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न जाने कहां चले जाते हैं बच्चे

 एक तरफ हाइटेक सिटी में शामिल होने की जद्दोजहद में मेट्रोपोलेटिन सिटी बनाने की कवायद करने में जुटे हैं

न जाने कहां चले जाते हैं बच्चे
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गाजियाबाद। एक तरफ हाइटेक सिटी में शामिल होने की जद्दोजहद में मेट्रोपोलेटिन सिटी बनाने की कवायद करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ हर वर्ष ऐसे मां-बाप की संख्या बढ़ रही है जिनके लाडलों के गुम होने पर उनके वापसी के इंतजार में आंखें पथरा रही हैं।

पिछले तीन वर्ष में सैकड़ों बच्चे लापता हो गए लेकिन इनके बारे में आज तक न तो मां.बाप को कोई खबर मिली और न ही पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई की। गुमशुदा बच्चों की खोज.खबर के लिए जिला जज नरेंद्र कुमार जौहरी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। इस कमेटी में जिलाधिकारी, एसएसपी, जीडीए सचिव, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीएमओ, नगरायुक्त, प्रोबेशन अधिकारी, संयुक्त निदेशक अभियोजन, जिला शासकीय फौजदारी व जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल शामिल हैं। प्रदेश में लगातार गुम हो रहे बच्चों का पता न चल पाने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विष्णुदयाल शर्मा ने एक जनहित याचिका दाखिल की थी। न्यायालय द्वारा मांगी गई जानकारी में एसएसपी गाजियाबाद ने जानकारी उपलब्ध कराई थी। जिसमें बताया गया था कि

ऑपरेशन स्माइल में मिले थे बच्चे

वर्ष 2014 में तत्कालीन एसएसपी धर्मेंद्र सिंह द्वारा लापता बच्चों को बरामद कर माता-पिता से मिलाने के लिए ऑपरेशन स्माइल अभियान शुरू किया गया था। चार चरणों में चलाए गए अभियान में पुलिस ने एक हजार से अधिक बच्चों को बरामद किया था।


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