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भोपाल अस्पताल अधीक्षक की बंद आंख को डॉ. दिनेश मिश्र की जरूरत

अंधविश्वास के अनेक प्रकरण गांवों और शहरों में मिलते है। बाबाओं की कहानी तो रोज अखबार में पढ़ने मिल ही रही है। कोई कंबल तो कोई फलाहारी

भोपाल अस्पताल अधीक्षक की बंद आंख को डॉ. दिनेश मिश्र की जरूरत
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अंधविश्वास के अनेक प्रकरण गांवों और शहरों में मिलते है। बाबाओं की कहानी तो रोज अखबार में पढ़ने मिल ही रही है। कोई कंबल तो कोई फलाहारी। बीमारियों को ठीक करने के नाम पर भी अनेक अंधविश्वासी उपचार बाबाओं से ही मिलते हैं। कोई थूकता है, कोई पैर मारता है, कोई और कुछ उटपटांग हरकत करके लोगों को बीमारियां ठीक करने के नाम पर प्रताड़ना देता है। निर्मल बाबा तो अंधविश्वास के सहारे अरबों के मालिक बन गए। किसी को समोसा खाने कह रहा है तो किसी को जलेबी खिलाकर कृपा आने की बात कहकर झांसा दे गया।

अपने बैंक एकाउंट भी लोगों के सामने ओपन करके रखे थे जिनमें दो-दो तीन-तीन हजार फीस जमा करके कृपा के लिए पंजीयन करानी पड़ती थी। अचानक एक दिन किसी ने इनके ढोंगी कृपा पर उंगली उठाई तब कानूनी कार्रवाई शुरू हुई। छत्तीसगढ़ में भी कई ऐसे अंधविश्वास फैले हुए हैं जिन पर जनजागरूकता की बड़ी जरूरत है।

गांवों में टोनही के नाम पर अनेक महिलाओं के साथ अन्याय हुआ है और अभी भी कई गांवों में टोनही के नाम पर प्रताड़ना सुनने को मिलती है। रायपुर के वरिष्ठ आंख चिकित्सक डॉ. दिनेश मिश्र अंधविश्वास को मिटाने पिछले 20-30 वर्षों से लगे हुए हैं और अपने व्यस्त समय के बाद भी गांवों में दौरा कर अंधविश्वास को नाकाम करने की कोशिश कर रहें हैं वे प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में भी जा रहे हैं।

हम चाहते हैं डॉ. दिनेश मिश्र एक बार भोपाल स्थित सबसे बड़े महिला अस्पताल में जाएं और वहां के अधीक्षक डॉ. करन पीपरे को समझाएं कि वे अपने वार्ड की प्रसूता या उसके परिजन को बच्चे का कोई विशेष नाम रखने की सलाह देकर अंध विश्वास न फैलाएं। पीपरे स्वयं एक डॉक्टर हैं और उनको विज्ञान पर भरोसा होना चाहिए न कि किसी फिजूल बातों पर। लेकिन दुर्भाग्य से डॉ. पिपरे स्वयं अंध विश्वासी हैं।

कल एक समाचार पत्र में यह पढ़ने मिला है कि डॉ. पिपरे के परामर्श से अस्पताल में शिशुओं का नाम नरेंद्र मोदी रखा जा रहा है। डॉ. साहब बता रहे हैं कि नरेंद्र मोदी नाम के बच्चे संस्कारी और महान होते हैं। इसलिए उनकी सलाह पर कई माताएं अपने पुत्र का नाम नरेंद्र मोदी ही रख लिए हैं।

भोपाल के सुल्तानिया जनाना अस्पताल में हर दूसरे नवजात का नाम नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा जा रहा है। करीब 30 बच्चों का नाम नरेंद्र रखा जा चुका है तथा डॉक्टर का कहना है अगर हम किसी बच्चे का नाम नरेंद्र रखने की सलाह दे रहें हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है। हमारी जानकारी में यह चिकित्सक के लिए बहुत अशोभनीय और सत्य से परे है। ऐसे प्रकरण पर त्वरित कार्रवाई जरूरी है।

हम तो चाहते हैं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रसंग पर नजर डालें, संज्ञान लें और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को निर्देशित करें कि ऐसे डॉक्टरों की जरूरत नहीं है जो अंधविश्वास फैलाए। हमारी राय में इस अस्पताल को तत्काल डॉ. दिनेश मिश्र की जरूरत है। उनकी बंद आंख डॉ. मिश्र ही खोल पाएंगे। यह केवलभोपाल का मामला नहीं है पूरे देश का है, जो देश को पीछे धकेल रहा है।


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