जमाल खशोगी की हत्या पर अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग नहीं करना निराशाजनक: संयुक्त राष्ट्र
विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रिपोर्ट पर काम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से नियुक्त एक विशेष दूत ने इस बात पर बेहद चिंता एवं निराशा व्यक्त की

संयुक्त राष्ट्र। विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रिपोर्ट पर काम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से नियुक्त एक विशेष दूत ने इस बात पर बेहद चिंता एवं निराशा व्यक्त की है कि सऊदी अरब के तेज-तर्रार पत्रकार जमाल खशोगी की नृशंस हत्या पर अभी तक सदस्य देशों ने स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग नहीं की गयी है।
यूनाइटेड नेशंस न्यूज के साथ साक्षात्कार के दौरान विशेष दूत डेविड काये ने सभी देशों की सरकार को ऐसे समय में एकजुट होकर आगे आने अाह्वान किया है जब पत्रकारों पर हमले किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें इस तरह के मामलों को सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद तक पहुंचाकर अथवा संयुक्त राष्ट्र महासचिव से ऐसे मामलों की जांच की अनुशंसा करके एकजुटता व्यक्त कर सकती हैं।
खशोगी की हत्या की जांच के लिए कम से कम पांच सदस्यीय जांच समिति बनाये जाने का सुझाव देते हुए श्री काये ने कहा कि यह समिति तुर्की के अधिकारियों द्वारा पिछले कई सप्ताह से जारी सूचनाओं का तार जोड़कर जांच कर सकती हैं।
तुर्की अधिकारियों की रिपोर्ट हालांकि हर प्रश्न का जवाब नहीं दे सकती लेकिन यह पत्रकार की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने में खासा मददगार सिद्ध हो सकती है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात का निर्णय लेना होगा कि पत्रकार की हत्या के संबंध में एकत्र सूचनाओं के बाद क्या कदम उठाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर खशोगी की हत्या की जांच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं की गयी तो हत्या बस एक विवाद का विषय बनकर रह जायेगी। अमेरिका में स्वनिर्वासित जीवन बिता रहे श्री खशोगी की मौत सूचना के अधिकार और पत्रकारिकता के अस्तित्व पर बड़ा हमला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रेस को ‘लोगों का दुश्मन’ करार दिया जाना पत्रकारिता को कमजोर आंकने का ही उदाहरण है।


