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क्या कुत्ते भाषा को समझते हैं?

त्ते अपने मालिक के निर्देशों का पालन तो करते हैं लेकिन क्या ऐसा इसलिए है कि वे भाषा समझते हैं

क्या कुत्ते भाषा को समझते हैं?
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त्ते अपने मालिक के निर्देशों का पालन तो करते हैं लेकिन क्या ऐसा इसलिए है कि वे भाषा समझते हैं? कुछ यूरोपीय शोधकर्ताओं ने इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की है.

जो लोग कुत्ता पालते हैं वे बड़े शौक से इस बात को दिखाते हैं कि उनका कुत्ता उनकी बात समझता है. वे कहेंगे, बैठो तो बैठ जाएगा, वे कहेंगे खाओ तो खाएगा. यहां तक कि वे कहें, अपनी गेंद लेकर आओ तो गेंद ले आएगा. यह बात वैज्ञानिकों को हैरान करती रही है कि ऐसा कैसे होता है.

दरअसल, इंसान जब किसी भाषा का कोई शब्द सुनता है तो उसके मस्तिष्क में एक तस्वीर बनती है. वैज्ञानिक अब तक नहीं जानते थे कि जानवरों के साथ भी ऐसा होता या नहीं. हंगरी में हुए एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि कुत्ते शब्दों को तस्वीरों के साथ जोड़ना भी सीख सकते हैं.

इसे भाषा के साथ संदर्भगत संबंध बनाना कहा जाता है. कुत्तों के अंदर यह योग्यता होती है, इसके बारे में अब तक जानकारी नहीं थी.

शब्दों से चीजों की पहचान

मुख्य शोधकर्ता और न्यूरोसाइंटिस्ट मारियाना बोरोस कहती हैं, "जब हम चीजों के बारे में बात करते हैं तो वे कुत्तों के लिए अनजान होती हैं. उन्हें चीजों के बारे में सीखना होता है. वे ऐसी चीजें है जो उनकी दुनिया से बाहर की हैं.”

बुडापेस्ट की ओटवोस लॉरैंड यूनिवर्सिटी में ईथोलॉजी विभाग में काम करने वालीं बोरोस का अध्ययन ‘करंट बायोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. बोरोस ने 18 कुत्तों पर यह अध्ययन किया. इसमें कुत्तों के मस्तिष्क की गतिविधियों और प्रक्रिया के अध्ययन के लिए उनके सिर की ईईजी की गई.

अध्ययन में शामिल कुत्तों के मालिकों ने एक ऑडियो क्लिप में उन चीजों के नाम लिए जो कुत्ते जानते हैं, जैसे कि गेंद या कोई खिलौना. उसके बाद उन्हें तस्वीरें दिखाई गईं.

एक बार उसी चीज की तस्वीर दिखाई गई, जिसका नाम लिया गया था और दूसरी बार किसी अलग चीज की तस्वीर दिखाई गई. वैज्ञानिकों ने कुत्तों के मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियों का आकलन किया.

बोरोस बताती हैं, "हमारा अंदाजा था कि अगर कुत्ता किसी चीज को दिए गए नाम का अर्थ समझता है तो वह नाम लिए जाने पर उसी चीज को देखने की उम्मीद करेगा. और अगर तब मालिक ने कोई अन्य चीज दिखाई तो उसके मस्तिष्क में कथित ‘सरप्राइज रिएक्शन' होगा. और हमने देखा कि यही हो रहा था.”

कुत्तों में जन्मजात क्षमता?

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जब कुत्तों ने अपनी पहचानी हुई चीज का नाम सुना तो उनके मस्तिष्क में जो पैटर्न बने वे उनसे अलग थे जब उनको अनजान चीजें दिखाई गईं. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि कुत्ते भी शब्दों को सुनकर उनकी तस्वीर अपने मस्तिष्क में बनाते हैं.

शोध की सहायक लेखिका और कॉग्निटिव न्यूरोसाइंटिस्ट लीला मैगयारी कहती हैं कि कुछ अन्य प्रजातियों के जानवरों ने भी यह क्षमता दिखाई है लेकिन वे जानवर ऐसे हैं जिन्हें बहुत ज्यादा ट्रेन किया गया है.

नॉर्वे की स्टैवेंजर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर मैगयारी कहती हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुत्तों में ये क्षमताएं जन्मजात होती हैं. वैज्ञानिक ऐसे सिद्धांत पहले भी दे चुके हैं कि भाषा के विकास में संदर्भ की क्षमता सिर्फ इंसानों को नहीं मिलीं बल्कि अन्य प्राणियों को भी मिली हैं.

इस अध्ययन की तारीफ तो हुई है लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने संदेह भी जाहिर किए हैं. एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर क्लाइव वाएन ने इस शोध के बारे में फेसबुक पर लिखा कि यह दिखाता है कि कुत्तों में प्रतिक्रिया की क्षमता होती है लेकिन वे शब्द विशेष के अर्थ नहीं जानते.

विशेषज्ञ मानते हैं कि इंसानों ने करीब 30 हजार साल पहले कुत्तों को पालना शुरू किया था और तब से ये दोनों प्राणी साथ रहते आए हैं.

लेकिन इस दौरान कुत्तों ने भाषा को समझने की क्षमता विकसित की है या नहीं, यह अब भी स्पष्ट नहीं है. फिर भी, कुत्तों के मालिकों को पूरा यकीन है कि उनके प्यारे कुत्ते उनकी पूरी बात समझते हैं, उनके मस्तिष्क में तस्वीर बने या ना बने.


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