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अस्पताल से डॉक्टर नदारद, मरीजों को परेशानी

भगवान का दर्जा दिए जाने वाले डॉक्टर मरीजों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. नगर का 100 बिस्तर अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है....

अस्पताल से डॉक्टर नदारद, मरीजों को परेशानी
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खरसिया। भगवान का दर्जा दिए जाने वाले डॉक्टर मरीजों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. नगर का 100 बिस्तर अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. बाकि डॉक्टर यहां समय पर नहीं मिलते. जिससे मरीजों को भटकना होता है. इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए जीवनदीप समिति भी उदासीन है और उच्चाधिकारी भी।

डॉक्टरों की मनमानी- निश्चित समय होने के बावजूद डॉक्टर्स तीन-चार घण्टे विलम्ब तक ओपीडी नहीं पहुंचते. ऐसा पहली बार नहीं है। बरसों से यह परंपरा इस अस्पताल में देखी जा रही है. हजारों शिकायतों के बावजूद इन डॉक्टरों पर ना तो किसी का नियंत्रण है और ना ही अपनी ड्यूटी के प्रति ईमानदारी ही । आए दिन चर्चाएं होती हैं कि यह डॉक्टर्स अस्पताल में कमतर और अपने निजी क्लिनिक में ज्यादा रुचि रखते हैं. इन्हें खौफ न होने की वजह लोगों द्वारा यही बताई जाती है कि यह डॉक्टर अपने उच्चाधिकारियों से मिलीभगत कर बेखौफ हो निजी क्लीनिक संचालित करते हैं. लोगों की बात पर सत्यता उस समय नजर आती है जब ऊपर बात करने पर टालमटोल कर दी जाती है।
हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना-आए दिन शासकीय अस्पतालों में ड्यूटी के समय पर डॉक्टर नदारद रहते हैं. यह शिकायत पूरे क्षेत्र में आम हो चली है. इसके साथ ही कतिपय डॉक्टर के शासकीय अस्पताल में रहने की अपेक्षा अपने निजी क्लीनिक में रहने की शिकायतें भी मिलती रही हैं. जिसके कारण अस्पताल में उपचार कराने के लिए मरीजों को भटकते देखा जाता है. मरीजों को जरूरत पर निजी क्लीनिक का रुख भी करना होता है. जिस से मरीजों को परेशानियों का सामना करना होता है.कई बार तो एक्सीडेंटल केस अस्पताल में आने के बाद भी ड्यूटी वाले डॉक्टर के ना होने से हंगामे की स्थितियां भी बनती रही हैं. इन्ही अव्यवस्थाओं को लेकर जगह-जगह चर्चाएं होती रहती हैं

. जिसके चलते हाईकोर्ट ने सभी शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों से शपथपत्र मांगा था कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते हैं। पंरतु इस नियम से यहां के डॉक्टर बेपरवाह हो निजी क्लीनिकों पर अधिक एवं अपने ड्यूटी पर ना के माफिक ध्यान देते हैं. इन्हें हाईकोर्ट के नियमों की भी परवाह नहीं होती।


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