पुतिन के सामने डोभाल का झुका हुआ सिर भारत का अपमान है!
जिन्दगी का एक सिद्धांत है। जो भी चीज आप दूसरे पर लागू करोगे वह एक दिन आप पर ही हमला करेगी

- शकील अख्तर
भारत में कई प्रधानमंत्री हुए हैं। देश को लेकर उनकी नीतियों की यहां खूब चर्चाएं और हिसाब हुए हैं। मगर कमजोर से कमजोर प्रधानमंत्री ने भी कभी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को किसी विदेशी राष्ट्र प्रमुख के सामने सिर झुकाकर सफाइयां देने नहीं भेजा। कोई छोटा राष्ट्र भी ऐसा नहीं करता है। किसी भी देश के लिए उसकी संप्रभुता सबसे बड़ी चीज होती है।
जिन्दगी का एक सिद्धांत है। जो भी चीज आप दूसरे पर लागू करोगे वह एक दिन आप पर ही हमला करेगी। यूपीए सरकार के समय भाजपा और मीडिया ने एक शब्द का ईजाद किया था। बाडी लेंग्वेज! 2012-13 में इस शब्द के जरिए ये रोज डां. मनमोहन सिंह सोनिया गांधी शीला दीक्षित और अन्य कांग्रेसी नेताओं का पोस्टमार्टम करते रहते थे। उन्हें अपराधी, भ्रष्टाचारी, डरे हुए और जाने क्या-क्या बनाते रहते थे। शक्ल देखकर।
आज वही बाडी लेंग्वेज अपने असली रूप में विश्व फलक पर सामने आ गई। दुर्भाग्य से इन लोगों ने उसे देश की छवि के रूप में रख दिया। गलत छवि। जो कभी नहीं थी। कमजोर छवि। माफ़ी मांगने की मुद्रा!
जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चन्द्रचूड़ के घर पर खुद के द्वारा की जा रही पूजा की फोटो ट्विट करके चीफ जस्टिस को जवाब देने लायक भी नहीं छोड़ा वैसे ही रूस ने अपने राष्ट्रपति के सामने सिर झुकाए सफाइयां दे रहे भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का वीडियो जारी करके भारत की इतने सालों की कमाई अन्तरराष्ट्रीय सम्मान पर एक झटके से गहरा दाग लगा दिया।
भारत जिसके बारे में यह केवल बढ़-बढ़कर बातें करते हैं मदर आफ डेमोक्रेसी, विश्व गुरु, युद्ध रुकवा दिया और केवल रूस-यूक्रेन ही नहीं इजराइल और फिलिस्तीन के युद्ध के लिए भी ऐसा ही दावा किया था। खुद प्रधानमंत्री ने ही कहा कि रमजान में हमने इजराइल से कह दिया कि हमले नहीं होना चाहिए। वह भारत, रूस के राष्ट्रपति पुतिन के पास अपने सुरक्षा सलाहकार को भेज कर कह रहा है कि वैसे तो खुद प्रधानमंत्री मोदी आकर सफाई देना चाहते थे। मगर अभी उन्होंने मुझे भेजा है कि मैं आपको बता सकूं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में दो लोग उनके साथ और एक मैं अपने प्रधानमंत्री के साथ था। इससे पहले पुतिन मोदी से फोन पर सफाई ले चुके थे। डोभाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आपको फोन पर बताया और खुद आकर भी बताएंगे।
क्या है यह? क्या भारत कभी इतना कमजोर था? एक देश से हुई बात को दूसरे देश को बता रहा है! मोहल्ले और गांव के झगड़ों की तरह। एक दबंग से कह रहा है नहीं-नहीं हम उससे इसलिए नहीं मिले थे। यह नहीं कहा था। यह बात नहीं हुई!
और वीडियो में पुतिन का स्टाइल देखिए! कैसे हेडमास्टर की तरह बैठे हुए हैं और डोभाल के बारे में आप खुद फैसला कीजिए कि किस तरह एक डरा और सहमा बच्चा बैठा हुआ है। यह अविभाजित सोवियत रूस नहीं है। यह दुनिया का ठेकेदार बनने वाला अमेरिका भी नहीं है। एक कमजोर युद्ध में उलझा हुआ देश है। रूस अब पहले की तरह महाशक्ति नहीं है। दुनिया का दूसरा धु्रव।
और जब थे। दोनों महाशक्ति अमेरिका और सोवियत रूस तब इन्दिरा गांधी जिन पर अभी शनिवार को ही हरियाणा में फिर कीचड़ उछालकर आए हैं, उन्होंने कभी भारत की सम्प्रभुता सम्मान से समझौता नहीं किया। सवाल ही नहीं उल्टा, अमेरिका को चुनौती दी। खूब खरी-खोटी सुनाई। यहां तक कहा 1971 में। कहा- सातवां बेड़ा नहीं, आठवां भी भेज दो पाकिस्तान अब दो टुकड़े होकर ही रहेगा।
विदेश विभाग में तो परंपराएं, इतिहास, रिकार्ड चलता है ना! जयशंकर तो फॉरेन सर्विसेस के आफिसर रहे हैं। विदेश सचिव के स्तर तक। अब मोदी के विदेश मंत्री हैं। उन्हीं से बुलाकर पूछ लें कि इन्दिरा गांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन को कैसी खरी-खरी सुनाई थीं। और यह भी पूछ लें कि सोवियत रूस से कैसे अपनी शर्तों पर बीस साला मैत्री संधि की थी। बता दें कि जयशंकर दोनों जगह मास्को और वाशिंगटन तैनात रहे हैं। भारत के रुआब से वाकिफ।
