असहमति को अपराध न बनाएं : मनीष
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आज कहा कि असहमति काे अपराध मानकर उसका अपराधीकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे देश के मूल विचार का ही हास होगा

चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आज कहा कि असहमति काे अपराध मानकर उसका अपराधीकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे देश के मूल विचार का ही हास होगा।
श्री तिवारी ने यह बात यहां अपनी दूसरी पुस्तक “टाईडिंग्स ऑफ द ट्रबल्ड टाइम्स“ के विमोचन के अवसर पर पैनल सदस्यों और दर्शकों से चर्चा में कही। पुस्तक विभिन्न सामयिक विषयों पर उनके अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं में छपे लेखों का संकलन है।
श्री तिवारी ने आरोप लगाया कि पिछले 42 महीनों में असहमति के अपराधीकरण की खतरनाक प्रवृत्ति सामने आई है जो लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है। उन्होंने माना कि पिछले कुछ सालों में लगातार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हास हुआ है। उन्होंने पत्रकारों की मजबूती की वकालत करते हुए कहा कि प्रेस की आजादी कुछ मीडिया मालिकों की आजादी बनती जा रही है।
कूटनीतिक मामलों पर श्री तिवारी ने कहा कि नये दोस्त बनाते वक्त भारत को अपने पुरने दोस्तों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड‘ परियोजना में हिस्सा लेना चाहिए और इसका आर्थिक लाभ लेना चाहिए। भारत अगर इस परियोजना का हिस्सा बनता है तो वह कुछ गंवाएगा नहीं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान एकॉनॉमिक कॉरीडोर, जो कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (जो भारत का हिस्सा है) से गुजरेगा, को लेकर चिंताएं और आपत्तयां वास्तविक हैं।
कार्यक्रम का संचालन इंडियन एक्सप्रेस के चंडीगढ़ संस्करण की निवासी संपादक निरुपमा सुब्रमणियम ने किया जबकि पंजाब विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त एस के शर्मा सम्माननीय अतिथि थे।


