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डाउन सिंड्रोम बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है

डाउन सिंड्रोम(मंगोल कल्पी) एक आनुवांशिक या क्रोमोसोम जनित विकार है जो गुणसूत्र 21 में एक अतिरिक्त प्रतिकृति के कारण होता

डाउन सिंड्रोम बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है
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कोलकाता । डाउन सिंड्रोम(मंगोल कल्पी) एक आनुवांशिक या क्रोमोसोम जनित विकार है जो गुणसूत्र 21 में एक अतिरिक्त प्रतिकृति के कारण होता है।

यह अानुवांशिक विकार गुणसूत्र के अलग होने की प्रकिया (नाॅन डिसजंक्सन) के समय गुणसूत्र 21 में एक गुणसूत्र की अधिकता के कारण होता है जिसे ट्राईसोमी 21 भी कहते हैं ।

इस प्रकिया का कारण अभी ज्ञात नही है। हालांकि यह महिला में आयु से संबंधित है और बढ़ती आयु की वजह से उनके अंडाणुओं में विकार होने से गुणसूत्रों के अलग होने की प्रकिया बाधित होती है। इसमें उपस्थित अतिरिक्त सामग्री बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है जिसे डाउन सिंड्रोम कहते है। इस बीमारी का पता लैंगडन डाउन नामक वैज्ञानिक ने लगाया था और इसी कारण इस बीमारी को उनके नाम से जाना जाता है।

इस सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों में कुछ विशेष लक्षण पाये जाते है। जैसे - मांसपेशियों में विकार , सपाट चेहरा ,आंखो में झुकाव , असाधारण कान , हड्डियों में विकार , असामान्य अंगुलियां , लम्बी जीभ और हमेशा खुला मुख तथा लटकती जीभ इत्यादि हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार डाउन सिंड्रोम रोगी अन्य कारणो से भी पीड़ित हो सकते है जैसे ह्रदय रोग , अल्जाइमर और ल्यूकीमिया ।

इस विकार से ग्रस्त बच्चों के होने की आवृति प्रति एक हजार से 1100 जीवित बच्चों में पाई गई है। हर साल लगभग 3,000 से 5,000 ऐसे बच्चे जन्म लेते हैं। आंकडों के मुताबिक अमेरिका में 250,000 परिवारों में इस विकार से पीड़ित बच्चे हैं।

साठ से अस्सी प्रतिशत बच्चे इस विकार के कारण सुनने की शक्ति खो देते है और 45 प्रतिशत बच्चे जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित होते है आैर एेसे बच्चों में आंतों की विकृतियां भी होती हैं।


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