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कोरोनाकाल में हिमाचल में डायरेक्ट सैलिंग के लिये डिज़िटल प्लेटफार्म बना एक मजबूत माध्यम: विवेक कटोच

राज्य में लगभग शतप्रतिशत विद्युतिकरण तथा दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सुविधाओं के विस्तार से दूरवर्ती क्षेत्रों के लोग भी अब कम्प्यूटर और इंटरनेट से जुड़े हैं।

कोरोनाकाल में हिमाचल में डायरेक्ट सैलिंग के लिये डिज़िटल प्लेटफार्म बना एक मजबूत माध्यम: विवेक कटोच
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चंडीगढ़। देश में वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण आर्थिक, व्यापारिक और व्यावसायिक गतिविधियों के प्रभावित होने के बीच हिमाचल प्रदेश जेसे भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम राज्य में दूरसंचार नेटवर्क का मजबूत एवं सतत विस्तार डायरेक्ट सैलिग में उपभोक्ताओं और ग्राहकों तक सीधे पहुंच बनाने में कारगर सिद्ध हो रहा है।

डायरेक्ट सैलिंग क्षेत्र की स्वीडन की कम्पनी ऑरिफ्लेम के भारत में कार्पोरेट मामलों के निदेशक (एशिया प्रमुख) तथा इंडियन डॉयरेक्ट सैलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) के कोषाध्यक्ष विवेक कटोच ने एक विशेष बातचीत में यह जानकारी देते हुये बताया कि देश में डायरेक्ट सैलिंग मानचित्र में हिमाचल प्रदेश का कारोबार की दृष्टि से दायरा निरंतर बढ़ रहा है और इसका एक खास कारण यह है कि सरकार ने जहां लगभग समूचे राज्य का विद्युतिकरण कर लिया है वहीं वह हाई स्पीड इंटरनेट कनैक्टिविटी से किन्नौर, लाहौल स्पीति और चम्बा जिलों के शेष बचे दूरवर्ती क्षेत्रों को भी कवर करने पर गहनता से काम कर रही है। ऐसे में डिज़िटल माध्यमों के कारोबार में समावेश तथा राज्य सरकार के उद्योग मैत्री कदमों की बदौलत हिमाचल प्रदेश डायरैक्ट सैलिंग कारोबार के विस्तार की सम्भावनाओं के रूप में देश में आकर्षक बाजार बन कर उभर रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग शतप्रतिशत विद्युतिकरण तथा दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सुविधाओं के विस्तार से दूरवर्ती क्षेत्रों के लोग भी अब कम्प्यूटर और इंटरनेट से जुड़े हैं। ऐसे में कोरोना पाबंदियों के चलते व्यक्तिगत रूप से पहुंच न बना पाने वाले डायरेक्ट सैलर उपभोक्ताओं से सम्पर्क साधने के लिये डिज़िटल माध्यम को अपना रहे हैं। हालांकि देश में डायरैक्ट सैलिंग ही नहीं बल्कि अन्य उद्योगों और कारोबारियों ने भी कोरोनाकाल में अपने ग्राहकों तक पहुंचने, कारोबार संचालन और विस्तार के लिये डिज़िटल प्लेटफार्म को अब व्यापक रूप से अपनाना शुरू कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने देश में डायरेक्ट सैलिंग कारोबार को विनियमित करने के लिये दिशानिर्देश (गाईड लाईन्स) अधिसूचित किये हैं जिनमें डायरेक्ट सैलिंग उद्योग को स्पष्ट तौर पर परिभाषित किया गया है। ऐसा लोगों और उपभोक्ताओं को मल्टी लेवल मार्किटिंग और नेटवर्क मार्किटिंग कम्पनियों के झांसे में आने से बचाने हेतु किया गया है। हिमाचल प्रदेश सहित देश के 13 राज्य भी इन गाईडलाईन्स को अपने यहां अधिसूचित कर अपना चुके हैं। इसके अलावा मंत्रालय ने उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 2019 भी बनाया है जिससे देश में डायरेक्ट सैलिंग उद्योग को और मजबूती मिलेगी।

श्री कटोच के अनुसार वर्ष 2018-19 के एक सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश में इस अवधि में डायरेक्ट सैलिंग का 23 करोड़ रूपये से ज्यादा का कारोबार हुआ तथा प्रदेश में वर्ष 2019 में डायरेक्ट सैलिंग गाईडलाईंस अपनाये जाने के बाद इसमें बड़ा इजाफा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि डायरेक्ट सैलिंग उद्योग राज्य में हजारों लोगों को स्वरोजगार शुरू कर आत्मनिर्भर बनने और अतिरिक्त आय सृजित करने का मौका प्रदान करने के साथ राज्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को भी बढ़ावा दे रहा है। राज्य में प्राकृतिक जड़ी बूटियों की बहुलता के चलते अनेक डायरेक्ट सैलिंग कम्पनियां राज्य में अपनी इकाईयां स्थापित कर हर्बल एवं आयुर्वेट उत्पादों का निर्माण और वितरण कर रही हैं।


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