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130 दिनों के शासन में डोनाल्ड ट्रम्प को नहीं मिली कोई सफलता

इस साल 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प ने दूसरी बार संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी

130 दिनों के शासन में डोनाल्ड ट्रम्प को नहीं मिली कोई सफलता
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- अंजन रॉय

अपने घोषित लक्ष्यों की किसी भी स्पष्ट उपलब्धि से वंचित अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को अपने श्रेय के रूप में लिया। उन्होंने बार-बार दावा किया कि यह उनके 'व्यापार के उपयोग के कारण था जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष विराम हुआ'। इस दावे को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बार-बार खारिज किया है।

इस साल 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प ने दूसरी बार संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी, तब से एक सौ तीस दिन बीत चुके हैं। शुरुआती दिनों में बड़ी उम्मीदें जगाने के बाद, अति सक्रिय राष्ट्रपति अब धीरे-धीरे इस तथ्य को स्वीकार कर रहे हैं कि वे एक बड़ी विफलता हैं। 'ट्रम्प हमेशा पीछे हटते हैं।' यह एक ऐसा लेबल है जिसे चीनी नेटिज़ेंस ने उनके लिए गढ़ा था क्योंकि वे टैरिफ पर चीन के साथ लड़ाई से डरते थे। ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ को 145प्रतिशत तक बढ़ा दिया था और बातचीत शुरू होने से पहले ही चरणों में इसे 30प्रतिशत तक कम कर दिया था।

चीनियों ने ट्रम्प की रियायतों को टैरिफ युद्ध में चीन के साथ उलझने के उनके डर के रूप में वर्णित किया। इसके तुरंत बाद प्रसिद्ध वॉल स्ट्रीट में उनके अपने देशवासियों ने उन्हें 'टैको(ट्रम्प ऑलवेजचिकन्स आऊट) ट्रेड' की उपाधि दी, जिसका संदर्भ टैरिफ पर उनके तेज़ी से बदलते रुख के आधार पर अमेरिकी शेयर बाज़ारों में होने वाले उतार-चढ़ाव से था।

जब एक रिपोर्टर ने ओवल ऑफ़िस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति से यह सवाल पूछा, तो वह स्पष्ट रूप से गलत ढंग से पेश आये। उन्होंने इसे 'सबसे घटिया सवाल' बताया और उसे फिर कभी इसे न उठाने के लिए कहा। उन्हें यह साबित करने में बहुत मेहनत करनी पड़ी कि वे कायर नहीं हैं।

लेकिन अब सर्वव्यापी बैज का खंडन करने के उनके प्रयासों से, ट्रम्प अब एक मुखर व्यक्ति साबित हुए हैं, जो अपने वायदों के लायक नहीं हैं और वे जिन मुद्दों को उठा रहे थे, उन पर सख्त रुख़ अपनाने की बात कर रहे हैं। चाहे वह यह दावा हो कि वे सत्ता में आने पर एक दिन में यूक्रेन युद्ध को रोक देंगे। या फिर अमेरिकी संघीय खर्च और बजट घाटे को कम करने के उनके दावे हों- सभी मामलों में, ट्रम्प को धोखेबाज कहा गया है।

ट्रम्प के सबसे करीबी सहयोगी, एलन मस्क, जिन्हें उन्होंने सरकारी दक्षता के लिए विभाग का प्रमुख नियुक्त किया था - तथाकथित डोज (डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर) - ने बुधवार को अपने कदम पीछे खींच लिए और वास्तव में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने संघीय खर्च में कटौती करने में ट्रम्प की विफलता की सार्वजनिक रूप से आलोचना की।

वास्तव में, मस्क को एक टीवी साक्षात्कार में स्पष्ट रूप से यह कहते हुए सुना गया था कि सैन्य और रक्षा में संघीय खर्च में भारी कर कटौती और बड़ी बढ़ोतरी को मंजूरी देने के लिए बहुचर्चित 'बड़ा और सुंदर' विधेयक वास्तव में डोनाल्ड ट्रम्प के पहले के वायदों से मुकरना था। इस विधेयक से अमेरिकी संघीय घाटे में 3.8 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि होगी। यह उनके द्वारा वायदा किये गये कमी लाने के स्थान पर अमेरिकी सरकार के घाटे में एक बहुत बड़ी उछाल है।

