नहर से पानी नहीं मिला, मस्तूरी के किसानों की फसल बर्बाद
मस्तूरी क्षेत्र में खूंटाघाट जलाशय से नहर का पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचने के कारण फसल बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है
बिलासपुर। मस्तूरी क्षेत्र में खूंटाघाट जलाशय से नहर का पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचने के कारण फसल बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है। मस्तूरी क्षेत्र के किसान सिंचाई विभाग को नहर का पानी खेतों तक नहीं मिलने की शिकायत करके थक चुके लेकिन अधिकारी सुन नहीं रहे हैं। नहर की सफाई नहीं होने से यह समस्या निर्मित हुई है।
नहर में उग आई घास ने पानी का प्रवाह रोक दिया है। किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंचने की समस्या जिला प्रशासन आज तक किसानों के समस्या को निराकरण नहीं कर पाया है। इस वर्ष कम बारिश होने से किसानों को फसल बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया का कहना है कि जलाशय का पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंचने से फसल खराब हो रही है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बरसात के पहले नहरों की सफाई करने की मांग किसानों ने की थी, लेकिन सफाई नहीं हुई। आज स्थित यह है कि पानी उपलब्ध होने के बावजूद खेतों की सिंचाई संभव नहीं हो पा रही है। खूंटाघाट जलाशय का पानी मस्तूरी क्षेत्र के किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने नहर का निर्माण कराया गया है। इसके बावजूद स्थिति यह है कि क्षेत्र के किसानों खेती के लिए प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर है। सिंचाई विभाग के अधिकारी खेतों तक पानी पहुंचाने में आ रही समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। यदि नहर की सफाई कर दी जाए तो अंतिम छोर तक पानी पहुंच सकता है। नहर का पानी किसानों को मिल जाता तो फसल खराब नहीं होती। बारिश कम होने के कारण फसल खराब हो रही है।
श्री लहरिया ने कहा कि पिछले चार साल से जिला प्रशासन से मांग की जा रही है क्षेत्र के किसानों को खेती उपलब्ध कराया जाए मगर जिला प्रशासन खेतों की सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था आज तक नहीं कर पाया है। श्री लहरिया ने कहा खरीफ की फसल तो लगभग खराब हो गई है मगर खेतों नमी बनी हुई है। मटर, चना और अलसी की खेती हो सकती है। अक्टूबर तक खेत सूखने लगेगी। रबी फसलों से किसानों को नुकसान की भरपाई हो सकती है मगर जिला प्रशासन चना, मटर और अलसी बीज का वितरण अभी तक शुरू नहीं किया गया है, जबकि किसानों ने बीज वितरण करने की मांग जिला प्रशासन से की है।
श्री लहरिया ने कहा कि फसल खराब होने का मुआवजा किसानों को कितना मिलेगा इसकी घोषणा शासन नहीं कर रहा है। कांग्रेस की मांग है कि प्रति एकड़ पंद्रह बीस हजार का मुआवजा किसानों को मिलना चाहिए। नुकसान सर्वे कर किसानों को मुआवजा सरकार को तत्काल देना चाहिए। हालत यह है कि किसान इस वर्ष त्यौहार भी नहीं मना सकेंगे क्योंकि मौसम का मार से उनकी माली हालत बिगड़ गई है।
रमन सरकार किसानों छल कर रही है। श्री लहरिया ने कहा कि अगर किसानों को समुचित मुआवजा नहीं मिला तो कांग्रेस किसानों के साथ उग्र आंदोलन करेगी। श्री लहरिया ने जानकारी दी कि जिन किसानों ने बीज अपना लगाया गया उसका मुआवजा रमन सरकार नहीं दे रही है।


