राजस्थान में चिकित्सकों की हड़ताल से मरीज बेहाल
राजस्थान में अपनी मांगों को लेकर सेवारत चिकित्सकों ने आज हड़ताल शुरु कर दी जिससे राजधानी जयपुर सहित राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीज परेशान होने लगे हैं

जयपुर। राजस्थान में अपनी मांगों को लेकर सेवारत चिकित्सकों ने आज हड़ताल शुरु कर दी जिससे राजधानी जयपुर सहित राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीज परेशान होने लगे हैं।
हालांकि राज्य सरकार ने चिकित्सकाें के हड़ताल पर जाने पर रेस्मा कानून लागू कर दिया और अस्पतालों में मरीजों के ईलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई हैं तथा इसके तहत भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सूचीबद्ध निजी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सा सुविधायें सुलभ कराने के साथ आयुष चिकित्सक भी सरकारी चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर रहे है। इसके अलावा रेलवे, सेना तथा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के चिकित्सकाें की मदद भी ली जा रही हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि सेवारत चिकित्सकों की अनुपस्थिति के मद्देनजर संबंधित चिकित्सा संस्थानों में वैकल्पिक व्यवस्थायें की गई। उन्होंने बताया कि कई जिलों में सेवारत चिकित्सकों ने भी अपनी नियमित सेवायें प्रदान की है। इनके साथ राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, शहरी स्वास्थ्य मिशन, एनसीडी तथा अर्जेन्ट टेम्परेरी बेसिस पर कार्यरत चिकित्सकों ने सरकारी चिकित्सा संस्थानों में जाकर मोर्चा संभाला हैं।
श्री सराफ ने बताया कि नए स्थापित किए जाने वाले सातों मेडिकल काॅलेजों में नियुक्त किये गए चिकित्सकों ने संबंधित जिला चिकित्सालयों के साथ ही कुल चौदह स्थानों पर जाकर चिकित्सा व्यवस्थायें संभाली। अलवर में सेना के चिकित्सकों, बाड़मेर एवं जैसलमेर में बीएसएफ के चिकित्सकों ने मोर्चा संभाला। उन्होंने बताया कि प्रदेश के भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सूचीबद्ध समस्त निजी चिकित्सालयों में मरीजों को चिकित्सा सुविधायें सुलभ कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जीवनवाहिनी एम्बुलेंस सेवा को दुर्घटनाग्रस्त या गंभीर रोगियों को निकटवर्ती चिकित्सा संस्थान में जाकर उपचार कराने के लिए कहा गया है।
उन्होंने बताया कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों संबंधित जिलों में अपने चिकित्सक भेजकर चिकित्सा सेवाओं को नियमित बनाये रखने में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्थाओं को नियमित बनाये रखने के लिए जिला प्रशासन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और लोगों को चिकित्सा सुविधायें सुलभ कराने के लिए आवश्कतानुसार सभी व्यवस्थायें की जा रही है।
उधर विभाग के उपशासन सचिव पारस चन्द जैन ने बताया कि प्रदेश में सेवारत चिकित्सक संघ के आठ हजार चिकित्सकों के इस्तीफे के दावे के बावजूद अब तक राज्य सरकार को कोई भी इस्तीफा प्राप्त नहीं हुआ है। यहां तक की सेवारत चिकित्सा संघ के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने भी कोई इस्तीफा नहीं दिया है।
श्री जैन ने बताया कि राजस्थान सेवा नियमों में सामूहिक अवकाश या सामूहिक इस्तीफे का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण उन्हें स्वेच्छापूर्वक अपने कर्तव्य से अनुपस्थित माना जाएगा। उन्हाेंने बताया कि स्वेच्छापूर्वक अनुपस्थित चिकित्सकों के विरूद्ध राजस्थान सेवा नियमों के तहत निलम्बन अथवा सेवामुक्ति आदि की कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के गृह विभाग ने चिकित्सा सेवाओं के संबंध में रेस्मा के तहत आदेश जारी कर दिए हैं। इन आदेशों के अनुसार अनुपस्थित रहने वाले चिकित्सकों के विरूद्व रेस्मा कानून के तहत कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इसके तहत गिरफ्तारी भी की जा सकती है। इस संबंध में पुलिस एवं जेल प्रशासन को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्हाेंने बताया कि राज्य के सभी जिलों में चिकित्सा सुविधाओं को नियमित बनाये रखने के लिए जिला कलेक्टर्स को वाॅक इन इन्टरव्यू के माध्यम से 56 हजार रूपये मासिक मानदेय पर चिकित्सा अधिकारी लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में सेवारत चिकित्सकों की कल देर रात सरकार के साथ बातचीत विफल रहने के बाद करीब दस हजार सेवारत चिकित्सक सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।