मस्क ने विडंबनापूर्ण रूप से बताया है कि यह विधेयक या तो बड़ा हो सकता है या सुंदर, यह दोनों नहीं हो सकता, जो ट्रम्प के वर्णन के बिल्कुल विपरीत है। मस्क वस्तुत: यह कह रहे हैं कि ट्रम्प अमेरिकी राजकोषीय उलझन के अपने वायदे किये गये बड़े टिकट सुधारों से पीछे हट रहे हैं। शेक्सपियर के शब्दों का उपयोग करते हुए, डोनाल्ड ट्रम्प के लिए उन्होंने कहा यह सबसे निर्दयी कटौती है।

यूक्रेन युद्ध के मामले में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उकसावे के बावजूद, ट्रम्प ने तत्काल युद्ध विराम के लिए अपने आह्वान की अवहेलना करने के लिए रूस पर तीखे प्रहार करने के बजाय अब तक उसे सहलाया है। जब राष्ट्रपति ट्रम्प शांति की बात कर रहे थे और यूक्रेन से शांति के लिए अपने फार्मूले के तहत युद्ध विराम करने का आग्रह कर रहे थे, तब रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन पर अपने हमले तेज़ कर दिये।

पुतिन ने युद्ध के मैदानों और सैन्य प्रतिष्ठानों के बाहर यूक्रेन के ठिकानों पर सबसे खराब मिसाइलों और ड्रोन हमलों को अंजाम दिया और सीधे शहरों और नागरिक ठिकानों पर हमला किया। ट्रम्प को रूसी पक्ष की ओर से शत्रुता में वृद्धि को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा जब वह अपने युद्ध विराम फार्मूले की बात कर रहे थे।

रूसी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेन युद्ध को हल करने के उनके प्रयासों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया है। यहां तक कि जब ट्रम्प ने पुतिन की भाषा का इस्तेमाल करते हुए समाधान फार्मूले को स्पष्ट किया, तब भी पुतिन ने ट्रम्प को नज़रअंदाज़ कर दिया। पुतिन के कूटनीतिक अपमान के बावजूद, ट्रम्प यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडोमिर ज़ेलेंस्की के बारे में सबसे निंदनीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। इस बीच पुतिन नयी मांगें करते रहे।

रूस की अवज्ञा और चालबाजी का सामना करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस के खिलाफ नये प्रतिबंधों के रूप में और अधिक दंडात्मक उपायों पर विचार करने का प्रस्ताव रखा था। ये प्रतिबंध तीसरी संस्थाओं पर लगाये जाने थे, जैसे कि उन लोगों पर प्रतिबंध लगाना जो सस्ते रूसी कच्चे तेल खरीद रहे थे।

इससे मुख्य रूप से चीन और भारत को दंडित किया जाता, जो रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरे हैं, जो रूसी सरकार के खर्च के लिए धन का मुख्य स्रोत है, जिसमें युद्ध के लिए धन भी शामिल है। रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर वास्तव में सख्त प्रतिबंध रूसी राज्य को परेशान कर सकते हैं।

अन्य प्रतिबंधों का भी प्रस्ताव किया जा रहा था, जैसे कि बाहरी लेनदेन के लिए अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों का उपयोग करने के रूसी विकल्पों को बंद करना। अमेरिका ने अब तक यूक्रेन और यहां तक कि अपने युद्ध प्रयासों के लिए विदेशों में जब्त रूसी धन का उपयोग करने का भी उल्लेख नहीं किया था। यक्रेन द्वारा रूस के काफी अंदर हमलों के लिए भी अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल किया जाना था।

हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने वास्तव में इनमें से किसी भी उपाय की घोषणा करने से परहेज किया है, परन्तु इसके विपरीत, ओवल ऑफिस से अपने नवीनतम प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा है कि रूस पर नये प्रतिबंध उनके द्वारा शुरू की गयी शांति प्रक्रिया को खतरे में डाल सकते हैं।

यह उल्लेख किया जा सकता है कि अपने घोषित लक्ष्यों की किसी भी स्पष्ट उपलब्धि से वंचित अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को अपने श्रेय के रूप में लिया। उन्होंने बार-बार दावा किया कि यह उनके 'व्यापार के उपयोग के कारण था जिसके परिणामस्वरूप संघर्ष विराम हुआ'। इस दावे को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बार-बार खारिज किया है। इस प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति के दूसरे कार्यकाल में अब तक जो कुछ बचा है, वह झूठों का एक पुलिंदा और विफलताओं की एक लंबी श्रृंखला है।


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