ती जनसंख्या तथा घटते भूमिगत जलस्त्रोत के बीच जिला मुख्यालय में गंभीर पेयजल संकट खड़ा हो चुका है।

नगर के गिने-चुने ट्यूबवेल से ही पानी की आपूर्ति विभिन्न वार्डों में की जा रही है। जिसमें वार्ड क्रमांक 17 ड्राईजोन के रूप में चिन्हाकित है। इसके अलावा वार्ड क्रमांक 6, 23, 26 में भी खोदे गये निजी अथवा सरकारी बोरवेल्स सुखने लगे है। इसी तरह वार्ड क्रमांक 7, 9, 25 में पेयजल को लेकर समस्या गहराई हुई है। फिलहाल पालिका प्रशासन द्वारा छोटे-बड़े दर्जनभर टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में आने वाले अप्रैल-मई तथा जून का महिना लोगों के लिए विषम परिस्थिति निर्मित होने का संकेत दे रहा है।

तालाब भी सूखने के कगार पर
बारिश का ज्यादातर पानी बहकर व्यर्थ चला जाता है। नगर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं बन पाने के चलते कई वार्डों में जल भराव की स्थिति भी निर्मित होती है, वहीं परम्परागत रूप से तालाबों के भरने के स्त्रोत भी शहरीकरण के दबाव के बीच खत्म हो गये है। ऐसे में नगर के तालाबों में बारिश के दौरान पर्याप्त जल भराव नहीं हो पाने से ये जल्द ही सूख जाते है। इस बार भी भीमा, बोंगा, रानी तालाबों में पानी अभी से सूखने लगे है। ऐेसे में भूमिगत जल स्तर तेजी से गिरने लगा है।

दिनचर्या होने लगी प्रभावित
नौकरी पेशा लोगों के लिए मार्च का महिना परेशानी भरा बीत रहा है। ज्यादातर घरों के बच्चों का परीक्षा चल रहा है। जिन्हें समय पर तैयार होने तथा दफ्तर जाने वालों के लिए पेयजल का समय पर उपलब्ध नहीं होना बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। टैंकर के इंतजार में दिनचर्या प्रभावित होने लगी है।


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