दस साल सरकार चलाते हो गए। मगर अपनी कोई बात बताने के बदले अभी भी नेहरू, इन्दिरा, राजीव गांधी को कोस रहे हैं। हरियाणा एक ऐसा प्रदेश है जहां दस साल से उनकी सरकार है। केन्द्र में तो इससे कुछ महीने ज्यादा की है। तो वहां चुनाव प्रचार करने गए तो बताना चाहिए था दोनों जगह दस-दस साल सरकार होने से जनता को क्या क्या मिला? मगर बताने को कुछ है नहीं। तो नेहरू, इन्दिरा कांग्रेस को गालियां। हरियाणा की जनता इस बार बता देगी कि उसे बेवकूफ समझने का क्या परिणाम होता है। वैसे भी कुरुक्षेत्र जहां प्रधानमंत्री गए थे लोग उन्हें सुनने बहुत कम आए। प्रधानमंत्री के लिए प्रथम ग्रासे मक्षिका पात हो गया। लोकसभा चुनाव के बाद पहली चुनावी रैली में लोग ही नदारद थे। जो भीड़ मोदी की लोकप्रियता का पैमाना हुआ करती थीं। वह न कुरुक्षेत्र में थी और न जम्मू कश्मीर के डोडा में।
खैर भारत में कई प्रधानमंत्री हुए हैं। देश को लेकर उनकी नीतियों की यहां खूब चर्चाएं और हिसाब हुए हैं। मगर कमजोर से कमजोर प्रधानमंत्री ने भी कभी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को किसी विदेशी राष्ट्र प्रमुख के सामने सिर झुकाकर सफाइयां देने नहीं भेजा। कोई छोटा राष्ट्र भी ऐसा नहीं करता है। किसी भी देश के लिए उसकी संप्रभुता सबसे बड़ी चीज होती है।
नेहरू की विदेश नीति तक पर सवाल खड़ा करते हैं। उनके आज तक प्रासंगिक गुट निरपेक्ष आंदोलन का मजाक उड़ाते हैं और खुद विश्व गुरु होने के हसीन सपने में रुस और यूक्रेन दोनों जगह पहुंचकर गले मिलने, कंधे पर हाथ रखने, पीठ पर हाथ मारने जैसे कैमरे के लिए पोज देते हैं वह बैक फायर कर देता है। विदेश नीति कोई देश में भक्तों को, मीडिया को बेवकूफ बनाने जैसी नहीं होती है। सारे विदेश विभाग के अफसर जानते हैं। कभी-कभी बोल भी देते हैं।
जैसे विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा था रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष नड्डा और खुद प्रधानमंत्री के कहने के बाद कि नहीं रुस यूक्रेन युद्ध रुकवाने के दावे निराधार हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ था।
वह तो शुक्र है रुस की न्यूज एजेन्सी स्पूतनिक ने डोभाल के वीडियो का थोड़ा सा हिस्सा ही डाला। रूस पुराना दोस्त है हमारा। नेहरू-इन्दिरा का सम्मान करने वाला। जानता है कि किसी एक व्यक्ति के विश्व गुरु बनने के दावों की सज़ा पूरे देश को और उस देश के अन्तरराष्ट्रीय सम्मान को नहीं दी जा सकती।
हालांकि वीडियो का इतना हिस्सा डालना भी अच्छी बात नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी को कड़ा विरोध करना चाहिए था। मगर क्या उन्होंने किया? नहीं! वीडियो के आने के बाद वे नेहरू, इन्दिरा, राजीव, राहुल, कांग्रेस का विरोध करने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पहुंच गए। सारे आरोप लगा दिए। अरबन नक्सल, आरक्षण विरोधी, वंशवाद कोई तोहमत नहीं छोड़ी और फिर वही बात कही कि जब तक मैं हूं, यह नहीं होने दूंगा। कभी नहीं कहते भाजपा नहीं होने देगी। सब कुछ वे ही हैं। मोदी का परिवार, मोदी की गारंटी, मोदी सरकार। भाजपा कहीं नहीं।
इसलिए उनकी हुकूमत कायम है और भाजपा 303 से 240 पर आ गई। भाजपा समझ रही है। बाकी लोगों की तरह वह भी डरी हुई है तो कुछ नहीं बोल रही। मगर मोदी मोदी मोदी! भगवान ने सीधा मुझे भेजा है। मां की कोख से जन्म नहीं हुआ जैसे दावों पर आरएसएस प्रमुख भागवत भी तंज कर चुके हैं। कहा कि दुनिया कहे कि आप अवतार हैं तो समझ में आता है मगर खुद कहो कि मैं नान बायलोजिकल (शरीर से पैदा न होना) हूं तो यह अस्वीकार्य है।
भाजपा आरएसएस सब समझते हैं कि इन बड़े-बड़े दावों का परिणाम क्या होता है? एक झांकी अभी रूस ने दिखाई। अगर नहीं संभले तो फिर कांग्रेस और जनता तो जो करेगी वह करेगी ही खुद बीजेपी आरएसएस भी चुप नहीं बैठेंगे। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर का रिजल्ट आने दीजिए!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


