सिसोदिया की शिक्षा विभाग से दो टूक...बच्चों के लिए परीक्षाएं डर नहीं बल्कि उत्सव का कारण बनाएं
समाज का रिमोट कंट्रोल शिक्षा के हाथ में है और शिक्षा का रिमोट कंट्रोल परीक्षाओं के हाथ में है।

नई दिल्ली। 'समाज का रिमोट कंट्रोल शिक्षा के हाथ में है और शिक्षा का रिमोट कंट्रोल परीक्षाओं के हाथ में है।'
शिक्षा विभाग के परीक्षा ब्रांच की तरफ से आयोजित एक सेमिनार में शिक्षक और विभाग अधिकारियों को संबोधित करते हुए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने यह विचार व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा कि एग्जामिनेशन में पेपर सेट करने वालों के हाथ में शिक्षा का रिमोट कंट्रोल है।
उन्होंने कहा कि क्या शिक्षा दी जाएगी? कैसे शिक्षा दी जाएगी? किस मकसद से दी जाएगी? किस भाव से दी जायेगी? ये सब आप तय कर रहे हैं और यह बहुत बड़ी बात है। इसलिए जब आप लोग आगे पेपर सेट करें तो इस बात को जरूर ध्यान में रखें।
शिक्षा मंत्री एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक लेखक ने असमानता और छुआछूत पर अपने अनुभव के आधार पर एक कहानी लिखी। लेकिन एग्जाम में बच्चों से पूछ लिया गया कि उस कहानी के लेखक का क्या नाम है। इससे उस कहानी को शिक्षा व्यवस्था में, पाठ्यक्रम में शामिल करने का मकसद पूरा नहीं हुआ। इस कहानी को लेकर एग्जाम में प्रश्न कुछ इस तरह गढ़े जाने चाहिए थे जिससे हर बच्चे को असमानता और छुआछूत की पीढ़ा समझ में आती। तब उस कहानी को पाठ्यकम में रखने का मकसद पूरा होता।
श्री सिसोदिया ने शिक्षकों से ये भी कहा कि अभी एग्जामिनेशन बच्चों के भीतर डर पैदा करता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। एग्जामिनेशन तो एक माइलस्टोन है, आगे बढ़ने का। सामान्य जीवन में जब हम किसी माइलस्टोन पर पहुंचते हैं तो उत्सव का माहौल होता है। हम खुशी मानते हैं। लेकिन एग्जामिनेशन के मामले में ऐसा नहीं हो पा रहा। इसलिए ये आप लोगों की जिम्मेदारी है कि एग्जामिनेशन को कुछ ऐसा बनायें कि ये बच्चों के लिए डर नहीं, उत्सव का माहौल में तब्दील हो सके।


