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जेएएच के डॉक्टर्स काम के प्रति लापरवाह!: हाइकोर्ट
अनुपातहीन संपत्ति के दोषी को एंजियोप्लास्टी की सलाह देकर भी सर्जरी न करने पर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ग्वालियर बेंच के तल्ख टिप्पढी। या तो एंजियोग्राफी रिपोर्ट और डॉक्टर का सर्टिफिकेट झूठा या फिर जेएएच के डॉक्टर्स काम के प्रति लापरवाह हैं?

गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: खराब स्वास्थ्य के चलते हरीश शर्मा ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका पेश की। इससे पहले तीन बार उसकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। 30 सितंबर को हरीश शर्मा की जेएएच में भर्ती कराया गया। 5 अक्टूबर को जांच हुई। 14 अक्टूबर को डिस्चार्ज के बाद 21 अक्टूबर को फिर भर्ती किया गया। 28 अक्टूबर को एंजियोग्राफी की गई। जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर सूरज दुबे ने उसे एंजियोप्लास्टी की सलाह दी। आपको बता दें कि हरीश शर्मा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दोषी हैं। जो लगातार जमानत लेने का प्रयास कर रहा है। हालांकि अब उन्हें मुम्बई में इलाज की अनुमति मिल गई है लेकिन जय आरोग्य अस्पताल के कार्यप्रणाली पर हाइकोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।
हाइकोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पढी करते हुए कहा कि यह बहुत चोंकाने वाला है कि एक तरफ डॉक्टर एंजियोप्लास्टी की सलाह दे रहे हैं, तो दूसरी और बिना किसी कारण के एंजियोप्लास्टी भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में या तो एंजियोग्राफी रिपोर्ट और डॉक्टर सूरज दुबे का सर्टिफिकेट झूठा या फिर जेएएच के डॉक्टर्स काम के प्रति लापरवाह हैं? ऐसे में एमसीआई को यह निर्देश दिया जाता है कि वे विशेषज्ञों की टीम गठित करें और यह बताएं कि एंजियोग्राफी करने वाले डॉक्टर पुनीत रस्तोगी और सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर सूरज दुबे ने काम मे लापरवाही बरती है या नहीं?
हरीश शर्मा के इस मामले में हाइकोर्ट की तल्ख टिप्पढी के बाद जय आरोग्य अस्पताल के डॉक्टर पुनीत रस्तोगी और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर सूरज दुबे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि हरीश शर्मा को मुम्बई के नानावटी अस्पताल में या एशियन हार्ट इंस्टीटूयट में दो दिन के अंदर भर्ती कर इलाज कराने का आदेश मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने दे दिया है।
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