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डॉग और स्ट्रक्चर पॉलिसी को मिलेगी मंजूरी, आपत्ति और सुझाव के बाद जारी होगा फाइनल ड्राफ्ट

बोर्ड बैठक में 12 एजेंडों पर लगेगी मुहर

डॉग और स्ट्रक्चर पॉलिसी को मिलेगी मंजूरी, आपत्ति और सुझाव के बाद जारी होगा फाइनल ड्राफ्ट
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नोएडा। आज बोर्ड बैठक होगी। इस बार बोर्ड में 12 एजेंडे लाए जाएंगे। इसमें डॉग पालिसी और स्ट्रक्चरल ऑडिट पालिसी दोनों को बोर्ड में शामिल किया गया है। बोर्ड में हरी झंडी मिलते ही इस पर आपत्ति और सुझाव मांगे जाएंगे। जिनका निस्तारण कर इन दोनों पॉलिसी को नोएडा में लागू कर दिया जाएगा। बता दे प्रदेश में नोएडा ही एक मात्र शहर है जहां ये दोनों पॉलिसी एक साथ लागू की जाएंगी।

दरअसल, शहर में डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे है। इसकी वजह से कई बार बड़े बड़े प्रदर्शन तक हो चुके है। ऐसे में डॉग पॉलिसी को लागू किया जा रहा है। वहीं आए दिन बायर्स बिल्डर की शिकायत लेकर प्राधिकरण आते है। निर्माण गुवत्ता पर सवाल उठाए जाते है। इसको देखते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट पालिसी बनाई गई।

अब 11 प्वाइंट में समझे डॉग पॉलिसी में क्या है

  1. NPRA के जरिए नोएडा में डॉग और बिल्ली दोनों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
  2. रजिस्ट्रेशन के बाद एक बॉर कोड दिया जाए। जियो टैगिंग बार कोड पेट के गले में पहनाना होगा।
  3. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद एक साल में 1000 रुपए देकर उसे रिन्यू भी कराना होगा।
  4. डॉग ब्रीडिंग का काम फ्लैट या मकान में नहीं करा सकते है। यदि ऐसा मिला तो 5 हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा।
  5. डॉग द्वारा सार्वजनिक स्थान पर गंदगी फैलाने पर पहली बार में मालिक पर 100 दूसरी बार में 200 और तीसरी बार 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
  6. छह माह से अधिक होने पर नसबंदी करानी होगी।
  7. घर पर डॉग को अकेला नहीं छोड़ सकते है।
  8. डॉग के द्वारा कोई अप्रिय घटना की जाती है तो मालिक को 10 हजार रुपए जुर्माना , घायल का पूरा इलाज कराना होगा।
  9. रजिस्ट्रेशन के बाद पालतू की मौत हो जाती है तो उसे अपडेट कराना होगा।
  10. डॉग के ऊपर और कोई भी प्रतिबंध एओए और आरडब्ल्यूए नहीं लगा सकता है।
  11. रिहाएशी इलाके में ब्रीडिंग नहीं कराई जा सकती है।

आठ प्वाइंट में समझे स्ट्रक्चर ऑडिट पॉलिसी

नोएडा में कुल 116 प्रोजेक्ट है। इसमें से 43 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है। जिसमे 36710 यूनिट है। वहीं 63 निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में 92300 यूनिट का निर्माण कार्य किया जा रहा है। 87 हजार की ओसी जारी की जा चुकी है। से पॉलिसी तीन मेजर डिफेक्ट पर आधारित है। पहली इमारत के फाउंडेशन में क्रेक और डेमेज, दूसरी फलोर व कॉमन एरिया में क्रेक और डेमेज और तीसरा दिवारों में क्रेक और डेमेज।

प्राधिकरण ओसी जारी करने से पहले बिल्डर अपने खर्चे पर स्ट्रक्चरल ऑडिट कराएगा।

यदि ऑडिट रिपोर्ट में कमी आती है तो दोबारा से बिल्डर ऑडिट कराकर प्राधिकरण में ओसी के लिए अप्लाई करेगा।

ओसी जारी होने से पांच साल तक बिल्डर की जिम्मेदारी होगी इसके बाद एओए को अपने खर्चे पर स्ट्रक्चर ऑडिट कराना होगा।

एओए और बिल्डर प्राधिकरण की ओर से दिए गए सलाहकार पैनल जिसमे आईआईटी/एनआईटी/सेंट्रल यूनिवर्सिटी और सीएसआईआर में से किसी एक का चयन कर सकता है।

गुणवत्ता के लिए थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराया जा सकता है।

यदि स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद 25 प्रतिशत फ्लैट बायर्स की ओर से शिकायत की जाती है तो प्राधिकरण की ओर से गठित समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद

समिति बिल्डर को नोटिस जारी करेगी तीन माह में बिल्डर को समस्या का निस्तारण करना होगा।

हाइराइज में रेट्रो फिटिंग का काम बिल्डर को दूर करेगा। एक माह में काम शुरू करेगा जिसे छह माह में पूरा करना होगा।

पांच साल बाद ऐसी शिकायत आती है तो एओए रेट्रो फिटिंग का काम कराएगा और नहीं कराने पर प्राधिकरण की ओर से नोटिस जारी किया जाएगा।

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