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राम मंदिर मामले में निहित स्वार्थ की राजनीति स्वीकार्य नहीं:  राम नाईक

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन रामजन्मभूमि मामले में निहित स्वार्थ की खातिर राजनीतिक बयानबाजी को किसी भी सूरत में स्वीकारा नहीं जा सकता

राम मंदिर मामले में निहित स्वार्थ की राजनीति स्वीकार्य नहीं:  राम नाईक
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन रामजन्मभूमि मामले में निहित स्वार्थ की खातिर राजनीतिक बयानबाजी को किसी भी सूरत में स्वीकारा नहीं जा सकता।

राज्यपाल के तौर पर उत्तर प्रदेेश में अपने चार साल के कार्यकाल के अनुभवों को नाईक ने कहा “ राममंदिर दरअसल जनभावनाओं से जुडा बेहद संवेदनशील मसला है। उच्चतम न्यायालय इस मामले में सुनवाई कर रहा है। ऐसे में कुछ राजनीतिक दलों अथवा नेताओं की बयानबाजी बेतुकी है जिसे कतई जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता। राजनीतिक दलों और नेताओं के पास राममंदिर मसले के अलावा कई और मुद्दे है जिस पर बहस की जा सकती है। राजनीतिक स्वार्थ के लिये लोगों की भावनाओं का अनादर करना गलत है। ”

रविवार यानी 22 जुलाई को नाईक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर चार साल पूरे कर लेंगे। उन्होने कहा “मैं राज्यपाल के रूप में अपने चार वर्षों के कार्यकाल से बहुत संतुष्ट हूं। मुझे जिस क्षेत्र में काम करने का अवसर मिला, उसे मैंने पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। मुझे लगता है कि इन चार सालों में मैंने लोगों के बीच राज्यपाल और राजभवन के बारे में विचारधारा को बदला हैे।”

हाल ही में जीवन के 84 बसंत पूरे कर चुके नाईक रविवार को अपने चौथे साल के कार्यकाल का ब्यौरा 'राज भवन में राम नाइक' के तौर पर पेश करेंगे। राज्यपाल के तौर पर उन्होने कार्यालय में 1460 दिन पूरे किए हैं। इस दौरान वह 24 हजार 995 से अधिक लोगों से मिले। 1421 कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया जिसमें लखनऊ के बाहर 531 कार्यक्रम शामिल थे और 1819 प्रेस नोट जारी किए।


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