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सर्पों को न छेड़ें, वे डसेंगे नहीं

सर्पों के बारे में जनसामान्य में व्याप्त अंधविश्वास, भ्रांति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अभाव के कारण पारिस्थितिक तंत्र के इस निरीह प्राणी के साथ कू्रर व्यवहार किया जाता

सर्पों को न छेड़ें, वे डसेंगे नहीं
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सर्पों को न छेड़ें, वे डसेंगे नहीं

बिलासपुर। सर्पों के बारे में जनसामान्य में व्याप्त अंधविश्वास, भ्रांति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अभाव के कारण पारिस्थितिक तंत्र के इस निरीह प्राणी के साथ कू्रर व्यवहार किया जाता हैण् इस बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए लेटज़ प्ले स्कूल फ़ॉर अनस्कूलिंगनिसर्ग नीड़ तिफ़रा ने एक कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला में सर्प मित्र स्नेक रेस्क्यूअरअमिताभ गौर ने फोटोग्राफ़्स के माध्यम से विषहीन और विषैले सर्पों की जानकारी दी। अति सूक्ष्म रूप से आपने विभिन्न सर्पों के मध्य अंतर बताते हुए रैट स्नेक, कैट स्नेक, वुल्फ़ स्नेक, सैंड बोआ सर्पों के साथ-साथ अजगर, कोबरा, करैत के विभिन्न प्रकारों, रसेल वाइपर सहित अनेक सर्पों की पहचान, उनके स्वभाव और प्रकृति, मनुष्य के साथ उनके व्यवहार और मनुष्य के उनकी साथ व्यवहार को समझायाण्सर्प रेस्क्यू करने के अपने अनुभव साझा करते हुए आपने उपस्थित बच्चों और बड़ों को आगाह किया कि सर्पों के साथ हमेशा सावधानी से पेश आना चाहिए और उनके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। छेड़छाड़ करने से वे आक्रामक हो जाते हैं और यह दुर्घटना को जन्म दे सकता है। उन्होंने बताया कि अगर हमने सर्पों के साथ छेड़छाड़ नहीं की तो वे हमें बिना नुकसान किए चले जाएंगे क्योंकि मनुष्य पर हमला वे अपने बचाव में करते हैं न कि मनुष्य को काटने के लिए। विश्व प्रकृति निधि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़ के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफ़िसर उपेंद्र दुबे ने आमतौर घरों में पाए जाने वाले सर्पों के साथ साथ जंगलों में पाए जाने वाले सर्पों की जानकारी दी। वीडियो और चित्रों के माध्यम से आपने भी विषहीन और विषैले सर्पों की जानकारी दीण्आपने कहा कि सर्प विशेषकर हमारे देश में आरंभ से ही रहस्यमय रहे हैं। कभी इच्छा धारी सर्पों की बात होती है तो कभी उनके मस्तक में मणि मिलने तो कभी उनके घर में रहने से धनप्राप्ति या उनके दूध पीने जैसे अनेक अंधविश्वास भारतीय समाज में गहरे पैठे हुए हैं, किंतु ये सभी असत्य हैण्सांप भी अन्य जानवरों की तरह ही एक जानवर है जिसका पारिस्थितिक तंत्र में अपना स्थान है। यह किसानों का मित्र होता है क्योंकि यह फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों का खात्मा करता है। लेटज़ प्ले स्कूल फ़ॉर अनस्कूलिंग के माध्यम से सर्पों पर जागरूकता के इस कार्यक्रम से भ्रांतियों का निराकरण हुआ। इस आयोजन में बच्चों का उत्साह देखते बनता था। बच्चों ने सर्पों के संबंध में अपनी जिज्ञासाएं रखीं जिनका निराकरण किया गया। बच्चों ने प्राप्त जानकारी डायरी में नोट की। कार्यक्रम का संचालन लेटज़ प्ले स्कूल फ़ॉर अनस्कूलिंग के प्रथमेश ने किया। इस कार्यक्रम में श्रीमती शिखा सोनवानी, निधि सेन, शिवा मिश्रा, विक्रमधर दीवान, कुमार गौरव मिश्रा, अमिता बर्वे, सपना दुबे, ईश्वर रात्रे, नितिन भसीन, मनोज कामड़े, राजू यादव, श्रेयांस बुधिया, कृष्ण कुमार बर्वे, दिनेश सिंह, हेमंत दुबे सहित जी मेघना रेड्डी, रेणुका, रसिका, आदित्य, अर्णव, रॉनित, निखिल, मयंक, आर्यन, शुभि, दिशा, जी कुणाल रेड्डी, राशि,सोहम, नैतिक, अंश, पीहू, आरोही, प्रियांशी, शाश्वत सोनवानी, शाश्वत भसीन, वीरेंद्र, चंद्रप्रकाश सहित बड़ी संख्या में बच्चे उपस्थित थे। लेटज़ प्ले स्कूल फ़ॉर अनस्कूलिंग की ओर से सविता प्रथमेश ने बताया कि पर्यावरण से संबंधित विभिन्न गतिविधियां समय-समय पर कराई जा रही हैं ताकि पर्यावरण जागरूकता बढ़े और संरक्षण की दिशा में जनसामान्य विशेषकर बच्चे जागरूक हों।


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